राजस्थानः सूडान से रेस्क्यू ओंकार लाल सकुशल उदयपुर अपने गांव पहुंचे

भारत ने सूडान में फंसे लगभग 4,000 भारतीयों की सुरक्षित स्वदेश वापसी के लिए ‘ऑपरेशन कावेरी’ शुरू किया है।
सूडान से लौटे ओंकारलाल का उदयपुर में डबोक एयरपोर्ट पर स्वागत करते हुए अधिकारी
सूडान से लौटे ओंकारलाल का उदयपुर में डबोक एयरपोर्ट पर स्वागत करते हुए अधिकारी

उदयपुरः सूडान में जारी गृह युद्ध के बीच भारत सरकार द्वारा ‘ऑपरेशन कावेरी’ के माध्यम से भारतीयों को सकुशल घर लाने का सिलसिला जारी है। इसी कड़ी में उदयपुर जिले के ग्राम खरसान निवासी ओंकार लाल गोपावत को भी सकुशल शुक्रवार को घर पहुंचाया गया। राज्य सरकार के निर्देशानुसार जिला प्रशासन द्वारा ओंकार लाल का डबोक एयरपोर्ट पर स्वागत किया गया। इसके बाद उन्हें घर पहुंचाया गया।

ओंकार लाल ने बताया कि एक माह पूर्व वह एक गुजराती परिवार में खानसामा बनकर कार्य करने सूडान के अनदूरमान गया था। गत कुछ दिनों से वहाँ गृह युद्ध होने से वह चिंतित था। 10 अप्रैल को गोलीबारी शुरू हुई और तबसे वहां बसे प्रवासी भारतीयों में भय और अपने वतन सुरक्षित लौटने की चाह थी। ओंकार लाल बताते है कि उनके मकान के ठीक पीछे रेडियो टीवी स्टेशन पर बमबारी हुई। धमाके इतने जोरदार थे कि टीवी स्टेशन धराशायी हो गया। सूडानी सेना और अर्द्ध सैनिक बलों के बीच आये दिन संघर्ष रहता है। ओंकार लाल और गुजराती परिवार के सदस्यों ने भारत सरकार द्वारा किए जा रहे रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए अपना पंजीकरण करवाया था।

भारत सरकार ने ऑपरेशन कावेरी के माध्यम से उन्हें और उनके अन्य साथियों को सुरक्षित सूडान से रेस्क्यू किया और अपने देश लेकर आए। मुंबई आने के पश्चात उनके रुकने और खाने-पीने की व्यवस्थाएं की गईं। इसके पश्चात शुक्रवार दोपहर 12 बजे मुंबई से विस्तारा की फ्लाइट से वे 2 बजे उदयपुर के डबॉक एयरपोर्ट पहुंचे। यहाँ बड़गांव उप रजिस्ट्रार आरटीएस ईश्वर खटीक और आरआई किशन प्रजापत ने उनका माला पहना कर स्वागत किया।

ओंकार का उनकी बेटी ने माला पहना कर स्वागत किया
ओंकार का उनकी बेटी ने माला पहना कर स्वागत किया

ठसके पश्चात राजकीय वाहन में बैठा कर खरसान गाँव में उनके निवास तक छोड़ा। निवास पहुंचते ही ओंकार का उनकी बेटी और भतीजे ने माला पहना कर स्वागत किया तथा सभी गद्गद् हो गए। ओंकार लाल और उनके परिजनों ने भारत सरकार तथा राजस्थान सरकार का आभार व्यक्त किया।

ओंकार लाल का कहना है कि वहां 30 अप्रैल के बाद हालात सामान्य होने की आशा की जा रही है। स्थानीय लोगों के लिए इस प्रकार की स्थितियां कोई नई बात नहीं है, लेकिन अन्य देशों स्व रोजगार के लिए वहाँ आकर रहने वालों के लिए यह बहुत पीड़ादायक होती है। वे कहते हैं यदि भविष्य में परिस्थितियां ठीक हो जाती हैं तो वे दुबारा काम पर लौटेंगे लेकिन यदि ऐसा नहीं होता है तो वे अपने गांव में ही कुछ कार्य करके अपना जीवन यापन करेंगे। ज्ञातव्य है कि मेवाड़ क्षेत्र से कई लोग सूडान में खाना बनाने एवं परचूनी आदि का काम करते हैं।

‘ऑपरेशन कावेरी’ से मिल रही मदद

भारत ने सूडान में फंसे लगभग 4,000 भारतीयों की सुरक्षित स्वदेश वापसी के लिए ‘ऑपरेशन कावेरी’ शुरू किया है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है। जयशंकर ने ट्वीट कर कहा, ‘सूडान में फंसे हमारे नागरिकों को वापस लाने के लिए आपरेशन कावेरी शुरू हो गया है। करीब 500 भारतीय सूडान के बंदरगाह पहुंच गए हैं. कई और रास्ते में हैं.’ ‘हमारे जहाज और विमान उन्हें (नागरिकों) घर वापस लाने के लिए तैयार हैं. सूडान में हमारे बंधुओं को सभी प्रकार की सहायता प्रदान करने को प्रतिबद्ध।’

क्यों हो रहा सूडान में संघर्ष ?

सूडान में मिलिट्री और पैरामिलिट्री के बीच वर्चस्व की लड़ाई चल रही है। सबसे पहले 2019 में सूडान के तत्कालीन राष्ट्रपति ओमर अल-बशीर को सत्ता से हटाने के लिए लोगों ने प्रदर्शन किया। फिर अप्रैल 2019 में सेना ने राष्ट्रपति को हटाकर तख्तापलट कर दिया, लेकिन इसके बाद लोग लोकतांत्रिक शासन और सरकार में अपनी भूमिका की मांग करने लगे। इसके बाद सूडान में एक जॉइंट सरकार का गठन हुआ, जिसमें देश के नागरिक और मिलिट्री दोनों का रोल था। 2021 में यहां दोबारा तख्तापलट हुआ और सूडान में मिलिट्री रूल शुरू हो गया।

सिविलियन रूल लागू करने की डील को लेकर संघर्ष

आर्मी चीफ जनरल अब्देल फतह अल-बुरहान देश के राष्ट्रपति और आरएसएफ लीडर मोहम्मद हमदान डागालो उपराष्ट्रपति बन गए। इसके बाद से आरएसएफ और सेना के बीच संघर्ष जारी है। सिविलियन रूल लागू करने की डील को लेकर मिलिट्री और आरएसएफ आमने-सामने हैं।

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