
बेलगावी (कर्नाटक): कर्नाटक विधानसभा ने गुरुवार को एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए 'हेट स्पीच एंड हेट क्राइम्स (प्रिवेंशन) बिल' (नफरती भाषण और अपराध रोकथाम विधेयक) को पारित कर दिया। यह देश में अपनी तरह का पहला ऐसा कानून है जो विशेष रूप से नफरती भाषणों पर लगाम लगाने के लिए लाया गया है। हालांकि, सदन में इस विधेयक को लेकर भारी हंगामा हुआ। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने इसे विपक्ष और मीडिया की आवाज दबाने वाला "ब्रह्मास्त्र" करार दिया और इसे "वोट बैंक की राजनीति" से प्रेरित बताया।
सदन में बीजेपी विधायकों के शोर-शराबे के बीच यह विधेयक ध्वनिमत से पारित हो गया। सरकार ने इस कानून की जरूरत बताते हुए सुप्रीम कोर्ट की उन टिप्पणियों का हवाला दिया, जिनमें हेट स्पीच के खिलाफ सख्त कदम उठाने की बात कही गई थी।
सजा और जुर्माने के कड़े प्रावधान
इस नए कानून के तहत नफरती भाषण देने वालों पर सख्त कार्रवाई का प्रावधान किया गया है। दोषी पाए जाने पर एक लाख रुपये तक का जुर्माना और सात साल तक की कैद हो सकती है। राज्य के गृह मंत्री जी. परमेश्वर ने सदन को बताया कि बार-बार अपराध करने (Repeat Offence) की स्थिति में पहले 10 साल की सजा का प्रस्ताव था, जिसे घटाकर अब सात साल कर दिया गया है। कैबिनेट ने इस विधेयक को 4 दिसंबर को मंजूरी दी थी, जिसके बाद 10 दिसंबर को गृह मंत्री ने इसे सदन में पेश किया था।
क्या माना जाएगा 'हेट स्पीच'?
विधेयक में हेट स्पीच की परिभाषा को काफी व्यापक रखा गया है। इसके अनुसार, कोई भी अभिव्यक्ति—चाहे वह बोलकर, लिखकर, संकेतों द्वारा, दृश्य चित्रण से, इलेक्ट्रॉनिक संचार के माध्यम से या किसी अन्य तरीके से सार्वजनिक रूप से की गई हो—जो किसी जीवित या मृत व्यक्ति, वर्ग, समूह या समुदाय के खिलाफ चोट पहुंचाने, वैमनस्य फैलाने, या नफरत और शत्रुता की भावना पैदा करने के इरादे से की गई हो, वह 'हेट स्पीच' के दायरे में आएगी।
सरकार का तर्क: समाज में बदलाव लाएगा यह कानून
विधेयक पर चर्चा के दौरान गृह मंत्री परमेश्वर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने हेट स्पीच के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है और स्पष्ट किया है कि इसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा, "नफरती भाषण और नफरती अपराध हत्याओं का कारण बनते हैं, सामाजिक अशांति फैलाते हैं और समाज को दूषित करते हैं।"
मंत्री ने रेखांकित किया कि धर्म, भाषा, दिव्यांगता, लिंग, यौन रुझान (sexual orientation), जाति, नस्ल, जन्म स्थान, जनजाति या निवास के नाम पर अक्सर पूर्वाग्रह देखने को मिलते हैं। परमेश्वर ने विश्वास जताया कि यह कानून समाज में एक बड़ा बदलाव लेकर आएगा।
विपक्ष का हमला: पुलिस को 'हिटलर' बना देगा यह कानून
विपक्ष के नेता आर. अशोक ने इस विधेयक का तीखा विरोध किया। उन्होंने कहा कि यह कानून पुलिस को 'हिटलर' में बदल देगा। अशोक ने आरोप लगाया कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन है। उन्होंने दावा किया कि कार्टून और तस्वीरों तक को नहीं बख्शा गया है, जिससे प्रेस और डिजिटल मीडिया की आजादी पर भी हमला होगा।
आर. अशोक ने सत्ताधारी कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए कहा, "इस कानून के नाम पर बड़े पैमाने पर वसूली होगी। इसमें जमानत नहीं, सिर्फ जेल होगी। उन लोगों से और क्या उम्मीद की जा सकती है जिन्होंने देश पर इमरजेंसी थोपी थी।"
बीजेपी नेता का तर्क था कि इस कानून में जिन अपराधों का जिक्र है, वे पहले से ही भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) में शामिल हैं, फिर भी कर्नाटक सरकार इसे लेकर आई है। उन्होंने इसे विपक्ष के खिलाफ "अंतिम घातक हथियार" (ब्रह्मास्त्र) बताते हुए कहा कि इसका सबसे पहला शिकार हम (विपक्ष) होंगे और उसके बाद मीडिया का नंबर आएगा। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि सरकार को राज्य में और जेलें बनानी होंगी, जिसका खर्च यह 'कंगाल सरकार' नहीं उठा सकती।
धार्मिक पुस्तकों और तटीय कर्नाटक पर तीखी नोकझोंक
चर्चा के दौरान बीजेपी विधायक वी. सुनील कुमार ने सवाल उठाया कि अगर कोई किसी धार्मिक किताब से नफरत वाली सामग्री को उद्धृत (Quote) करता है, तो क्या होगा? इस पर गृह मंत्री ने जवाब दिया कि अतीत में प्रकाशित ऐसी किताबें भी इस कानून के दायरे में आएंगी। इस पर सुनील कुमार ने चेतावनी देते हुए कहा कि मंत्री खुद के लिए मुसीबत मोल ले रहे हैं क्योंकि वे धार्मिक किताबों से नफरत वाली बातें उद्धृत करेंगे।
बहस तब और गरमा गई जब शहरी विकास मंत्री बायराथी सुरेश ने दावा किया कि "तटीय कर्नाटक हेट स्पीच और हेट क्राइम के कारण जल रहा है।"
इस बयान पर तटीय कर्नाटक से आने वाले बीजेपी विधायक—वेद व्यास कामत, हरीश पूंजा, सुनील कुमार और अन्य—बुरी तरह भड़क गए। उन्होंने मंत्री से माफी की मांग करते हुए सदन के वेल में जाकर प्रदर्शन शुरू कर दिया। अन्य बीजेपी विधायक भी उनके समर्थन में आ गए। इसी भारी हंगामे और शोरगुल के बीच सदन ने विधेयक को पारित कर दिया, जिसके बाद कार्यवाही स्थगित कर दी गई।
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