सगोत्र शादी की ऐसी सज़ा क्यों? ओडिशा में प्रेमी जोड़े को बनाया बैल, हल से जोतवाया खेत!

ओडिशा के रायगढ़ा जिले में सगोत्र विवाह करने पर आदिवासी प्रेमी युगल को मध्ययुगीन बर्बरता का सामना करना पड़ा; बैलों की तरह जोतने, पीटने और गाँव से निकालने की सजा
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ओडिशा के कोरापुट में प्रेम विवाह करने पर जोड़े को हल में बांधकर गांव में घुमायाफोटो साभार- सोशल मीडिया
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लेख- डिग्री प्रसाद चौहान, संयोजक, छत्तीसगढ़ एसोसिएशन फॉर जस्टिस एण्ड इक्वालिटी (केज)

ओडिशा राज्य मे रायगडा जिले के कंजामाझिरा/ कंजामाजोडी गाँव के रहने वाले एक सगोत्र युवक और युवती का आपस मे प्रेम हो गया और उन्होंने शादी कर ली. स्थानीय समुदाय इससे आक्रोशित हो गया और प्रेमी युगल को एक ही गोत्र के होने के कारण क्रूर दंड दिया गया. रिपोर्ट्स के अनुसार, इस युगल को दंडित करने के लिए उन्हें लकड़ी के जुए से बाँध दिया, बैलों की तरह खेत जोतने के लिए मजबूर किया गया, कोड़ों से पीटा गया और गाँव से निकाले जाने का फरमान दिया सुनाया गया . यह कृत्य  बुधवार को कल्याणसिंहपुर ब्लॉक के शिकारपाई पंचायत के अंतर्गत कंजामाजोडी गांव में कारित किया गया है.

परंपरागत सामाजिक और पितृसतात्मक एवं जातिगत विधानों व मानदंडों के विरुद्ध विवाह करने वाले इस युवा जोड़े को दंडित करने और अपमानित करने के इरादे से, स्थानीय लोगों के  भीड़ ने उन्हें खेत मे बैलों की मानिंद जुए से बाँध दिया और उनके कंधों पर हल  डालकर उन्हें जमीन जोतने के लिए मजबूर किया गया.एक वीडियो में स्थानीय लोगों के भीड़ द्वारा एक प्रेमी युगल को डंडे से हांकते -पीटते हुए दिखाया जा रहा है. इस विचलित करने वाली घटना का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से साझा किया जा रहा है, जो बहुत ही हृदय विदारक है.

परम्परागत समाज व्यवस्था द्वारा आदिवासी युगल के खिलाफ यह जघन्य कृत्य बतौर सजा और  'शुद्धिकरण' के नाम पर किया गया है. सूत्रों ने बताया है कि जब यह रिश्ता सामने आया, तो गाँव के बुजुर्गों ने एक पारंपरिक परिषद की बैठक बुलाई और सज़ा का ऐलान किया. यह तथाकथित 'न्याय' गाँव की जनता द्वारा सार्वजनिक रूप से मुकर्रर किया गया है. असल मे समुदाय का यह कृत्य मध्ययुगीन- सामन्ती परंपराओं का वह अवशेष है जो देश की आज़ादी के बाद भी पितृसत्तात्मक और जातिवादी मान्यताओं का आज के समाज में भी उसके वजूद की ओर इंगित कर रहा है.  यह कृत्य आधुनिक काल के समूचे सभ्यता पर एक गोल धब्बा है.

यह बर्बर कृत्य मौलिक और मानवाधिकारों का उल्लंघन तथा मानवीय गरिमा का अपमान है. मध्ययुगीन और पितृसत्तात्मक निगरानी न्याय के  सापेक्ष में  सार्वजनिक अपमान के ऐसे कृत्य न केवल अपराधिक हैं, बल्कि भारतीय संविधान में निहित समानता, स्वतंत्रता और न्याय के सिद्धांतों का भी गंभीर उल्लंघन करते हैं.

केज पीड़ित युगल के साथ एकजुटता में खड़ा है और इस घटने में पीड़ितों के आश्रय और संरक्षण के साथ ही इस जघन्य अपराध के लिए दोषियों के खिलाफ़ तत्काल कानूनी कार्रवाई की मांग करता है. हम ओडिशा राज्य सरकार और कानून प्रवर्तन अधिकारियों से आग्रह करते हैं कि :

1. घटना की गहन और निष्पक्ष जाँच करें.

2. यह सुनिश्चित करें कि अपराधियों को कानून की पूरी सीमा के तहत न्याय के कटघरे में लाया जाए.

3. पीड़ितों को तत्काल सुरक्षा, सहायता और पुनर्वास प्रदान करें.

4. भीड़ के द्वारा हिंसा के ऐसे कृत्यों को रोकने और व्यक्तिगत अधिकारों और स्वतंत्रताओं का सम्मान सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय कदम उठाएँ.

छत्तीसगढ़ एसोसिएशन फॉर जस्टिस एण्ड इक्वालिटी ओडिशा में घटित हुये इस चौंकाने वाली और अमानवीय घटना की कड़ी निंदा करता है. सभी समुदायों से ऐसी पुरातन और अमानवीय प्रथाओं को अस्वीकार करने और सद्भाव, सम्मान और समानता को बढ़ावा देने की दिशा में काम करने का आग्रह करता है.

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