बिहार: टिकट बंटवारे से नाराज लोक जनशक्ति पार्टी (R) के 22 पदाधिकारियों के इस्तीफे से किसको होगा फायदा?

पार्टी के पदाधिकारियों के इस्तीफे का असर आगामी चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) और इसके सहयोगी दल लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) पर पड़ सकता है।
लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास)
लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ग्राफिक- द मूकनायक

नई दिल्ली: बिहार में लोकसभा चुनाव 2024 के लिए टिकट बंटवारे से नाराज लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय स्तर के 22 पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने पदों से इस्तीफा दे दिया है। माना जा रहा है कि इसका असर आगामी चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) और इसके सहयोगी दल लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को भुगतना पड़ सकता है।

बिहार के वरिष्ठ पत्रकार इमरान द मूकनायक को इन पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के इस्तीफे से होने वाले नुकसान और फायदे का विश्लेषण करते हुए बताते हैं कि, “राम विलास पासवान अपनी जाति के वोटों को हमेशा भजाते रहे हैं हैं. क्योंकि उनके जाति की आबादी करीब 5.3 प्रतिशत [बिहार में] है. यादवों के बाद सबसे बड़ा सोशल ग्रुप पासवान है. वर्तमान समय में जहां चिराग पासवान रहेंगे वहां ज्यादातर इन्हीं के लोग रहेंगे. नेता आते जाते रहेंगे, इसका कोई खास असर नहीं पड़ेगा.”

“इसमें ऐसे नेता ज्यादा थे जो उनके समुदाय [पासवान] से नहीं आते थे. इस्तीफा देने वालों में यादव और कुशवाहा अधिक थे”, दर्जनभर से अधिक लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के पदाधिकारियों के इस्तीफे से पार्टी पर कोई असर नहीं पड़ने की बात समझाते हुए वरिष्ठ पत्रकार ने कहा.

बिहार की 40 में से लोजपा को पांच सीट पर चुनाव लड़ना है। इसके लिए टिकट बंटवारे की घोषणा होने के बाद से पार्टी के नेताओं की नाराजगी का असर इस्तीफे के तौर पर दिखा। हाल ही में पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद अरुण कुमार ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। टिकट बंटवारे में समर्पित कार्यकर्ताओं की अनदेखी से नाखुशी का असर इस्तीफे के तौर पर दिखा।

बुधवार को इस्तीफा देने वालों में पूर्व सांसद व पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रेणु कुशवाहा, राष्ट्रीय महासचिव सतीश कुमार, प्रदेश के संगठन सचिव रविंद्र सिंह, मुख्य पार्टी विस्तारक अजय कुशवाहा, प्रदेश उपाध्यक्ष संजय सिंह, प्रदेश प्रवक्ता विनीत सिंह समेत 22 पदाधिकारियों के नाम हैं।

दूसरे चरण के लिए नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख से महज चंद घंटे पहले पार्टी लोजपा से इतने बड़े स्तर पर बेरुखी पर आगामी चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन पर सवाल उठने लगे हैं। राजग का सहयोगी दल होने के नाते आगामी चुनाव में उनकी मुश्किलें भी बढ़ सकती हैं।

पूर्व सांसद रेणु कुशवाहा ने निशाना साधते हुए कहा कि टिकट बंटवारे में पार्टी के समर्पित कार्यकर्ताओं के बजाय बाहरी उम्मीदवारों को तवज्जो दी गई। पार्टी में कई युवा प्रत्याशी हैं, लेकिन उनकी अनदेखी की गई।

पूर्व सांसद अरुण कुमार ने कहा कि पार्टी में अब मूल तत्त्व नहीं बचा है और मैं इस फैसले से हतप्रभ हूं। इससे जनता में नाराजगी है। पार्टी ने जमुई से चिराग पासवान के बहनोई अरुण भारती, खगड़िया से राजेश वर्मा, हाजीपुर से चिराग पासवान, समस्तीपुर से शांभवी चौधरी और वैशाली से वीणा देवी को प्रत्याशी बनाया है।

पार्टी के संगठन सचिव रहे रविंद्र सिंह ने कहा कि हम सभी चिराग पासवान के पिता रामविलास पासवान के समय से साथ हैं। लोजपा के टूटने पर भी साथ नहीं छोड़ा, लेकिन टिकट बाहरी लोगों को दिया गया है। जहां-जहां लोजपा के उम्मीदवार होगा उन्हें हराने का काम करेंगे।

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