राजस्थान: पाली जिला पुलिस न्याय दिलाने में करती है देरी?

सीएम की जन सुनवाई में 21 शिकायतें पुलिस के खिलाफ, पीड़ितों में दलित और आदिवासी भी शामिल.
राजस्थान: पाली जिला पुलिस न्याय दिलाने में करती है देरी?

जयपुर। मूँछ रखने पर दलित युवक की हत्या हो या फिर मंदिर की जमीन पर जबरन कब्जा कर रहे लोगों पर कार्रवाई नहीं होने पर मजबूर होकर दलित पुजारी द्वारा आत्महत्या करने का मामला। ऐसे कई मामले है, जिनमें पाली जिला पुलिस ने लापरवाही बरती है। अब इस लापरवाही की शिकायत सूबे के मुख्यमंत्री तक पहुंची है। बात दलित और आदिवासियों को न्याय दिलाने का हो तो ग्राफ और गिर जाता है।

8 जून को पाली जिला कलक्टर नमित मेहरा द्वारा पुलिस अधीक्षक पाली के नाम लिखा पत्र भी कहीं ना कहीं पुलिस से न्याय में देरी के आरोपों पर मुहर लगाता नजर आ रहा है।

आपको बता दें कि बीते 3 और 4 जून को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पाली जिले के दौरे पर रहे थे। पाली जिला प्रवास के दौरा मुख्यमंत्री ने यहां की जनता की पीड़ा भी जानी।

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मुख्यमंत्री एक-एक कर लोगों से मिले। इस दौरान पाली पुलिस की लापरवाही और मनमानी से न्याय में हो रही देरी को लेकर भी दर्जनों लोगों ने मुख्यमंत्री के हाथों में परिवेदनाएं देकर न्याय की गुहार लगाई। समय पर न्याय नहीं मिलने की बात करने वालों में ज्यादातर लोग दलित, आदिवासी या इनसे जुड़े संगठनों से थे। मुख्यमंत्री ने परिवेदनाओं को गम्भीरता से लिया और पीड़ितों को समय पर न्याय दिलाने की व्यवस्था करने के लिए जिला कलक्टर पाली को निर्देशित किया।

कलक्टर ने एसपी को लिखा पत्र

मुख्यमंत्री द्वारा की गई जन सुनवाई का हवाला देते हुए 8 जून को जिला कलक्टर नमित मेहरा ने एसपी पाली के नाम पत्र में लिखा कि मुख्यमंत्री के द्वारा 3 और 4 जून को पाली जिले की यात्रा के दौरान 4 जून को पाली में जनसुनवाई की गई थी।

जन सुनवाई में आपके विभाग से सबंधित 21 ज्ञापन प्राप्त हुए हैं जो कि आपको आवश्यक कार्रवाई के लिए प्रेषित किए जा रहे हैं। कलक्टर ने आगे लिखा कि ज्ञात रहे कि यह प्रार्थना पत्र मुख्यमंत्री को परिवादियों / विभिन्न संगठनों द्वारा दिए गए थे। उक्त प्रार्थना पत्रों पर व्यक्तिशः ध्यान देकर ठोस कार्रवाई करते हुए पालना रिपोर्ट 13 जून तक कलक्टर कार्यालय को भिजवाना सुनिश्चित करें। कलक्टर ने आगे लिखा कि यह प्रयास रहना चाहिए कि अधिकतम प्रकरणों में परिवादियों को राहत दी जाए। जिन प्रकरणों में राहत देना सम्भव नहीं हो तो स्पष्ट कारणों के साथ रिपोर्ट भिजवाई जाए।

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पाली जिला पुलिस की मनमानी से न्याय नहीं मिलने की शिकायत करने वालों की कतार में जिले के सोजत रोड पुलिस थाना क्षेत्र के कुम्हारों का वास, सिनला निवासी गंगादेवी भील की पुत्री सीतादेवी भील भी थी। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति-जनजाति राजस्थान की महिला प्रकोष्ठ प्रदेशाध्यक्ष लक्ष्मी मीणा के साथ सीएम से न्याय की गुहार लगाने पहुंची सीता देवी भील ने बताया कि उसके माता-पिता की वह अकेली सन्तान है। 2012 में उसके पिता भंवरलाल की मृत्यु हो गई थी। इसके बाद पीड़िता का चाचा सम्पति हड़पने के लिए उसकी मां गंगादेवी को यातनाएं देने लगा। 9 मई 2021 को आरोपी चाचा ने साथियों के साथ मिल कर उसकी मां की हत्या कर दी। यह आरोप गंगा की बेटी सीता देवी भील ने लगाए हैं।

गंगादेवी की मौत के 15 महीने 10 दिन बाद, 19 अगस्त 2022 को बेटी सीतादेवी भील की रिपोर्ट पर सोजत रोड थाना पुलिस ने लगभग 15 लोगों को नामजद करते हुए हत्या के आरोप में प्राथमिकी भी दर्ज की। आरोप है कि हत्या के पर्याप्त साक्ष्य उपलब्ध करवाने के बाद भी पुलिस ने हत्या के केस में एफआर दे दी। पीड़िता की शिकायत पर पुलिस ने पुनः जांच शुरू तो कर दी, लेकिन अभी तक नतीजा नहीं निकला। पीड़िता का आरोप है कि जब वह कार्रवाई की जानकारी के लिए पुलिस थाने जाती है तो पुलिसकर्मी उसे कोई जानकारी नहीं देते। पुलिस पर हत्यारोपियों से मिलीभगत के आरोप भी लगाए गए हैं।

गौरतलब है कि सीतादेवी भील अपनी मां गंगादेवी के हत्यारोपियों को सजा दिलाने के लिए दो साल से अकेले ही सिस्टम से लड़ रही है।

पाली की ये घटनाएं भी महत्वपूर्ण

राजस्थान के ही पाली जिले में दो साल से सरकारी सिस्टम से प्रताड़ित एक दलित परिवार ने सोमवार 29 मई को मुख्यमंत्री के गृह जिला जोधपुर मुख्यालय के रावण का चबूतरा मैदान स्थित पानी की टंकी पर चढ़ कर आपबीती सुनवाई और न्याय की गुहार लगाई थी। यह मामला खासी चर्चा में रहा। यहां भी पाली पुलिस पर आरोप लगे थे।

न्याय के लिए पानी की टंकी पर चढ़ने वाले दलित अशोक कुमार मेघवाल की मां और गर्भवती बहन के साथ मारपीट के आरोप में 19 मार्च 2021 को पाली जिले के रोहट पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज हुई थी।

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जोधपुर में पानी को टंकी से उतरने के बाद अशोक मेघवाल ने द मूकनायक को बताया था कि वह परिवार के साथ पाली के रोहट थाना इलाके के सिराणा गांव में रहता है। गांव में उनका पुश्तैनी पट्टा शुदा भूखण्ड है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मां ने इसी भूखण्ड पर मकान बनाया हुआ है। पड़ोसी लीला पत्नी मंगलाराम मेघवाल और देवी पत्नी भीमाराम के आवासीय पट्टों में भी प्रार्थी के पिता मांगीलाल पुत्र हंसराज मेघवाल के भूखण्ड का जिक्र किया गया है। गांव के यशपाल राजपूत ने फर्जी पट्टा तैयार कर हमारे पट्टा शुदा आवास को स्वयं का बता कर मकान हड़प लिया।

6 मार्च 2021 को हुकमसिंह पुत्र गजेसिंह राजपूत ने गांव में एक पंचायत बुलाकर अशोक मेघवाल के परिवार को गांव से बहिष्कृत कर गांव छोड़ने का फरमान सुना दिया। गांव में रहने पर परिवार को जान से मारने की धमकी दी। आरोपी तब से गांव से बाहर जोधपुर में रह रहे है।

राजस्थान के पाली जिले के बाली थाना क्षेत्र में 15 मार्च 2022 को जितेंद्रपाल मेघवाल नाम के दलित युवक की चाकू से गोदकर हत्या कर दी गई थी। क्योंकि जितेन्द्र मूंछों का शौकीन था। जितेंद्र के परिजनों के अनुसार, गांव के ही सवर्ण जाति के लोग उसकी मूंछों को पसंद नहीं करते थे, इसलिए जितेन्द्रपाल की हत्या कर दी। हालांकि, राजस्थान पुलिस का दावा है कि हत्या मूंछों की वजह से नहीं बल्कि पुरानी रंजिश की वजह से हुई। 2020 में जितेंद्र ने अपने साथ मारपीट को लेकर अभियुक्तों के खिलाफ केस भी दर्ज कराया था।

जितेन्द्र की मां ने बताई थी हत्या की वजह

घटना के सत्यता जाने के लिए द मूकनायक राजस्थान में पाली के जितेन्द्रपाल मेघवाल के घर ग्राउंड जीरो पर पहुंचा था। जितेन्द्रपाल की मां ने नम आंखों से रुंधे गले से द मूकनायक को बताया था कि उसका बेटा मूँछ रखने का बहुत शौकीन था। मूछों को लेकर उसकी हत्या की गई है।

मूंछ रखने पर दलित की हत्या के बाद मृतक के घर के बाहर पुलिस ने पहरा डाल दिया था। न्याय में देरी को लेकर यह मामला देश भर में चर्चा में रहा था।

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