मध्य प्रदेश: भाजपा के हाथों फिसल सकता है अनुसूचित जाति वर्ग का मतदाता!

फोटो साभार- इंटरनेट
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भोपाल। एमपी में अनुसूचित जाति वर्ग के मतदाता 84 सीटों पर सीधे असर डालते है। एससी वर्ग का बोट, प्रत्याशी के हार-जीत में निर्णायक भूमिका निभाता है। इसी के साथ सरकार बनाने में भी एससी बोटर्स की अहम भूमिका है। लेकिन एमपी में दलितों पर बढ़ती आपराधिक घटनाओं का असर इस बार विधानसभा चुनाव में भी देखने को मिल सकता है।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक मध्य प्रदेश में अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों के खिलाफ सबसे ज्यादा घटनाएं दर्ज की गई। यानि प्रदेश में दलितों के खिलाफ अत्याचार बढ़े हैं। अब एक बड़ा सवाल है कि, क्या दो दशकों से प्रदेश की सत्ता में बनी भारतीय जनता पार्टी एससी बोटर्स को लुभाने में कामयाब हो पाएगी?

मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव सिर्फ कुछ 4 महीनों बाकी है, ऐसे में राजनीतिक दलों ने प्रदेश के अनुसूचित जाति वर्ग को साधना शुरू कर दिया है। बीजेपी ने इसके लिए जोर-शोर से तैयारी भी शुरू कर दी है। हाल ही में सागर में संत रविदास के भव्य मंदिर के निर्माण के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नींव रखी है। करीब 100 करोड़ की लागत से यह मंदिर बनाया जाएगा। राजनीतिक विश्लेषक मानते है, की बीजेपी के हाथों इस बार दलित वोट बैंक खिसक सकता है। लेकिन बीजेपी एससी वर्ग की सभी आरक्षित सीटों पर अपना दावा कर रही है। 

भाजपा ने किया 200 सीटें जीतने का दावा

द मूकनायक से बातचीत में भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. दुर्गेश केसवानी, ने दावा किया है कि इस बार विधानसभा के चुनाव में प्रदेश की अनुसूचित जाति वर्ग की आरक्षित सभी 35 सीटें बीजेपी जीतेगी और 200 सीटें जीतकर पुनः सरकार बनाएंगे। 

इधर कांग्रेस का भी दावा है कि इस बार के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को दलित मतदाताओं का पूरा साथ मिलेगा। कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता राहुल रवि वर्मा ने कहा की प्रदेश का अनुसूचित जाति वर्ग, भाजपा की दलित विरोधी नीति-रीति को समझ गया है। और इस बार अनुसूचित जाति वर्ग का मतदाता कांग्रेस को चुनेगा। 

बहुजन समाज पार्टी भी है सक्रिय

मध्य प्रदेश में चुनाव से पहले बहुज समाज पार्टी भी सक्रिय हुई है। इस बार भी पार्टी सभी 230 सीटों पर उम्मीदवार उतारने का दावा कर रही है। पहले चरण में बीएसपी ने 7 प्रत्याशियों के नामों का ऐलान भी कर दिया है। लेकिन पिछले चुनावों की तुलना में बीएसपी का बोट प्रतिशत घटकर 5.5 प्रतिशत पर आ चुका है। वहीं 2018 के विधानसभा में बीएसपी के कुल दो ही प्रत्याशी विधायक बन पाए थे। इससे पहले 2008 में पार्टी के 7 विधायक थे और बोट प्रतिशत 8.7 था। घटते बोट परसेंटेज के बाद भी बीएसपी इस बार चुनाव में मजबूती से ताल ठोक रही है। बीएसपी का दावा है कि, इस बार उनके बिना समर्थन के किसी भी दल की सरकार प्रदेश में नहीं बनेगी। 

द मूकनायक से बातचीत में बहुजन समाज पार्टी के भोपाल मुख्य जोन प्रभारी सीएल वंशकार ने दावा किया है कि बीएसपी इस बार दो दर्जन से अधिक सीटें जीत रही है। उन्होंने कहा बुंदेलखंड, ग्वालियर चंबल संभाग में बीएसपी का मतदाता बढ़ रहा है। इधर चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी भी पूरी तरह चुनावी मैदान में उतरने को तैयार है। पार्टी प्रदेश की सभी सीटों पर प्रत्याशी उतार सकती है। पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष विलास बल्ले ने बताया कि आजाद समाज पार्टी इस बार प्रदेश में तीसरे विकल्प के रूप में तैयार हो रही है। ग्वालियर चंबल संभाग सहित उज्जैन में भी पार्टी सीटें जीतकर आएगी। 

सपा 230 सीटों पर लड़ेगी चुनाव

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी भी मध्य प्रदेश के चुनावी रण में उतरने की पूरी तैयारी कर रही है। हालांकि वर्तमान में सपा का एक भी विधायक विधनसभा में नहीं है। पिछले 2018 के चुनाव में समाजवादी पार्टी को 1 प्रतिशत बोट ही मिल पाया था। इससे पहले 2013 में पार्टी का एक विधायक विधानसभा में था। द मूकनायक से बातचीत करते हुए समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता शमशुल हसन बल्ली ने कहा कि सपा इस बार चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करेगी।

राजस्थान के बाद मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा दलितों पर अत्याचार के मामले दर्ज हुए है। लेकिन अब चुनाव के समय राजनीतिक पार्टियां अनुसूचित जाति वर्ग को लुभाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहीं। प्रदेश में एससी वर्ग का वोट सरकार बनाने में अहम भूमिका भी निभाता है। वर्तमान में अनुसूचित जाति की आरक्षित 35 विधानसभा सीटों में से 21 सीटें बीजेपी के पास है। जबकि 13 सीटें कांग्रेस के खाते में है। वहीं एक सीट बीएसपी की है। 

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