आगामी दिनों में ‘लू’ पर मौसम विज्ञान विभाग की चिंता, ये राज्य होंगे प्रभावित, कृषि पर क्या होगा असर?

यूपी में लू लगभग दे चुकी है दस्तक, लेकिन किसानों का मानना है कि इसका फसल (गेहूं) पर कोई असर नहीं होगा, क्योंकि गेहूं पकने के कगार पर पहुंच चुका है. हालांकि, लू से आम जन-जीवन प्रभावित होने की उम्मीद है.
लू का असर
लू का असर

नई दिल्ली: गर्मियों की शुरुआत मार्च महीने से बढ़ते हुए आगामी महीनों तक कड़ी धूप और धूल के साथ गर्म हवाएं जब पेड़-पौधों, जीव-जंतुओं पर थपेड़े मारती गांवों के नहरों-तालाबों को सुखाना शुरू कर देती है तब एहसास होता है कि लू ने दस्तक दे दी है. हाल ही में भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने लू को लेकर भविष्यवाणी की है. और आशंका जताई कि देश में अप्रैल से जून तक की अवधि के दौरान अत्यधिक गर्मी रहने की संभावना है। इसका मध्य एवं पश्चिमी प्रायद्वीपीय भागों पर सबसे बुरा प्रभाव पड़ने का अनुमान है।

भारत मौसम विज्ञान विभाग (आइएमडी) के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र के अनुसार, देश के विभिन्न हिस्सों में चार से आठ दिनों की तुलना में दस से 20 दिन तक लू चलने का अनुमान है। आइएमडी के महानिदेशक ने कहा कि गुजरात, मध्य महाराष्ट्र, उत्तरी कर्नाटक, राजस्थान, मध्य प्रदेश, ओड़ीशा, उत्तरी छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश में गर्मी का सबसे बुरा असर पड़ सकता है। आइएमडी ने यह भी कहा कि मध्य प्रदेश को छोड़कर गेहूं उत्पादक राज्यों में सात अप्रैल तक लू की कोई चेतावनी नहीं है।

महापात्र के अनुसार, इस अवधि के दौरान मैदानी इलाकों के ज्यादातर हिस्सों में सामान्य से अधिक गर्म हवा चलने की संभावना है। उन्होंने कहा कि अप्रैल में देश के ज्यादातर हिस्सों में अधिकतम तापमान सामान्य से अधिक रहने तथा मध्य दक्षिण भारत में इसकी ज्यादा संभावना है। अप्रैल में पश्चिमी हिमालय क्षेत्र और पूर्वोत्तर राज्यों के कुछ हिस्सों में अधिकतम तापमान सामान्य या सामान्य से नीचे रहने का अनुमान है। हालांकि, मध्य प्रदेश को छोड़कर गेहूं उत्पादक राज्यों के लिए लू की कोई चेतावनी नहीं है।

महापात्र ने कहा, “मध्य प्रदेश में इस समय तापमान 37-40 डिग्री सेल्सियस के आसपास है और अगले सप्ताह इसके 42 डिग्री तक पहुंचने की संभावना है। चूंकि राज्य में गेहूं की कटाई का 90 फीसदी काम पूरा हो चुका है, इसलिए कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।”

“अगर तापमान 35 डिग्री सेल्सियस से ऊपर जाता है तो भी पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। मौसम विभाग के अनुसार, अप्रैल में मध्य भारत के कई इलाकों और उत्तरी मैदानी इलाकों तथा दक्षिण भारत के आसपास के क्षेत्रों में सामान्य से अधिक लू वाले दिन रहने की संभावना है। मध्य भारत और उत्तरी मैदानी इलाकों तथा दक्षिण भारत में अप्रैल में सामान्य लू दिवसों के विपरीत अधिक दिन तक लू चलने का अनुमान है”, उन्होंने कहा.

महापात्र के अनुसार, इन क्षेत्रों में सामान्यतः एक से तीन दिनों की तुलना में दो से आठ दिन तक लू चलने की संभावना है। गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तरी कर्नाटक, ओड़ीशा, पश्चिम मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश में अप्रैल में लू का सबसे बुरा असर होने का अनुमान है। 

आपको बता दें कि मौसम विभाग का यह अनुमान ऐसे समय में आया है जब देश सात चरणों में होने वाले आम चुनाव की तैयारी कर रहा है।

यूपी में पिछले दो दिनों से लू ने अपने दस्तक देने का एहसास अभी से करा दिया है. चमचमाती तेज धूप में गर्म धूल भारी हवाएं पूरे दिन चल रही हैं. पूर्वी यूपी की महिला किसान दुखना देवी (73) जो लगभग 50 सालों से भी ज्यादा समय से खेती करती चली आ रहीं हैं, क्योंकि उनकी दोनों बेटियों की शादी हो चुकी है, वह अपने पति के साथ खेती का पूरा काम अभी भी देखती हैं, वह द मूकनायक को बताती हैं कि, “इतना बयार चली है कल्हिंयाँ कि कइयो पेड़-पालो गिर गईल है. [कल बहुत तेज लू चल रही थी जिसमें कई पेड़ गिर गए] ”  

क्या इस लू का असर गेहूं की फसल पर पड़ेगा, पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि, “जब गेहूं पर दाना न परा होत तब असर पड़त. बकिल अब गेहूं में दाना पड़ी गईल, एह नाते अब गेहूं पास एकर कौनो असर नाहीं पड़ी [अगर पहले लू चली होती तब गेहूं की फसल पर इसका असर पड़ता, लेकिन अब गेहूं के पौधों में दाने पड़ गए हैं इस लिए अब इस लू का असर गेहूं की फसल पर नहीं पड़ेगा]”.

अप्रैल के अंत से प्रतिकूल मौसम परिस्थितियां

इस साल देश में अप्रैल के अंत से प्रतिकूल मौसम परिस्थितियां उत्पन्न होने का पूर्वानुमान है। केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री किरेन रिजीजू ने कहा कि ऐसे में सभी हितधारकों के लिए पहले से तैयारी करना महत्त्वपूर्ण है।

मंत्री ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, “हमें आने वाले ढाई महीने प्रतिकूल मौसम का सामना करना पड़ेगा। संयोग से इसी दौरान आम चुनाव भी हैं, जिसमें लगभग एक अरब लोगों के मतदान करने की उम्मीद है।”

रिजीजू ने कहा कि उन्होंने भीषण गर्मी के पूर्वानुमान के बीच चुनावों के मद्देनजर हितधारकों के साथ एक उपयोगी बैठक की है। राज्य सरकारों सहित सभी हितधारकों ने व्यापक तैयारी की है। उन्होंने कहा, “यह हम सभी के लिए बहुत चुनौतीपूर्ण होने वाला है। चूंकि हम दुनिया में सबसे अधिक आबादी वाले देश हैं और प्रतिकूल मौसम झेलना पड़ता है, इसलिए पहले से तैयारी करना बेहद जरूरी हो जाता है।”

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