मध्यप्रदेश में धर्मांतरण पर फांसी की सजा? मुख्यमंत्री के बयान के कानूनी और राजनीतिक मायने

मुख्यमंत्री मोहन यादव के इस बयान के राजनीतिक निहितार्थ भी गहरे हो सकते हैं। आगामी चुनावों को देखते हुए, यह बयान हिंदू वोट बैंक को साधने की रणनीति का हिस्सा हो सकता है!
मध्यप्रदेश मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव
मध्यप्रदेश मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव इंटरनेट
Published on

भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 8 मार्च को महिला दिवस के अवसर पर कहा कि राज्य सरकार धार्मिक स्वतंत्रता कानून में संशोधन कर धर्मांतरण पर फांसी की सजा का प्रावधान करने जा रही है। यदि ऐसा हुआ, तो मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य होगा जहां जबरन धर्मांतरण पर मृत्युदंड की सजा दी जा सकेगी। फिलहाल, मध्यप्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 2021 के तहत जबरन धर्मांतरण कराने पर अधिकतम 10 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है। मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद कानूनी और राजनीतिक हलकों में इस मुद्दे पर बहस छिड़ गई है।

भारत के 11 राज्यों—मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, झारखंड, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, कर्नाटक, ओडिशा और अरुणाचल प्रदेश—में धर्मांतरण विरोधी कानून लागू हैं। इनमें सबसे कठोर कानून उत्तर प्रदेश का माना जाता है, जहां 2020 में योगी सरकार ने जबरन धर्मांतरण पर उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान किया था। हालांकि, अभी तक किसी भी राज्य में धर्मांतरण के लिए फांसी की सजा का प्रावधान नहीं किया गया है। राजस्थान सरकार भी इसी तर्ज पर एक नया कानून लाने की प्रक्रिया में है।

मध्यप्रदेश में वर्तमान धार्मिक स्वतंत्रता कानून के तहत जबरन धर्म परिवर्तन कराने पर 1 से 5 साल की कैद और ₹25,000 का जुर्माना है। यदि पीड़ित नाबालिग, महिला या अनुसूचित जाति/जनजाति से है, तो सजा बढ़कर 2 से 10 साल तक हो जाती है। पहचान छिपाकर शादी करने और धर्मांतरण कराने पर 3 से 10 साल की सजा और ₹50,000 जुर्माने का प्रावधान है। सामूहिक धर्म परिवर्तन के मामलों में 5 से 10 साल की सजा और ₹1 लाख तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।

मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद कानूनी विशेषज्ञों की राय बंटी हुई है। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के एडवोकेट और क्रिमिनल लॉ विशेषज्ञ डॉ. विनय हसवानी का कहना है कि संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत राज्य और केंद्र, दोनों को कानून बनाने का अधिकार है, इसलिए मप्र सरकार ऐसा संशोधन कर सकती है। वहीं, वरिष्ठ वकील सचिन वर्मा का मानना है कि जबरन धर्मांतरण जैसे अपराधों को रोकने के लिए कठोर दंड आवश्यक है।

हालांकि, कांग्रेस सांसद और सुप्रीम कोर्ट के वकील विवेक तन्खा इस बयान को पूरी तरह असंवैधानिक मानते हैं। उनका कहना है कि किसी भी अपराध के लिए फांसी की सजा केवल दुर्लभतम मामलों में दी जाती है, जैसा कि भारतीय दंड संहिता और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों में स्पष्ट किया गया है। उनका कहना है कि मुख्यमंत्री का यह बयान केवल राजनीतिक फायदे के लिए दिया गया प्रतीत होता है और इसका कानूनी रूप से अमल में आना मुश्किल है।

मुख्यमंत्री मोहन यादव के इस बयान के राजनीतिक निहितार्थ भी गहरे हो सकते हैं। आगामी चुनावों को देखते हुए, यह बयान हिंदू वोट बैंक को साधने की रणनीति का हिस्सा हो सकता है। धर्मांतरण का मुद्दा लंबे समय से भाजपा की राजनीति का केंद्र रहा है, और इस तरह के कठोर बयानों से पार्टी की स्थिति मजबूत हो सकती है। हालांकि, इस प्रस्ताव पर अमल कितना संभव होगा, यह कानूनी और संवैधानिक चुनौतियों पर निर्भर करेगा।

मध्यप्रदेश मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव
MP के गुना में एंबुलेंस में ऑक्सीजन खत्म होने से तीन वर्षीय मासूम की मौत, कर्मचारी शव छोड़कर भागे
मध्यप्रदेश मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव
MP बैतूल कोयला खदान हादसा: छत ढहने से तीन कर्मचारियों की मौत, जांच शुरू
मध्यप्रदेश मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव
MP हरदा मंडी घोटाला: HPCL को थी जानकारी, फिर भी फर्जी नोटशीट के आधार पर पूर्व मंत्री के बेटे संदीप पटेल से किया एग्रीमेंट!

द मूकनायक की प्रीमियम और चुनिंदा खबरें अब द मूकनायक के न्यूज़ एप्प पर पढ़ें। Google Play Store से न्यूज़ एप्प इंस्टाल करने के लिए यहां क्लिक करें.

The Mooknayak - आवाज़ आपकी
www.themooknayak.com