राजस्थान: अब मतदान से पहले उम्मीदवारों को खुद के आपराधिक रिकार्ड का करना होगा प्रचार-प्रसार

भारत निर्वाचन आयोग ने विधान सभा चुनाव में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों की जानकारी सार्वजनिक करने को लेकर दिशा निर्देश जारी किए हैं। आयोग का यह निर्णय लोकतंत्र की स्वच्छ राजनीति के लिए मील का पत्थर साबित होगा। उम्मीदवारों को आपराधिक रिकार्ड की जानकारी निर्धारित फार्मेट में समाचार पत्रों व टीवी चैनलों पर देनी होगी।
राजस्थान: अब मतदान से पहले उम्मीदवारों को खुद के आपराधिक रिकार्ड का करना होगा प्रचार-प्रसार

जयपुर। विधानसभा चुनाव में विधायक पद के उम्मीदवारों को इस बार अपना आपराधिक रिकार्ड सार्वजनिक करना होगा। इसके लिए निर्धारित समयावधी में उम्मीदवार व संबंधित राजनीतिक दल को समाचार पत्रों व टीवी चैनलों में आपराधिक रिकार्ड का प्रचार-प्रसार करना होगा। भारत निर्वाचन विभाग ने इस संबंध में दिशा निर्देश जारी किए हैं।

गौरतलब है कि इससे पूर्व भी उम्मीदवार नामांकन पत्र के साथ हलफनामे में अपना आपराधिक रिकार्ड बताते थे, लेकिन यह मतदान से पूर्व पब्लिक डोमेन में नहीं होता था। इस बार मतदान से पूर्व उम्मीदवारों को आपराधिक रिकार्ड समाचार पत्रों व टीवी चैनलों के माध्यम से सार्वजनिक करना अनिवार्य किया गया है। साथ ही राजनीतिक दल को भी यह बताना होगा कि आखिर आपराधिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्ति को ही उनके दल का उम्मीदवार क्यों बनाया गया है। निर्वाचन विभाग के इस निर्णय को लेकर आमजन में खासी चर्चा है। साथ ही लोगों ने इसका स्वागत भी किया है।

भारत निर्वाचन आयोग के अनुसार विधानसभा सामान्य चुनाव 2023 के दौरान आपराधिक रिकार्ड वाले उम्मीदवारों और संबंधित राजनैतिक दलों को उम्मीदवार की आपराधिक पृष्ठभूमि की जानकारी 3 बार अलग-अलग तय समयावधि में समाचार पत्रों में प्रकाशित तथा टीवी चैनल्स में प्रसारित कराना होगा।

मुख्य निर्वाचन अधिकारी प्रवीण गुप्ता ने प्रेस नोट जारी कर बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अनुपालना में आयोग ने उम्मीदवारों के आपराधिक रिकॉर्ड (यदि कोई हो तो) के बारे में जानकारी प्रसारित करने के संबंध में दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। सभी के लिए दिशा निर्देशों की पालना अनिवार्य की गई है। ऐसा नहीं करने पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।

सभी राजनैतिक दलों को जिनके द्वारा आपराधिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्तियों को उम्मीदवार बनाया गया है, उन्हें भारत निर्वाचन आयोग द्वारा निर्धारित फॉर्मेट प्रारूप सी-7 में ऐसे अभ्यर्थी के चयन से 48 घंटे के भीतर यह प्रकाशित करना होगा कि उनके द्वारा आपराधिक पूर्वावृत्त रखने वाले व्यक्ति को ही उम्मीदवार क्यों चुना गया है। उक्त प्रकाशन की सूचना ऐसे राजनैतिक दलों को प्रारूप सी-8 में 72 घंटे के भीतर भारत निर्वाचन आयोग को भी प्रेषित किया जाना आवश्यक होगा। आपराधिक मामलों के प्रचार-प्रसार के लिये उन्हें फॉर्म सी-1 व सी-2 के द्वारा राष्ट्रीय व स्थानीय समाचार पत्रों एवं टीवी चैनल्स में प्रसारित करवाना होगा।

विधान सभा सदस्य पद के चुनाव उम्मीदवार द्वारा भरे गए नामांकन पत्र में यदि स्वयं के संबंध में कोई आपराधिक मामला दर्ज होने की सूचना दी जाती है, तो अभ्यर्थी एवं संबंधित राजनीतिक दल को आयोग के निर्देशानुसार निर्धारित फॉर्मेट में जानकारी प्रकाशित व प्रसारित करवानी होगी। आयोग के अनुसार विधानसभा चुनाव के उम्मीदवारों में यदि किसी का आपराधिक रिकार्ड है, तो प्रथम प्रचार नामांकन वापसी की अवधि के प्रथम चार दिनों के भीतर, दूसरा प्रचार अगले पांच से 8 दिनों के बीच तथा तीसरा प्रचार 9 वें दिन से प्रचार अभियान के अंतिम दिन तक (मतदान दिवस से दो दिन पूर्व तक) विज्ञापन समाचार पत्रों व टीवी चैनल पर प्रकाशित, प्रसारित करने होंगे।

यह तिथि की गई निर्धारित

आपराधिक रिकार्ड वाले उम्मीदवारों को समाचार पत्रों व टीवी चैनलों में पहली बार 10 से 13 नवम्बर के बीच, दूसरी बार 14 से 17 नवम्बर के बीच तथा तीसरी बार 18 नवम्बर से चुनाव प्रचार की अंतिम तिथि 23 नवम्बर तक ऐसे राष्ट्रीय स्तर के समाचार पत्र जिनकी प्रसार संख्या 75 हजार प्रतिदिन हो तथा स्थानीय समाचार पत्र जिसकी प्रतिदिन 25 हजार प्रतियां प्रकाशित होती हो, में प्रकाशित करवाना होगा। इसी प्रकार विभिन्न टीवी चैनल में भी इनका प्रसारण करवाना होगा, जिसकी समयावधि प्रात: 8 से रात्रि 10 बजे के बीच न्यूनतम 7 सैकंड के लिए की जानी आवश्यक होगी।

आपराधिक पृष्ठभूमि वाले माननियों की भरमार

यह कड़वा सच है कि राजनीति में आपराधिक पृष्ठभूमि वालों की महत्ता बढ़ी है। राजनीतिक दलों की भी ऐसे लोग पहली पसंद बनने लगे हैं। यह विचारणीय है। आम मतदाता को भी इस पर गंभीरता से विचार करना होगा। तत्कालीन राजस्थान विधानसभा चुनावों में प्रदेश में बड़ी संख्या में आपराधिक पृष्ठ भूमि वाले विधायक चुनाव जीत कर विधानसभा में पहुंचे थे। एक रिपोर्ट के अनुसार 199 विधायकों में से 46 विधायकों पर यानी 23 प्रतिशत पर आपराधिक मामले हैं। 28 विधायकों यानी 14 प्रतिशत पर गंभीर अपराध के केस हैं।

इलेक्शन वॉच से जुड़ी एजेंसी एडीआर ने विधायकों की अपराधिक पृष्ठभूमि और संपति संबंधी जारी रिपोर्ट के अनुसार एक विधायक के खिलाफ हत्या से संबंधित मामला है। चार विधायकों पर हत्या का प्रयास से संबंधित यानी धारा 307 में मामले दर्ज हैं। इस रिपोर्ट के अनुसार कांग्रेस के 108 विधायकों में से 27 यानी 25 प्रतिशत और भाजपा के 69 से 11 यानी 16 प्रतिशत पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनके अलावा अन्य कुछ विधायकों ने भी हलफनामे में अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं। निर्दलियों में से चार के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले हैं।

लोकतंत्र की स्वच्छ राजनीति में मील का पत्थर

सवाईमाधोपुर के सामाजिक कार्यकर्ता एडवोकेट प्रसाद योगी ने निर्वाचन आयोग के इस निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि यह लोकतंत्र में स्वच्छ राजनीति के लिए मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने कहा कि इससे पहले तक चुनाव में उम्मीदवार अपनी अपराधिक पृष्ठ भूमि के रिकार्ड का हलफनामा देकर फाइल में बंद रखता था। पहली बार उम्मीदवार का आपराधिक रिकार्ड सार्वजनिक रूप से प्रकाशित व प्रसारित होगा। ऐसे में मतदाताओं को भी उम्मीदवार के बारे में पहले से सब कुछ पता चल जाएगा। उसे सोच समझ कर अपना प्रतिनिधि चुनने का मौका मिलेगा। निष्पक्ष होकर अपनी समझ से मतदान किया जा सकेगा। निर्वाचन आयोग के इस निर्णय के बाद आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोगों के विधानसभा में पहुंचने पर अंकुश लगेगा। इससे पहले मतदाता को पता नहीं होता था कि वह जिसको मतदान करने वाला है उसकी आपराधिक पृष्ठ भूमि क्या है। अब पहले से सबको पता चल जाएगा। राजनीतिक अपराध पर भी अंकुश लगेगा। चुनाव में जाने से पहले उम्मीदवार को सोचना होगा। एडवोकेट योगी कहते हैं कि इसे ही पारदर्शिता व जवाबदेहिता कहते हैं। आगे चलकर इसके सकारात्मक परिणाम आने वाले हैं।

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