MP: विवादित बयान पर शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार का यू-टर्न! राजा राममोहन राय को ‘दलाल’ कहने पर मांगी माफी

राजा राममोहन राय भारत के समाज सुधार आंदोलन के अग्रदूत माने जाते हैं। उन्होंने सती प्रथा उन्मूलन, महिलाओं की शिक्षा, विधवा विवाह और सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ निर्णायक संघर्ष किया।
विवादित बयान पर शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार का यू-टर्न!
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भोपाल। मध्य प्रदेश के शाजापुर में उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार द्वारा राजा राममोहन राय माफ 'अंग्रेजों का दलाल' कहने वाले विवादित बयान ने जहां प्रदेश की राजनीति में तूफान ला दिया था, वहीं अब मंत्री ने इस पूरे मामले पर यू-टर्न लेते हुए सार्वजनिक रूप से माफी मांग ली है। उन्होंने कहा कि वे राजा राममोहन राय का गहरा सम्मान करते हैं और आगर मालवा में दिए गए बयान में उनसे शब्दों की त्रुटि हो गई थी। मंत्री ने इसे अपनी गलती बताते हुए कहा कि वे इसके लिए प्रायश्चित करते हैं।

मंत्री परमार का सफाई वाला वीडियो जारी

विवाद बढ़ने के बाद जारी किए गए वीडियो में इंदर सिंह परमार ने कहा कि वे बिरसा मुंडा जयंती के एक कार्यक्रम में अंग्रेजों की शरण, षड्यंत्र और आदिवासी संघर्ष की कथा बता रहे थे। उसी दौरान भाषण के प्रवाह में वे गलती से राजा राममोहन राय के बारे में गलत शब्द बोल गए।

मंत्री ने कहा- “बिरसा मुंडा जयंती पर एक कार्यक्रम में अंग्रेजों की शरण और षड्यंत्र के बारे में बता रहा था। फ्लो में देश के प्रसिद्ध समाज सुधारक राजा राममोहन राय के बारे में मेरे मुंह से गलत निकल गया। इसके लिए मुझे दुख है, और मैं प्रायश्चित करता हूं। मैं राजा राममोहन राय का व्यक्तिगत रूप से बहुत सम्मान करता हूं।”

उन्होंने दोहराया कि राजा राममोहन राय भारतीय समाज के महान सुधारकों में से एक रहे हैं और उनका किसी भी प्रकार का अनादर करने का न तो उनका उद्देश्य था और न ही उनकी सोच।

क्या कहा था मंत्री ने?- "राजा राममोहन राय अंग्रेजों के दलाल थे"

बता दें कि 15 नवंबर को आगर मालवा में आयोजित बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के कार्यक्रम में मंत्री इंदर सिंह परमार ने भाषण देते हुए कहा था कि “राजा राममोहन राय अंग्रेजों के दलाल थे।”

जैसे ही उनका यह बयान सामने आया, कई सामाजिक संगठनों, बुद्धिजीवियों और विपक्षी दलों ने तीखी प्रतिक्रिया दी। कांग्रेस ने मंत्री पर तेज प्रहार करते हुए कहा कि परमार को इतिहास की बुनियादी समझ तक नहीं है और ऐसे व्यक्ति को उच्च शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी देना सरकार की विफलता है। कांग्रेस नेताओं ने इस बयान को 'भारत के समाज सुधार आंदोलन का अपमान' बताते हुए मंत्री के तत्काल इस्तीफे की मांग कर दी थी।

राजनीतिक घमासान ने बढ़ाया दबाव

मंत्री के बयान को लेकर सोशल मीडिया पर भी भारी विरोध देखने को मिला। कई इतिहासकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और नागरिकों ने इस बयान की निंदा की। इसके साथ ही, शिक्षाविदों और छात्र संगठनों ने कहा कि जिस मंत्री के जिम्मे उच्च शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण विभाग की जिम्मेदारी है, उसे कम से कम इतिहास की मूलभूत समझ तो होनी चाहिए।

विवाद के बाद माफी, क्या थमेगा बवाल?

विवाद बढ़ने और विपक्ष के हमलों के बीच इंदर सिंह परमार ने सफाई देते हुए वीडियो जारी किया और अपने बयान को गलती बताया। उन्होंने कहा कि वे राजा राममोहन राय की ऐतिहासिक भूमिका और समाज सुधार को गहराई से जानते और मानते हैं।

हालांकि, कांग्रेस का कहना है कि माफी से बात खत्म नहीं होती। पार्टी नेताओं का आरोप है कि यह "मजबूरी में ली गई पीछे की चाल" है और सरकार मंत्री को बचा रही है। उनका कहना है कि ऐसे बयान देने वाले मंत्री को इस्तीफा देना चाहिए, क्योंकि इससे देश के महान समाज सुधारकों का अपमान हुआ है।

कौन थे राजा राममोहन राय?

राजा राममोहन राय भारत के समाज सुधार आंदोलन के अग्रदूत माने जाते हैं। उन्होंने सती प्रथा उन्मूलन, महिलाओं की शिक्षा, विधवा विवाह और सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ निर्णायक संघर्ष किया। ब्रिटिश शासनकाल के दौरान भी वे सामाजिक-शैक्षिक सुधारों पर काम करते रहे और आधुनिक भारत के निर्माण की नींव रखने वाले प्रमुख व्यक्तित्वों में गिने जाते हैं।

मंत्री परमार का यह कहना कि वे “राजा राममोहन राय का अपार सम्मान करते हैं” कई विशेषज्ञों के लिए विरोधाभासी प्रतीत हुआ, क्योंकि कुछ दिनों पहले दिया गया बयान उनके बिलकुल उलट था।

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