भोपाल। मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार एक बार फिर अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के अधिकारियों के संवैधानिक अधिकारों को लेकर घिरती नजर आ रही है। SC कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप अहिरवार ने आज राजधानी भोपाल में प्रेस वार्ता कर सरकार पर गंभीर आरोप लगाए और चेतावनी दी कि यदि गोरकेला ड्राफ्ट, जिसे पदोन्नति अधिनियम 2017 के नाम से जाना जाता है, को तत्काल प्रभाव से लागू नहीं किया गया, तो अनुसूचित जाति कांग्रेस प्रदेशभर में आंदोलन छेड़ेगी। उन्होंने मध्यप्रदेश के मुख्य सचिव अनुराग जैन को दलित विरोधी बताया।
प्रदीप अहिरवार ने सवाल उठाया कि जब तत्कालीन शिवराज सरकार ने वरिष्ठ विधि विशेषज्ञों की सलाह पर गोरकेला ड्राफ्ट तैयार किया था और वह संविधान व सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुरूप था, तो आखिर क्यों आठ वर्षों से इस महत्वपूर्ण प्रारूप को सरकार ने कैबिनेट में नहीं लाया और दबाकर रखा? उन्होंने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से सीधा सवाल किया कि क्या उन्हें इस ड्राफ्ट की जानकारी है या नहीं? और अगर है, तो इसे लागू क्यों नहीं किया गया?
उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार संवैधानिक मूल्यों और सामाजिक न्याय की अवधारणाओं से पूरी तरह विमुख हो चुकी है। प्रदेश के प्रशासन को अब मुख्यमंत्री नहीं, बल्कि मंत्रालय की चौथी और पांचवीं मंजिल पर बैठे अफसर चला रहे हैं। उन्होंने मुख्य सचिव अनुराग जैन पर निशाना साधते हुए कहा कि वे पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर SC/ST वर्ग के अधिकारों को दबा रहे हैं और मुख्यमंत्री की तुलना में ज्यादा प्रभावशाली बन बैठे हैं।
अहिरवार ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री कार्यालय में कितने SC/ST अधिकारी हैं, यह सरकार स्पष्ट करे। क्या यह सरकार वास्तव में प्रतिनिधित्व और सामाजिक समावेशन की पक्षधर है, या फिर केवल चुनावों के समय SC/ST वर्ग को वोट बैंक की तरह इस्तेमाल करती है?
उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा हाल ही में घोषित नया पदोन्नति फार्मूला पूरी तरह अधूरा, अस्थायी और असंवैधानिक प्रतीत होता है। उन्होंने सवाल किया कि जब सरकार खुद मान रही है कि यह फार्मूला सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अधीन है, तो फिर क्या यह सरकार पहले से ही इसके कानूनी विवादों से परिचित है? क्या यह समाज के सर्वहारा वर्ग को गुमराह करने की एक रणनीति है?
SC कांग्रेस ने स्पष्ट रूप से कहा कि गोरकेला ड्राफ्ट एक मजबूत, वैधानिक और न्यायसंगत प्रारूप है, जो सुप्रीम कोर्ट के नागरज मामले के फैसले पर आधारित है। यह अधिनियम न केवल प्रशासनिक दक्षता सुनिश्चित करता है, बल्कि यह उन लाखों SC/ST कर्मचारियों के लिए राहत का कार्य करता है जो वर्षों से पदोन्नति से वंचित हैं।
उन्होंने प्रदेश सरकार की इस चुप्पी को सामाजिक न्याय की हत्या बताया और कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिस समय देश बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की जयंती की तैयारियों में जुटा है, उस समय मध्यप्रदेश सरकार उन्हीं के बनाए संविधान के सिद्धांतों को दरकिनार कर रही है।
SC कांग्रेस ने सरकार के सामने अपनी तीन प्रमुख माँगें रखीं
गोरकेला ड्राफ्ट को तत्काल कैबिनेट में लाया जाए और लागू किया जाए।
मुख्यमंत्री स्पष्ट करें कि ड्राफ्ट को अब तक कैबिनेट में क्यों नहीं लाया गया और इसकी जिम्मेदारी किसकी है।
जिन अधिकारियों ने इस ड्राफ्ट को रोका, उनके खिलाफ जांच कर कार्रवाई की जाए।
प्रदीप अहिरवार ने अंत में कहा कि अगर अगले सप्ताह के भीतर सरकार इस पर ठोस निर्णय नहीं लेती, तो यह आंदोलन केवल एक राजनीतिक संघर्ष नहीं रहेगा, बल्कि यह सामाजिक क्रांति की लड़ाई बनेगा। SC/ST वर्ग को उनके संवैधानिक अधिकार दिलाने के लिए संघर्ष हर जिले की सड़कों पर होगा, और यह तब तक जारी रहेगा जब तक न्याय नहीं मिल जाता।
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