भोपाल। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत द्वारा दिए गए बयान पर विवाद गहराता जा रहा है। मध्यप्रदेश के नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने इसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और उनके परिवारों का अपमान बताया है। उन्होंने कहा कि मोहन भागवत ने महान क्रांतिकारियों की शहादत पर उंगली उठाकर न केवल उनका, बल्कि उनके परिवारों का भी अपमान किया है।
हाल ही में मोहन भागवत ने एक सभा में कहा था कि, "सच्ची स्वतंत्रता 1947 में नहीं, बल्कि बाद में मिली।" इस बयान ने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में तीखी प्रतिक्रियाएं पैदा कर दी हैं।
उमंग सिंघार ने भागवत के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "मोहन भागवत शायद उन स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और नेताओं को भूल गए हैं, जिन्होंने देश को अंग्रेजी हुकूमत से आज़ाद कराने के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी। उनका यह बयान उन परिवारों और शहीदों के बलिदान का अपमान है, जिन्होंने अपनी जान देकर हमें आज़ादी दिलाई।"
उन्होंने आगे कहा कि अगर मोहन भागवत उस समय होते, तो शायद उन परिवारों के दर्द और त्याग को समझ पाते। उन्होंने इस बयान को अनावश्यक और देश की स्वतंत्रता के इतिहास को चोट पहुंचाने वाला बताया।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि मोहन भागवत को अपने इस बयान के लिए पूरे देशवासियों और स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों से माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा, "ऐसे बयान देश की एकता और स्वतंत्रता के इतिहास को कमजोर करते हैं।"
उमंग सिंघार ने यह भी आरोप लगाया कि यह पहली बार नहीं है जब मोहन भागवत ने विवादास्पद बयान दिया है। उन्होंने कहा, "हाल ही में भागवत ने जनसंख्या बढ़ाने की बात कही थी, जो देश के विकास की मौजूदा जरूरतों के खिलाफ है। उन्हें इस तरह के बयान देने के बजाय यह बताना चाहिए कि देश आर्थिक रूप से कैसे मजबूत होगा।"
कांग्रेस के अन्य नेताओं ने भी इस मुद्दे पर उमंग सिंघार का समर्थन किया है। द मूकनायक से बातचीत में मध्यप्रदेश एससी कांग्रेस के अध्यक्ष प्रदीप अहिरवार ने कहा, "मोहन भागवत जैसे व्यक्तियों को इतिहास का सम्मान करना चाहिए और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के बलिदान को याद रखना चाहिए। उनके बयान से साफ है कि आरएसएस आज भी स्वतंत्रता संग्राम के सही मायने को समझने में नाकाम है।"
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