राजस्थान विधानसभा चुनाव में हो रहा है बीजेपी महिला प्रत्याशियों का विरोध, क्या है कारण?

जयपुर व राजसमंद जिलों में हुआ महिला प्रत्याशियों का विरोध, पार्टी के कार्यकर्ता ही विरोध में हुए लामबंद, अब तक भाजपा ने 11 व कांग्रेस ने 15 प्रतिशत महिलाओं को बनाया प्रत्याशी।
राजस्थान विधानसभा चुनाव में हो रहा है बीजेपी महिला प्रत्याशियों का विरोध, क्या है कारण?

जयपुर। राजघराने से ताल्लुक रखने वाली भारतीय जनता पार्टी की राजसमंद सांसद दिया कुमारी को जब प्रदेश की राजधानी की विद्याधरनगर सीट से टिकट दिया गया तो स्थानीय कार्यकर्ता उनके विरोध में खड़े हो गए। इसीप्रकार दिग्गज भाजपा नेत्री स्वर्गीय किरण माहेश्वरी की पुत्री दीप्ति किरण माहेश्वरी को राजसमंद विधानसभा से टिकट मिला तो उनके खिलाफ भी स्थानीय कार्यकर्ता लामबंद हो गए। इसको लेकर बीजेपी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को हस्ताक्षेप करना पड़ा तब जाकर मामला शांत हुआ। हालांकि राजनीतिक जानकारों का मानना है कि विरोध का स्वर शांत भले हो गया हो, लेकिन मतदान के दौरान पार्टी को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।

महिला प्रत्याशियों का भाजपा में सर्वाधिक विरोध

राजस्थान विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने पहली सूची में 41 तथा दूसरी सूची में 83 प्रत्याशियों की घोषणा की है। इनमें सात सांसदों सहित 14 महिलाओं को प्रत्याशी बनाया गया है, लेकिन भाजपा में महिला प्रत्याशियों का सबसे अधिक अपनी ही पार्टी के पुरुष कार्यकर्ताओं के विरोध का सामना करना पड़ा है, जबकि भाजपा सदन में महिला हितों की बात करती है। ऐसे में यहां सदन के अंदर और बाहर पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच विरोधाभाष नजर आ रहा है।

इनका हुआ विरोध

सुजानगगढ़ विधानसभा क्षेत्र से भाजपा ने संतोष मेघवाल को प्रत्याशी घोषित किया है। प्रत्याशी की घोषणा के साथ ही महिला प्रत्याशी का विरोध शुरू हो गया। पार्टी के एससी मोर्चा प्रदेश उपाध्यक्ष इंजीनियर बीएल भाटी ने विरोध करते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा भी की है। विरोध को लेकर भाटी ने प्रेसवार्ता कर स्वयं का टिकट काटने का आरोप लगाया। वहीं निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा भी कर दी।

जयपुर शहर की विद्याधरनगर से राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री भैरोसिंह शेखावत के दामाद नरपत सिंह राजवी को बैकफुट पर रखते हुए भाजपा ने जयपुर राजघराने की सदस्य राजसमंद सांसद दीयाकुमारी को विधायक प्रत्याशी घोषित किया है। दीया कुमारी का नाम सामने आते ही भाजपा में विरोध के स्वर सुनाई दिए। विरोध ज्यादा बढ़ता इससे पहले ही हाईकमान ने मामले को संभालते हुए डैमेज कंट्रोल की कवायद शुरू कर दी। हालांकि भीतरघात की आशंका अभी भी बनी हुई है। खास बात है कि अपना टिकट कटने पर नरपत सिंह राजवी ने जयपुर राजघराने व मुगलों के संबंध को टिप्पणी कर भाजपा हाईकमान से सवाल किए थे। हालांकि बाद में राजवी अपने बयान से मुकर गए। राजवी के मुगलों से संबंध को लेकर दिए गए बयान स्थानीय मीडिया की सुर्खियों में रहे हैं। डैमेज कंट्रोल की कवायद शुरू होने के बाद राजवी व दीयाकुमारी दोनों ने इस मसले पर चुप्पी साध ली है।

इसी तरह हिण्डौन से भाजपा प्रत्याशी के रूप में राजकुमारी जाटव को प्रत्याशी बनाए जाने के साथ ही भाजपा के पुुरुष कार्यकर्ताओं ने जमकर विरोध किया। भाजपा कार्यकर्ता राजपाल बंसीवाल के नेतृत्व में पार्टी कार्यकर्ताओं ने नेहरू पार्क में प्रदर्शन भी किया। जायल से डॉ. मंजू बाघमार के टिकट के विरोध की खबरे भी आई हैं। यहां भाजपा मंडल अध्यक्ष सुरेश चारण के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने महिला उम्मीदवार का विरोध कर किसी पुुरुष कार्यकर्ता को प्रत्याशी बनाने की मांग की है।

मकराना में सुमिता भींचर के टिकट का विरोध भी हुआ। यहां भी दर्जनों पुुरुष कार्यकर्ताओं द्वारा विरोध करते पार्टी से इस्तीफा देने की खबरें आई हैं। राजसमंद से भाजपा नेता स्वर्गीय किरण माहेश्वरी की पुत्री दीप्ती माहेश्वरी को प्रत्याशी बनाने के बाद पार्टी में विरोध फूट पड़ा। राजसमंद नगरपरिषद के नेता प्रतिपक्ष हिम्मत सिंह कुमावत ने विरोध करते हुए पार्टी से बदलाव की मांग की है। विरोध के चलते कुमावत ने पार्टी के लगभग आधा दर्जन पदों से इस्तीफा भी दे दिया। कुमावत ने कहा कि यहां हम मेहनत करते रहे और पार्टी ने ऐसी महिला को प्रत्याशी बना दिया, जिसके पास राजनीतिक अनुभव नहीं है।

राजस्थान विधानसभा चुनावों में महिला उम्मीदवारों की भागीदारी

भारतीय जनता पार्टी ने पहली सूची में 41 नामों की घोषणा की थी। इनमें केवल 4 महिलाओं पर भरोसा जताते हुए पार्टी ने प्रत्याशी बनाया है, जबकि दूसरी सूची में 83 नामों की घोषणा की गई। इनमें 10 महिला उम्मीदवारों को मौका दिया गया। भाजपा ने 124 में से कुल 14 महिलाओं को प्रत्याशी बनाया है जो 11 प्रतिशत है। दूसरी तरफ कांग्रेस ने अभी तक 76 प्रत्याशियों की घोषणा की है। इनमें 12 महिलाओं को प्रत्याशी घोषित किया है जो 15 प्रतिशत है। अब जारी प्रत्याशियों की सूची में महिलाओं को प्रत्याशी बनाने में कांग्रेस भाजपा से आगे रही है।

भाजपा ने इन महिलाओं पर जताया भरोसा

सुजानगढ़ (अजा) से संतोष मेघवाल, बागीदौरा (अजजा) से कृष्णा कटारा, विद्याधरनगर से दीयाकुमारी, हिण्डौन (अजा) से राजकुमारी जाटव, अनुपगढ़ (अजा) से संतोष बावरी, बीकानेर पूर्व से सिद्धी कुमारी, सूरजगढ़ से संतोष अहलावत, अजमेर दक्षिण (अजा) से अनिता भदेल, जायल (अजा) डॉ. मंजू बाघमार, नागौर से डॉ. ज्योति मिर्धा, मकराना से सुमिता भींचर, सोजत (अजा) से शोभा चौहान, राजसमंद से दीप्ती माहेश्वरी व झालरापाटन से वसुन्धरा राजे को पार्टी प्रत्याशी बनाया गया है। खास बात यह है कि यहां पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का दूसरी लिस्ट में आखिर में नाम शामिल किया गया है।

कांग्रेस ने इन महिलाओं को उतारा मैदान में

नोखा से सुशीला डूडी, बानसूर से शकुंतला रावत, पुष्कर से नसीम अख्तर इंसाफ, सार्दुलपुर से कृष्णा पूनिया, मंडवा से रीटा चौधरी, मालवीय नगर से डॉ. अर्चना शर्मा, सिकराय से ममता भूपेश, जायल (अजा) से मंजू देवी, ओसियां से दिव्या मदेरणा, जोधपुर से मनीषा पंवार, वल्लभनगर से प्रीति गजेंद्र सिंह शक्तावत व कुशलगढ़ (अजजा) से रमिला खडिया को विधायक प्रत्याशी बनाया है।

महिलाओं को 33 प्रतिशत प्रतिनिधित्व देने का वादा!

भाजपा शासित केन्द्र सरकार सितंबर माह में लोकसभा व विधानसभा में 33 प्रतिशत महिला आरक्षण बिल लेकर आई है, लेकिन इसके उलट कार्यकर्ता अपनी ही पार्टी की महिला प्रत्याशियों का विरोध करते नजर आ रहे हैं। इसमें भी महिला प्रत्याशियों के खिलाफ विरोध भाजपा के कार्यकर्ताओं में उभरकर सामने आया है। इस संबंध में राजस्थान की वरिष्ठ महिला पत्रकार अमृता मौर्या का कहना है कि पुरुष प्रधान समाज सामंती प्रवृत्ति का रहा है जो महिलाओं को एक खास नजर और घरेलू कामकाज तक ही सीमित रखना या देखना चाहता है। इसके चलते दोनों ही पार्टियों के भीतर महिला की लीडरशिप को लेकर उस तरीके की स्वीकार्यता नहीं है। इसी का परिणाम इस तरीके के विरोध प्रदर्शन है, जहां कभी क्षेत्रीयता, कभी जीताऊ प्रत्याषी नहीं होने आदि के आरोप लगाकर विरोध किया जाता है। हालांकि वसुंधरा राजे जैसी सशक्त महिला नेत्री अपवाद स्वरूप हमारे सामने एक अच्छा उदाहरण है।

विरोध जैसी कोई बात नहीं है....

राजस्थान भारतीय जनता पार्टी महिला मोर्चा की प्रदेशाध्यक्ष रक्षा भण्डारी ने द मूकनायक से बात करते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने निश्चित रूप से महिलाओं के बारे में सोचा है। इसी लिए महिलाओं के लिए लोकसभा में आरक्षण बिल पास किया गया है जो पिछले 70 वर्षों से लंबित था। इस तरह के बिल को किसी ने पास करने की इच्छा शक्ति दिखाई है तो वो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिखाई है। वर्तमान में राजस्थान में प्रत्याशियों की बात करंे तो महिलाओं को उनका हक देने का प्रयास किया जा रहा है।

भाजपा बहुत बड़ी पार्टी है, जितने भी कार्यकर्ता हैं। सभी योग्य हैं। अपने आप को पॉवरफुल पाते हैं। इसलिए एक दो जगह विरोध की बात सामने आई है, लेकिन इसको विरोध नहीं कह सकते। क्योंकि सभी के मन में अपेक्षा होती है, लेकिन टिकट किसी एक को ही मिलता है। जिन जगहों पर आप विरोध की बात कर रहे हैं वहां जोर शोर से प्रचार शुरू हुआ है। वहां पार्टी एकजुट होकर चुनाव लड़ेगी।

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