सामाजिक न्याय राजनीति की काट बना मंदिर आंदोलन

सामाजिक न्याय राजनीति की काट बना मंदिर आंदोलन
लेख- असद रिज़वी

लोकसभा चुनाव 2024 से पहले समाजवादी पार्टी (सपा) “सामाजिक न्याय” को राजनीति के केंद्र में लाने का प्रयास कर रही है। पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यकों को एकजुट करने के लिए सपा ने 17 जनवरी, बुधवार, को संविधान बचाओ- देश बचाओ समाजवादी पीडीए यात्रा शुरुआत की है।

सपा अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का कहना है कि केंद्र और प्रदेश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सरकार संविधान और लोकतंत्र को ख़त्म कर रही है। उनके अनुसार इस यात्रा के माध्यम से लोकतंत्र की रक्षा का संदेश गांव-गांव तक जाएगा।

हालाँकि कहा यह जा रहा कि “मंडल" की राजनीति” करने वाली सपा, इस यात्रा के माध्यम से, पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यकों को गोलबंद करने का प्रयास कर रही है। यही कारण है कि बीजेपी “कमंडल” की राजनीति के ज़रिए अखिलेश को घेरने की कोशिश कर रही है।

राजनीति के जानकर मानते हैं कि यही कारण है कि बुधवार को जब अखिलेश सामाजिक न्याय पर आधारित पीडीए यात्रा को हरी झंडी दिखाने वाले थे, उसी समय राजधानी लखनऊ स्थित उनकी पार्टी के मुख्यालय के सामने श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर, मथुरा का होर्डिंग लगाया गया, जिसमें सपा प्रमुख को यादव समाज का नायक बताते हुए उन से मथुरा पर उनका पक्ष स्पष्ट करने को कहा गया था।

इस होर्डिंग में स्वयं को श्रीकृष्ण जन्मभूमि के पक्षकार बताने वाले मनीष यादव, ने सपा दफ़्तर के सामने लगाया था। राजनीति के जानकार मानते हैं कि बीजेपी सीधे तौर पर नहीं बल्कि सामाजिक न्याय की लड़ाई को अप्रत्यक्ष से चुनौती देना चाहती है।

जिसकी वजह स्पष्ट है कि वह ग़ैर-यादव पिछड़ों को नाराज़ नहीं करना चाहती है। क्योंकि ऐसा देखा गया है कि नरेंद्र मोदी की राष्ट्रीय राजनीति में प्रवेश के बाद 2014 आम चुनावों से ग़ैर-यादवों जिनकी आबादी प्रदेश में 35 प्रतिशत है, का झुकाव बीजेपी की तरफ़ है। अगड़ी जातियों के साथ ग़ैर-यादव पिछड़ों और ग़ैर-जाटव दलितों को गोलबंद कर बीजेपी प्रदेश की राजनीति पर पिछले 10 साल से कब्ज़ा जमाये हुए है।

ग़ैर-यादवों के बीजेपी की तरफ़ झुकाव ने सपा को प्रदेश में कमज़ोर कर दिया है। प्रदेश की सत्ता से 2017 में बाहर जाने के बाद से अब तक सपा कई राजनीतिक प्रयोग किये, जैसे 2019 में बहुजन समाज पार्टी से हाथ मिलाया और 2022 विधानसभा चुनावों में छोटी जातिगत पार्टियों को गोलबंद किया लेकिन बीजेपी का विजय रथ नहीं रोक सकी है।

हालाँकि, विधानसभा चुनाव 2022 में, छोटे जाति आधारित दलों को गोलबंद करने और मुसलमानों, जिनकी जनसंख्या क़रीब 19-20 प्रतिशत है, के समर्थन से सपा ने बीजेपी को बड़ी चुनौती दी थी। सपा चुनाव तो नहीं जीत सकी लेकिन वह 403 सीटों वाली विधानसभा में, 2017 की 47 सीटों में मुक़ाबले में 2022 में 111 सीटों पर आ गई।

विधानसभा चुनाव 2022 में सपा को 32.06 वोट मिला, जो उसका पार्टी की 1992 में स्थापना से अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन माना जाता है। इस चुनाव में बीजेपी अपनी सत्ता बचाने में सफल रही लेकिन उसका बड़ा नुक़सान हुआ। विधानसभा चुनाव 2017 में 313 सीटें जितने वाली बीजेपी 2022 के चुनावों में 255 सीटों पर सीमित हो गई।

अब जब लोकसभा चुनाव 2024 नज़दीक हैं सपा ग़ैर-यादवों और दलितों को अपने साथ गोलबंद करने का प्रयास कर रही है। जब बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पिछले वर्ष 2023 में प्रदेश की जातिगत जनगणना के आकड़े सार्वजानिक किये तब से देश की क़रीब सभी विपक्षी पार्टियाँ “सामजिक न्याय” को बीजेपी के “हिन्दुत्व” के मुक़ाबले हथियार दोबारा देखने लगी हैं।

उत्तर प्रदेश में प्रमुख विपक्षी पार्टी सपा के मुखिया अखिलेश, सामाजिक न्याय की राजनीति को पहले से ही अपने फॉर्मूले पीडीए यानी पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यकों की गोलबंदी के सहारे आगे ले जाना चाहते थे। हालांकि बाद मे उन्होने इस राजनीति को पीड़ित अगड़ो को जोड़कर और व्यापक करने का प्रयास किया है।

बीजेपी जानती है अगर यह फ़ार्मूला सफल हुआ तो उसको देश के महत्वपूर्ण राज्य जहाँ से 80 सांसद, संसद जाते हैं, वहाँ बड़ा नुक़सान हो सकता हैं। इसी लिए कहा जा रहा कि बीजेपी द्वारा अप्रत्यक्ष से अखिलेश को धर्म की राजनीति में फंसाने का प्रयास हो रहा है।

मथुरा का मुद्दा इस लिए गर्म किया जा रहा है ताकि सपा के आधर वोट को कमज़ोर किया जा सके। जानकार कहते हैं अखिलेश को मथुरा के मुद्दे पर बोलने से पहले बहुत सावधानी बरतनी होगी। क्योंकि यह मामला बाबरी मस्जिद से अलग है, जिसके समर्थन में अखिलेश के पिता और सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव खुल के खड़े थे।

लेकिन अगर मथुरा के मसले में अखिलेश मस्जिद के समर्थन में बोलते हैं तो स्वयं उनकी जाति यादव जो श्रीकृष्ण को अपना भगवान मानती नाराज़ हो सकती है और अगर मंदिर का समर्थन करते हैं तो मुस्लिम जो सपा की स्थापना से अब तक, क़रीब तीन दशकों से, हर चुनाव में पार्टी के समर्थन में रहे हैं, किसी दूसरे दल में जा सकते हैं।

इसीलिए इस होर्डिंग को भी बीजेपी के एक अप्रत्यक्ष प्रयास के रूप में देखा जा रहा है, ताकि प्रमुख विपक्षी पार्टी साम्प्रदायिकता की राजनीति में फंस जाये और उनकी सामाजिक समीकरण, आगामी आम चुनावों से पहले बिगड़ जाये।

बता दें कि आज लगाई गई होल्डिंग पर शाही ईदगाह, मथुरा की तस्वीर के साथ लिखा था कि "लोकतंत्र की देखो शान, कब्ज़े में श्रीकृष्ण जन्मस्थान"।

प्रभु श्रीराम जन्मस्थान में विराजमान होने जा रहे हैं। प्रभु श्रीकृष्ण (मूल) जन्मस्थान पर कब विराजमान होंगे?

धर्म के नायक भगवान श्रीकृष्ण का भव्य और दिव्य मन्दिर मथुरा में वास्तविक गर्भ गृह पर बने इस आन्दोलन में अपना सहयोग दें।

यादव समाज के नायक अपना पक्ष स्पष्ट करने के लिए श्रीकृष्ण जन्मस्थान प्रकरण पर खुला पत्र लिखकर यादव समाज को जवाब दें।

मनीष यादव, मुख्य पक्षकार, श्रीकृष्ण जन्मभूमि

कुछ राजनीतिक के जानकार कहते हैं कि इस तरह कि होर्डिंग पोस्टर को नज़र-अंदाज कर देना चाहिए हैं। लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता डॉ लक्ष्मण यादव इस होर्डिंग को बीजेपी और संघ के षड़यंत्र के रूप में देखते हैं। वह कहते हैं कि यह एक साज़िश है ताकि मंडल की राजनीति कमज़ोर किया जा सके। वह मानते हैं केवल मंडल राजनीति सामजिक न्याय का मुद्दा ही कमंडल के हिन्दुत्व को पराजित कर सकता है।

राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं यह अखिलेश की राजनीतिक अनुभव की परिक्षा है कि वह इस समस्या को कैसे सुलझाते हैं। डॉ उत्कर्ष सिन्हा का कहना है आगामी लोकसभा चुनावों में मंडल-कमंडल एक बार फ़िर आमने-सामने होंगे। बीजेपी, हिन्दुत्व की राजनीति चुन चुकी है वह अयोध्या के बाद काशी मथुरा पर हिन्दुत्व की राजनीति करेगी। अब देखना यह हैं सपा, दक्षिणपंथी राजनीति के जाल में फंसती हैं या अपना एजेंडा स्वयं खड़ा करती है।

ओबीसी अधिकारों के लिए मुखर पंकज चौरसिया कहते हैं भूमिहीन अतिपिछड़ी जातियों के लिए धर्म कभी राजनीतिक मुद्दा नहीं रहा है। उनका मुद्दा हमेशा रोटी रोजी था और यही रहेगा। हालाँकि चौरसिया कहते हैं अक्सर देखा गया है भूमि स्वामित्व वाली पिछड़ी जातियां जैसे यादव आदि अक्सर धर्म की राजनीति में फंस जाती हैं।

बाते दें कि सपा के मुखिया अखिलेश ने बुधवार को राजधानी स्थित पार्टी मुख्यालय लखनऊ से पार्टी के अनुसूचित जाति प्रकोष्ठ के अध्यक्ष राहुल भारती के नेतृत्व में संविधान बचाओ- देश बचाओ समाजवादी पीडीए यात्रा को रवाना किया।

अखिलेश ने कहा यह यात्रा कई ज़िलों में जाकर पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यकों और पीड़ित अगड़ो लोगों को समाजवादी आंदोलन से जोड़ेगी और उसे मज़बूत करेगी और संविधान बचाने का काम करेगी।

अखिलेश ने कहा कि हम इंडिया गठबंधन को मज़बूत कर रहे हैं। हम पीडीए को मज़बूत करके इंडिया गठबंधन को मज़बूत करेंगे और लोकसभा चुनाव में हमारा पीडीए भाजपा के राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को हराएगा।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा बीजेपी के सबका साथ के नारे से ग़ैर-बराबरी समाप्त नहीं हो सकती है। समाजवादी पार्टी पिछड़े, दलितों, अल्पसंख्यकों को सम्मान और हक़ दिलाने की लड़ाई लड़ रही है। उन्होंने वादा किया किया समाजवादी सरकार आने पर जातीय जनगणना कराकर सभी को सामाजिक न्याय दिलाया जाएगा।

अपनी पार्टी के बारे में अखिलेश कहा कि सपा, समाजवादी मूल्यों को बचाने का काम कर रही है। इसलिए लोकतंत्र और संविधान बचाने की सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी समाजवादियों की है। सपा ने आगे कहा कि आज कुछ पार्टियां नफरत फैला रही है और समाज में ज़हर घोलने का काम कर रही है।

सपा प्रमुख ने बीजेपी सरकार पर हमला बोलते हए कहा कि किसान-नौजवान सभी लोग दुःखी और परेशान हैं। महंगाई-बेरोजगारी से आम जनता त्रस्त है। बीजेपी सरकार की ग़लत नीतियों के कारण, इनके 10 साल में आर्थिक तंगी और कर्ज के चलते एक लाख से ज्यादा किसानों ने आत्महत्या कर ली है।

देश की अर्थव्यवस्था पर बोलते हुए पूर्व मुख्यमंत्री कहते हैं कि बीजेपी सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था को ऐसे रास्ते पर पहुंचा दिया है जहां नौकरियां ख़त्म हो रही है। नौजवान सीवी लेकर घूम रहे हैं। युवाओं को सम्मानजनक नौकरी नहीं मिल रही है। दूसरी ओर भाजपा सरकार तीर्थयात्रा पर है। पीड़ित लोगों की तकलीफ कौन सुनेगा?

अखिलेश यादव ने कहा कि बीजेपी सरकार जानबूझकर अग्निवीर योजना लाकर सेना में भी नौजवानों को आधी अधूरी नौकरी दे रही है। उन्होंने वादा किया कि उनकी पार्टी की सरकार में अग्निवीर योजना ख़त्म करके नौजवानों को सम्मानजनक पहले जैसी सेना में नौकरी दी जाएगी।

विधानसभा कार्यवाहियों पर बोलते हुए उन्होंने कहा बीजेपी सरकार लोकतांत्रिक परम्पराओं की धज्जियां उड़ा रही है। सरकार विधानसभा में सदस्यों के सवालों का जवाब नहीं देती। मैंने खुद छुट्टा सांडो की समस्या और छुट्टा जानवरों के कारण प्रदेश भर में हुई आम जनता और किसानों की मौत की सूची मांगी, स्वास्थ्य और बेरोज़गारी के आंकड़ों पर सरकार से जवाब मांगा लेकिन बीजेपी सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया।

उनके अनुसार सरकार विपक्ष के सवालों का जवाब नहीं देती। भाजपा सरकार चाहती है कि उससे कोई सवाल न करे। जब लोकसभा में सदस्यों के सवालों से बचने के लिए करीब 150 सांसदों को निलम्बित कर दिया गया तो, इस सरकार से क्या उम्मीद की जा सकती है?

सपा अनुसूचित जाति प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल भारती ने संविधान बचाओ लोकतंत्र बचाओ पीडीए यात्रा के पर बोलते हुए कहा यह यात्रा गांव-गांव जाकर पिछड़ों, दलितों, अल्पसंख्यकों को संविधान और लोकतंत्र पर हो रहे हमले से जागरूक करेगी। लोगों के बीच पीडीए की समस्याओं पर समस्याओं पर चर्चा करेगी।

‘‘संविधान बचाओ-देश बचाओ, समाजवादी पीडीए यात्रा‘‘ 17 जनवरी को लखनऊ से प्रारम्भ 18 जनवरी को हरदोई, 19 जनवरी को शाहजहांपुर, 20 जनवरी को बदायूं, 21 जनवरी को सम्भल तथा 22 जनवरी को मुरादाबाद पहुंचेगी।

जिसके बाद यह पीडीए यात्रा 23 जनवरी को बिजनौर, 24 जनवरी को बाया हरिद्वार होते हुए 25 जनवरी को सहारनपुर, 26 जनवरी को शामली, 27 जनवरी को मुजफ्फरनगर, 28 जनवरी को मेरठ, 29 जनवरी को गाज़ियाबाद पहुंचेगी।

राहुल भारती कहते हैं कि यह यात्रा देश में भाजपा सरकार बदलने के पीडीए के सपने को पूरा करने की दिशा में काम करेगी।

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