राजस्थान: आरक्षण आंदोलन के चलते 9वें दिन भी एनएच 21 पर यातायात ठप

अब एक मई को ओबीसी आयोग के साथ प्रस्तावित बैठक के बाद होगी आंदोलन की दिशा तय। आंदोलन स्थल पर सुसाइड करने वाले मोहनलाल सैनी का पांचवे दिन भी नहीं हुआ अंतिम संस्कार।
राजस्थान: आरक्षण आंदोलन के चलते 9वें दिन भी एनएच 21 पर यातायात ठप

जयपुर। राजस्थान में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित कोटे से 12 प्रतिशत अलग आरक्षण की मांग को लेकर माली, सैनी, कुशवाहा, शाक्य जातियों का आंदोलन शनिवार 9वें दिन भी जारी रहा। आंदोलनकारी 21 अप्रैल से आगरा-जयपुर हाइवे एनएच 21 को जाम कर बैठे रहे। आंदोलनकारियों की जिद है कि जबतक सरकार 12 प्रतिशत आरक्षण नहीं देती तब तक आंदोलन जारी रहेगा।

यह भी सच है कि उत्तर प्रदेश और राजस्थान को सीधे तौर पर जोड़ने वाला एनएच 21 जयपुर-आगरा हाइवे सर्वाधिक व्यस्तम मार्ग है। 9 दिनों से हाइवे पर यातायात ठप होने से वाहन चालकों को खासी असुविधा हो रही है। हालांकि प्रशासन वैकल्पिक मार्गों से वाहनों को निकाल रहा है। लोडिंग वाहनों को वैकल्पिक मार्गों से निकालना प्रशासन के लिए चुनौती साबित हो रहा है।

यह बात अलग है कि आंदोलन के कारण आमजन को हो रही दिक्कतों का लिए फूले आरक्षण संघर्ष समिति ने सरकार को जिम्मेदार ठहराया है।

आरक्षण आंदोलन के कारण आमजन परेशान है। मालवाहक वाहन रास्ते मे फसे हैं। इनके अलावा रास्ता जाम होने से लोगों को अस्पताल, स्कूल व दफ्तर जाने में असुविधा हो रही है। हालांकि यहां इन परेशानियों को लेकर कोई भी खुल कर नहीं बोल रहा है।

अन्दोलन से आमजन को हो रही असुविधा के लिए जिम्मेदार कौन हैं, सवाल पूछने पर फूले आरक्षण संघर्ष समिति संयोजक मुरारी लाल सैनी ने कहा की इसके लिए अपने अधिकार मांग रहा समाज नहीं, सरकार जिम्मेदार है।

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उन्होंने कहा कि "नवंबर 2013 से हम लगातार मांग कर रहे हैं। जिस देश में हम रहते हैं। जिस देश के हम मूल निवासी हैं। हमारा भी अधिकार बनता है, हमारा हिस्सा लेने का। आरक्षण की मांग को लेकर हमने निरन्तर ज्ञापन दिए हैं। सभाएं की है। मंत्री और मुख्यमंत्री से वार्ताएं की है। इसके बावजूद सुनवाई नहीं हुई। मजबूरन हमें इस तरह आंदोलन करना पड़ा।"

सैनी ने आगे कहा कि आंदोलन से पूर्व सरकार को बताया था कि हम 21 अप्रैल से हाईवे जाम करेंगे। इससे कोई नुकसान होगा या लोगों को असुविधा होगी तो, सरकार जिम्मेदार होगी। इसके बावजूद सरकार ने हमारी मांगे नहीं मानी। हमें सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर किया। अब हमारे आंदोलन से किसी को परेशानी है तो, इसके लिए सरकार जिम्मेदार है।

अब एक मई की प्रस्तावित बैठक पर टिकी निगाहें

फूले आरक्षण संघर्ष समिति और अन्य पिछड़ा आयोग के बीच एक मई को जयपुर में महत्वपूर्ण बैठक प्रस्तावित है। इस बैठक में संघर्ष समिति और आयोग के बीच आरक्षण आंदोलन पर चर्चा होगी। ऐसे में अब आंदोलनकारी समाज सहित राज्यभर के लोगों की निगाहें एक मई को प्रस्तावित बैठक पर टिकी है। फूले आरक्षण संघर्ष समिति संयोजक मुरारी लाल मीना भी कह चुके हैं कि इस बैठक के बाद आंदोलन की दिशा तय होगी। फिलहाल दो मई तक आंदोलन यथावत जारी रहने वाला है।

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संयोजक सैनी ने द मूकनायक से बात करते हुए कहा की यह सच है कि एक मई को ओबीसी आयोग के साथ हमारी बैठक होगी। हम चाहते हैं कि बैठक में आयोग हमारी बात गौर से सुने। एक कमेटी गठित कर हमारा सर्वे कराया जाए। सर्वे की समय सीमा तय हो। इसके आंदोलन की अग्रिम रणनीति बनाएंगे। हालांकि संयोजक द्वारा घोषित दो मई की डेडलाइन आंदोलन की दिशा को लेकर बहुत कुछ इशारा कर रही है।

भरतपुर में राष्ट्रीय राजमार्ग 21 पर माली - सैनी आरक्षण आंदोलन स्थल के निकट मंगलवार 25 अप्रैल को पेड़ से लटक कर सुसाइड करने वाले मोहनलाल सैनी के परिजनों की सहमति के बाद प्रशासन ने बीते दिवस शुक्रवार को पोस्टमार्टम करवा दिया, लेकिन शनिवार दूसरे दिन शव लेने गए परिजनों को प्रशासन ने शव देने से इनकार कर दिया। आंदोलनकारियों का आरोप है कि मृतक के परिजनों ने पोस्टमार्टम की सहमति दी है। अब वह अंतिम संस्कार करना चाहते हैं, लेकिन प्रशासन शव नहीं दे कर मामले को उलझा रहा है।

फूले आरक्षण संघर्ष समिति संयोजक मुरारी लाल सैनी ने द मूकनायक को बताया कि मोहनलाल सैनी से जुड़ी मांगों पर मुख्यमंत्री के साथ वार्ता होना तय था, लेकिन परिवार किन्हीं कारणों से अंतिम संस्कार करना चाहता है। सहमति के बाद मुख्यमंत्री से वार्ता निरस्त कर शव के पोस्टमार्टम पर आंदोलन स्थल पर सर्वसम्मति से सहमति बनी थी।

सैनी ने कहा अंतिम संस्कार नहीं होने से परिवार के कुछ लोगों की हालत खराब है। अब पुलिस शव नहीं दे रही है। पुलिस शव देने के बहाने आंदोलन खत्म करने में दबाव बना रही है।

उन्होंने कहा परिवार की पीड़ा को समाज के सामने रख कर फूले आरक्षण संघर्ष समिति ने यह निर्णय लिया कि सैनी समाज वैर तहसील अध्यक्ष फूल सिंह और नदबई तहसील अध्यक्ष गोपाल सिंह को परिवार जनों के साथ अस्पताल भेजा है। समाज ने यह निर्णय लिया कि यह दोनों व्यक्ति परिवार के इच्छित स्थान पर शव का अंतिम संस्कार करवाने की व्यवस्था करेंगे। प्रशासन के पास परिजनों के साथ शव लेने गए। प्रशासन ने डेढ़ बॉडी को नहीं दिया है। उन्होंने कहा कि प्रशासन दबाव डाल रहा है कि मुरारी लाल सैनी, बदन सिंह कुशवाह, शैलेंद्र सिंह कुशवाह, अंजली सैनी में से कोई दो व्यक्ति आए आन्दोलन को हटा कर शव ले जाएं। सैनी ने कहा ऐसा नहीं होगा। आंदोलन चलता रहेगा।

इधर भरतपुर पुलिस अधीक्षक श्याम सिंह व जिला कलक्टर आलोक रंजन ने शनिवार को साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि मृतक के परिजन और आंदोलनकारियों का एक प्रतिनिधि मंडल यहां आया था। उनसे सभी पहलुओं पर वार्ता हुई। यहां यह निर्णय लेना था कि मृतक का सही जगह दहा संस्कार कैसे क्या किया जाए।

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एसपी श्याम सिंह ने कहा कि पूर्व जितनी भी बार आंदोलनकारियों से वार्ता में जो बात तय हुई है। वापस जाकर उन बातों पर आंदोलनकारी कायम नहीं रहे हैं। चाहे यहां की बात करें या जयपुर में हुई वार्ता की बात करें। ऐसे में आशंका है कि शव देने के बाद अंतिम संस्कार नहीं कर शव को धरना स्थल ले जाया जा सकता है। इसलिए परिजन, गांव वाले और आंदोलन स्थल से वार्ता के लिए आए प्रतिनिधि मिलकर यह तय कर लें की अंतिम संस्कार की प्रक्रिया को कैसे किया जाना है। इसलिए इन लोगों को वापस भेजा गया है। यह गांव वालों से भी बात करेंगे और आंदोलनकारियों से भी बात करेंगे। इसके बाद यह लोग जो कुछ निर्णय करेंगे इसके बाद हम फैसला लेंगे की अंतिम संस्कार किस तरह करवाया जाए।

एसपी श्याम सिंह ने शव नहीं देने के आरोपों को नकारते हुए कहा कि सहमति इन्हें आपस में बनानी है। हमारी तरफ से कोई मनाही नहीं है। हमने तो पोस्टमार्टम करवा दिया। डेडबॉडी देने को तैयार हैं, लेकिन पहले यह सुनिश्चित करें कि डेडबॉडी अंतिम संस्कार के लिए ही लें जाए, धरना स्थल के लिए नहीं। जबकि मुरारी लाल सैनी पहले ही कह चुके हैं कि परिजन अंतिम संस्कार करना चाहता है, लेकिन प्रशासन नहीं करने दे रहा है।

अब आंदोलन का नेतृत्व स्थानीय पंच पटेलों के नियंत्रण में

राजस्थान में 12 प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकर फूले आरक्षण संघर्ष समिति संयोजक मुरारी लाल सैनी के नेतृत्व में 21 अप्रैल को माली, सैनी, कुशवाह व शाक्य जातियों ने भरतपुर में एनएच 21 जाम कर आंदोलन का आगाज किया था।

यहां राष्ट्रीय राजमार्ग पर पहुंचने से पहले पुलिस ने फूले आरक्षण संघर्ष समिति संयोजक मुरारी लाल सैनी सहित 11 लोगों को गिरफ्तार कर लिया था। इसके बावजूद समाज जेल में बंद संयोजक व उनके नेतृत्व में गठित संघर्ष समिति को फॉलो कर आंदोलन कर रहा था।

समाज के दबाव के बाद राज्य सरकार ने सभी आंदोलनकारियों की रिहाई की पैरवी करते हुए जेल से बाहर निकलवाया। जेल से बाहर आने के बाद संघर्ष समिति संयोजक मुरारी लाल सैनी के नेतृत्व ने एक प्रतिनिधि मंडल सरकार के निमंत्रण पर मुख्यमंत्री से वार्ता के लिए जयपुर गया था।

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सरकार से सकारात्मक वार्ता की बात कहते हुए संयोजक ने आंदोलन स्थगित करने का आह्वान किया तो आंदोलनकारियों ने संयोजक के आह्वान को ठुकराते हुए 12 प्रतिशत आरक्षण मिलने तक आंदोलन जारी रखने की बात की थी। इस घटनाक्रम के बाद फूले आरक्षण संघर्ष समिति को बैकफुट पर धकेलते हुए स्थानीय पंच पटेलों ने सैनी माली आरक्षण आंदोलन का नेतृत्व अपने नियंत्रण में ले लिया।

स्वयं को फूले आरक्षण संघर्ष समिति अध्यक्ष बताते हुए चंद्रप्रकाश सैनी ने भी इस बात की पुष्ठी की है। सैनी ने द मूकनायक से कहा कि आंदोलन का नेतृत्व अब स्थानीय पंच पटेलों के नियंत्रण में है। हालांकि सैनी ने कहा कि समाज आरक्षण के मसले पर एक है। आंदोलन अभी भी चल रहा है। मांगे पूरी होने तक जारी रहेगा।

आंदोलन पर पंच पटेलों के नियंत्रण को लेकर फूले आरक्षण संघर्ष समिति संयोजक मुरारी लाल सैनी ने कहा ऐसा कुछ नहीं है। संघर्ष समिति और समाज मिलकर आंदोलन चला रहे हैं। उन्होंने कहा पूरे आंदोलन में अलग-अलग कमेटियां है। सबकी अपनी जिम्मेदारी है। खाने की व्यवस्था, आंदोलन स्थल पर रात्रि गश्त, मंच संचालन की अलग-अलग कमेटियां बनी है। आंदोलन से जुड़ा निर्णय फूले आरक्षण संघर्ष समिति की कोर कमेटी लेती है। कमेटी के निर्णय को समाज के समक्ष रखते हैं। समाज व कमेटी के सामंजस्य से पास होने के बाद निर्णय लागू किया जाता है। चाहे आंदोलन को आगे बढ़ाने का हो या प्रशासन से वार्ता के लिए सदस्य नियुक्त करने का निर्णय हो। ऐसा कतई नहीं है कि आंदोलन इधर-उधर भटक गया हो। आंदोलन नवम्बर 2013 से जैसे चल रहा था आज भी चल रहा है।

अनुसूचित जाति के मंत्री का फूंका पुतला

आरक्षण की मांग पर सरकार का सकारात्मक जवाब नहीं मिलने से गुस्साए आंदोलनकारियों ने वैर विधायक और पी डब्लू डी केबिनेट मंत्री भजन लाल जाटव का पुतला फूंका। आंदोलन कारियो ने वैर विधायक और पीडब्ल्यूडी मंत्री भजन लाल जाटव के खिलाफ मुर्दाबाद के नारे लगाए। फ़ोटो पर चप्पल मारी।

राष्ट्रीय फूले संघ अध्यक्ष एडवोकेट अंजली सैनी ने द मूकनायक से बात करते हुए कहा कि सैनी, कुशवाह, शाक्य, मौर्य, समाज कई वर्षों से राजस्थान में जनसंख्या के अनुपात में 12 प्रतिशत आरक्षण की मांग कर रहा है। एडवोकेट अंजली सैनी कहती हैं कि राजस्थान में हमारी आबादी 12 प्रतिशत के अंतर्गत आती है। जिसे लेकर हमारे समाज के द्वारा 12 जून 2022 को आंदोलन किया गया था। क्षेत्रीय मंत्री द्वारा आश्वासन देकर 16 जून 2022 को आंदोलन स्थगित करवा दिया गया। इसके बाद हमें तारीख पर तारीख मिलती रही, लेकिन कोई सकारात्मक परिणाम नहीं मिला। सरकार के टालमटोल रवैये से क्षुब्ध होकर समाज द्वारा पुनः 21 अप्रैल 2023 को आंदोलन करने की ठानी है।

उन्होंने आगे कहा हम संघर्षरत हैं। आंदोलन स्थल से एक 11 सदस्यी कमेटी मुख्यमंत्री से वार्ता के लिए जयपुर गई थी। तभी उनकी अनुपस्थिति में 25 अप्रैल को हमारे एक आंदोलनकारी मोहनसिंह सैनी ने आरक्षण को लेकर आत्मबलिदान दे दिया। जिसे लेकर समाज की मांग हैं कि मृतक आश्रित परिवार को एक करोड़ रुपया आर्थिक मदद, एक सदस्य को सरकारी नौकरी व शहीद का दर्जा दिया जाए।

इस मांग पर किसी भी प्रकार से सकारात्मक वार्ता नहीं हुई है। बल्कि प्रशासन शव नहीं दे रहा है। उन्होंने कहा कि हमारा सरकार से कहना है जब तक आरक्षण को लेकर फैसला समाज के पक्ष में नहीं होता है, आंदोलन जारी रहेगा।

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