MP के मुरैना में फर्जी शिवशक्ति कॉलेज का पर्दाफाश: कुलपतियों सहित 17 प्रोफेसरों पर मामला दर्ज

ईओडब्ल्यू महानिदेशक उपेंद्र जैन के अनुसार, यह फर्जीवाड़ा 2012 से चल रहा था। शिवशक्ति कॉलेज कागजों पर हर साल संबद्धता प्राप्त कर रहा था, जबकि झुंडपुरा में इसके नाम पर कोई संस्थान नहीं है।
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भोपाल। मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में झुंडपुरा स्थित शिवशक्ति कॉलेज का मामला शिक्षा जगत में बड़े घोटाले के रूप में सामने आया है। आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) ने सोमवार को जीवाजी विश्वविद्यालय (जेयू), ग्वालियर के कुलपति प्रो. अविनाश तिवारी, राजस्थान के बांसवाड़ा विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. केएस ठाकुर समेत 17 प्रोफेसरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। इन पर आरोप है कि इन्होंने एक फर्जी कॉलेज को मान्यता देने के लिए निरीक्षण किया और संबद्धता की सिफारिश की, जबकि मौके पर कॉलेज का कोई अस्तित्व ही नहीं था।

कैसे हुआ घोटाले का खुलासा?

ईओडब्ल्यू महानिदेशक उपेंद्र जैन के अनुसार, यह फर्जीवाड़ा 2012 से चल रहा था। शिवशक्ति कॉलेज कागजों पर हर साल संबद्धता प्राप्त कर रहा था, जबकि झुंडपुरा में इसके नाम पर कोई संस्थान नहीं है। शिकायतकर्ता डॉ. अरुण शर्मा ने इस घोटाले का पर्दाफाश किया। उन्होंने बताया कि उन्हें इस फर्जी कॉलेज का प्राचार्य नियुक्त बताया गया, जबकि उन्होंने कभी इस संस्थान का अस्तित्व नहीं देखा।

डॉ. शर्मा ने बताया कि उन्होंने मई 2023 में पहली शिकायत की थी। इसके बाद उन्होंने जेयू के अधिकारियों और रजिस्ट्रार को कई शिकायतें दीं, लेकिन कार्रवाई करने के बजाय उन्हें मानसेवी शिक्षक पद से हटा दिया गया। इसके अलावा, उनके कार्यरत कॉलेज, आर्यांश कॉलेज, मुरार से भी उन्हें बाहर करवा दिया गया।

शिकायतकर्ता डॉ. अरुण शर्मा ने कहा, "मुझे शिवशक्ति कॉलेज का प्राचार्य बताया गया, जबकि वह कॉलेज कहीं मौजूद ही नहीं है। जब मैंने इस फर्जीवाड़े के खिलाफ आवाज उठाई, तो मुझे नौकरी से निकाल दिया गया और संचालकों द्वारा जान से मारने की धमकी दी गई।"

डॉ. शर्मा ने पुलिस सुरक्षा के लिए एसपी से लिखित शिकायत की, लेकिन अभी तक सुरक्षा नहीं मिली है। उन्होंने ईओडब्ल्यू को कई दस्तावेज सौंपे और बार-बार प्रयास करने के बाद आखिरकार एफआईआर दर्ज करवाई।

इन धराओं में दर्ज हुआ मामला

इस मामले में आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी), 409 (आपराधिक विश्वासघात), 467 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से दस्तावेजों की जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी के लिए जाली दस्तावेज तैयार करना) और 120बी (आपराधिक साजिश) के तहत मामला दर्ज किया गया है।

ईओडब्ल्यू की जांच में खुलासे

ईओडब्ल्यू की जांच में यह बात सामने आई कि शिवशक्ति कॉलेज ने भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के पोर्टल पर एआईएसएचई (AISHE) के लिए सत्र 2023-24 का डेटा अपलोड नहीं किया था। इसके बावजूद जीवाजी विश्वविद्यालय ने इसे मान्यता दी। ईओडब्ल्यू द्वारा जारी सूची में ऐसे 158 कॉलेज हैं, जिन्होंने यह डेटा अपलोड नहीं किया, जिनमें शिवशक्ति कॉलेज का नाम भी शामिल है।

एफआईआर में जीवाजी विश्वविद्यालय और बांसवाड़ा विश्वविद्यालय के कुलपतियों के साथ 17 प्रोफेसरों का नाम शामिल है। इन पर आरोप है कि इन्होंने शिवशक्ति कॉलेज का निरीक्षण किए बिना ही उसे मान्यता देने की सिफारिश की।

द मूकनायक प्रतिनिधि ने जीवाजी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अविनाश तिवारी से संपर्क किया पर उनसे बात नहीं हो सकी।

डॉ. शर्मा का कहना है कि उन्होंने न्याय के लिए हर संभव कोशिश की। उन्होंने बताया कि ईओडब्ल्यू में दस्तावेज जमा करने और शिकायतों के बाद ही एफआईआर दर्ज हो पाई। उन्होंने कहा, "मैंने हार नहीं मानी। इतने बड़े घोटाले का खुलासा करना आसान नहीं था। लेकिन, यह लड़ाई सिर्फ मेरी नहीं, बल्कि पूरे शिक्षा जगत के लिए थी।"

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