
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में राजस्व विभाग की लेखपाल भर्ती का विज्ञापन जारी होते ही सियासी पारा चढ़ गया है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और वरिष्ठ नेता लालजी वर्मा ने भर्ती प्रक्रिया में ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) आरक्षण में बड़ी सेंधमारी का आरोप लगाते हुए योगी सरकार पर तीखा हमला बोला है। सपा ने इसे "आरक्षण घोटाला" करार देते हुए दावा किया है कि ओबीसी वर्ग को संविधान प्रदत्त 27% आरक्षण के बजाय मात्र 18% हिस्सेदारी दी गई है।
क्या है पूरा मामला?
उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UPSSSC) द्वारा जारी लेखपाल भर्ती विज्ञापन के अनुसार कुल 7994 पदों पर नियुक्तियां होनी हैं। विपक्षी नेताओं द्वारा पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक, आरक्षण के गणित में बड़ा झोल हुआ है:
कुल पद: 7994
संविधान के अनुसार 27% ओबीसी आरक्षण: 2158 पद होने चाहिए।
विज्ञापन में ओबीसी के लिए आरक्षित पद: मात्र 1441 पद।
नतीजा: ओबीसी अभ्यर्थियों के कोटे से सीधे तौर पर 717 पद कम कर दिए गए हैं।
दूसरी ओर, EWS (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) को पूरे 10% के हिसाब से 792 पद दिए गए हैं।
अखिलेश यादव का हमला: 'नये नवेले प्रदेश अध्यक्ष सामने आएं'
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' (पूर्व में ट्विटर) पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा सरकार को "संविधान और आरक्षण विरोधी" बताया। उन्होंने लिखा:
"भाजपा OBC के लिए संविधान द्वारा निश्चित 27% आरक्षण में से 1/3 आरक्षण को नकारकर अपना असली ‘संविधान-आरक्षण विरोधी’ चेहरा दिखा रही है। अब नये नवेले भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष जी सामने आएं और ओबीसी आरक्षण की हक़मारी से बचाएं। ओबीसी के 717 लेखपाल के पद की भर्ती होने से पहले लूट हो गई है।"
लालजी वर्मा बोले- 'आरक्षण की लूट कब तक?'
सपा के राष्ट्रीय महासचिव और अंबेडकरनगर से सांसद लालजी वर्मा ने इसे 'डाका' करार दिया है। उन्होंने श्रेणीवार पदों का विवरण साझा करते हुए पूछा कि ओबीसी वर्ग के आरक्षण की लूट कब तक चलेगी? उन्होंने एक्स पर लिखा:
"कुल पद 7994 के सापेक्ष 27 प्रतिशत आरक्षण के साथ OBC वर्ग को 2158 पद मिलने थे लेकिन मिला केवल 1441 पद, जो कुल पद का मात्र 18 प्रतिशत है। ओबीसी के लगभग 717 पदों पर डाका डाल दिया गया है।"
आरक्षण के मुद्दे पर घिरती सरकार: पुराना जख्म हुआ हरा
यह पहली बार नहीं है जब योगी सरकार आरक्षण के मुद्दे पर बैकफुट पर दिख रही है। लेखपाल भर्ती विवाद ने उन पुराने जख्मों को फिर से हरा कर दिया है, जिन पर सरकार लगातार घिरती रही है.
69,000 शिक्षक भर्ती मामला
उत्तर प्रदेश में आरक्षण विवाद का सबसे बड़ा उदाहरण 69,000 सहायक शिक्षक भर्ती है। इसमें ओबीसी और एससी वर्ग के अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया था कि लगभग 19,000 सीटों पर आरक्षण नियमों की अनदेखी हुई है। यह मामला हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक गूंजा और सरकार को इसमें विसंगतियां स्वीकार करनी पड़ी थीं।
लैटरल एंट्री विवाद
हाल ही में केंद्र स्तर पर यूपीएससी द्वारा 'लैटरल एंट्री' के माध्यम से बिना आरक्षण के सीधे भर्ती के विज्ञापन पर भी भारी विरोध हुआ था, जिसके बाद सरकार को विज्ञापन वापस लेना पड़ा था। विपक्ष इसे लगातार मुद्दा बना रहा है।
जातीय जनगणना की मांग
'जितनी आबादी, उतना हक' के नारे के साथ सपा और कांग्रेस लगातार जातीय जनगणना की मांग कर रही हैं। ऐसे में लेखपाल भर्ती में ओबीसी कोटों में यह कटौती विपक्ष को बैठे-बिठाए एक बड़ा हथियार दे गई है।
लेखपाल भर्ती में 717 पदों का यह गणितीय अंतर केवल एक प्रशासनिक चूक है या सोची-समझी रणनीति, यह जांच का विषय हो सकता है। लेकिन इतना तय है कि उपचुनावों और आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारियों के बीच "पीडीए" (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) की राजनीति करने वाले अखिलेश यादव इस मुद्दे को आसानी से ठंडा नहीं होने देंगे। अब देखना यह होगा कि भाजपा संगठन और सरकार इस "हकमारी" के आरोपों का क्या तकनीकी जवाब देते हैं।
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