भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार ने बीते शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में 9 ट्रांसफर याचिकाओं की सुनवाई कराकर हाईकोर्ट को संबंधित प्रकरणों में सुनवाई करने से रोक लगवा दी है। सरकार के इस कदम से ओबीसी आरक्षण लागू करने में उसका दोहरा चरित्र सामने आया है। ओबीसी संगठनों ने सरकार की रणनीति पर सवाल उठाए है। उनका कहना कि सरकार ओबीसी आरक्षण के लिए सिर्फ दिखावा कर रही है।
बता दें जब हाईकोर्ट ने ओबीसी आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज करना शुरू किया, तो सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में लगभग 75 ट्रांसफर याचिकाएं दायर कीं। इनमें से 13 याचिकाओं में 20 जनवरी 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट द्वारा की जा रही सुनवाई पर रोक लगा दी थी। आज, 7 फरवरी 2025 को, सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस उज्ज्वल भूयन की खंडपीठ ने 9 और याचिकाओं की सुनवाई करके नोटिस जारी किए और सभी ट्रांसफर याचिकाओं की सुनवाई की अगली तारीख 14 फरवरी 2025 निर्धारित की है।
मध्य प्रदेश पिछड़ा वर्ग के संगठनों और ओबीसी के होल्ड अभ्यर्थियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में एक दर्जन से अधिक कैविएट दाखिल की गई हैं, जिनकी सुनवाई अभी तक नहीं हो सकी है। जिन ट्रांसफर प्रकरणों में कैविएट दायर हुई थी, उन प्रकरणों की सुनवाई नहीं हो पाई है क्योंकि सरकार ने याचिकाओं की प्रति कैविएटर्स को प्रदान नहीं की है।
सरकार के इस कदम से यह स्पष्ट होता है कि वह ओबीसी का 27% आरक्षण लागू करने में रुचि नहीं रखती है। हाईकोर्ट के स्पष्ट आदेश के बावजूद, सुप्रीम कोर्ट में केस पेंडिंग का हवाला देकर मध्य प्रदेश सरकार ओबीसी का 27% आरक्षण लागू नहीं कर रही है। आज की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह कोर्ट केवल कानून की संवैधानिक वैधता को ही डिसाइड करेगी। अगली सुनवाई 14 फरवरी 2025 को होगी।
द मूकनायक से बातचीत में वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर ठाकुर ने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार ओबीसी आरक्षण को लागू करने के नाम पर केवल दिखावा कर रही है। जब हाईकोर्ट ने बिना आधार वाली याचिकाओं को खारिज करना शुरू किया, तो सरकार ने घबराहट में सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर याचिकाएं दायर कर दीं। इससे साफ है कि सरकार खुद ही मामले को उलझाने में लगी है ताकि ओबीसी को 27% आरक्षण का लाभ न मिल सके।
रामेश्वर ठाकुर ने आगे कहा कि हाईकोर्ट के स्पष्ट आदेशों के बावजूद सरकार बार-बार सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामलों का हवाला देकर आरक्षण लागू करने से बच रही है। सुप्रीम कोर्ट में भी सरकार ने पहले से ट्रांसफर हो चुकी याचिकाओं पर सुनवाई कराने में कोई रुचि नहीं दिखाई है। यह दर्शाता है कि सरकार जानबूझकर ओबीसी आरक्षण को टालने की रणनीति अपना रही है, जिससे लाखों ओबीसी अभ्यर्थियों के हक पर संकट मंडरा रहा है।
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