MP में ओबीसी आरक्षण पर भ्रम की स्थिति! सरकार के रुख पर OBC एडवोकेट वेलफेयर एसोसिएशन ने उठाए सवाल

ओबीसी एडवोकेट वेलफेयर एसोसिएशन का आरोप है कि सरकार इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए है और महाधिवक्ता द्वारा प्रस्तुत किए गए तथ्यों को बिना जांचे-परखे ही स्वीकार कर रही है।
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भोपाल। मध्य प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के 27% आरक्षण को लागू न किए जाने को लेकर लगातार विवाद बना हुआ है। ओबीसी एडवोकेट वेलफेयर एसोसिएशन ने इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाते हुए सरकार के स्पष्टीकरण को भ्रामक बताया है। एसोसिएशन का कहना है कि सरकार ओबीसी आरक्षण पर गलत तथ्यों का सहारा लेकर लाखों युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ कर रही है।

हाईकोर्ट के आदेश का गलत हवाला

ओबीसी एडवोकेट वेलफेयर एसोसिएशन के अनुसार, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में लंबित याचिका क्रमांक 18105/2021 में 28 जनवरी 2025 को पारित आदेश के आधार पर ओबीसी का 13% आरक्षण होल्ड किया गया है। वहीं, सरकार की ओर से महाधिवक्ता द्वारा याचिका क्रमांक WP No. 24847/2022 (हरीशंकर बरोदिया बनाम मध्य प्रदेश शासन एवं अन्य) तथा WP No. 3668/2022 (शिवम गौतम बनाम राज्य शासन एवं अन्य) के आदेशों का हवाला देकर ओबीसी के 27% आरक्षण को लागू न करने का तर्क दिया जा रहा है।

हालांकि, ओबीसी एडवोकेट वेलफेयर एसोसिएशन ने दावा किया है कि सरकार द्वारा प्रस्तुत ये तर्क वास्तविकता से परे हैं। याचिका क्रमांक 3668/2022 में एक अनुसूचित जाति वर्ग के अभ्यर्थी ने पीएससी-2020 के रिजल्ट में 13% अनारक्षित सीटों को चुनौती दी थी, जिसे जस्टिस शील नागू की एकल पीठ ने खारिज कर दिया था। इसके बाद इस आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में SLP क्रमांक 24847/2022 दायर की गई, जो अभी विचाराधीन है।

एसोसिएशन के अनुसार, हाईकोर्ट का आदेश केवल 50% वर्टिकल आरक्षण की सीमा के उल्लंघन को लेकर था, न कि ओबीसी के 27% आरक्षण को रोकने के लिए। यदि ओबीसी का 14% आरक्षण जोड़ भी दिया जाए, तो कुल आरक्षण 60% होगा, जिसमें अनुसूचित जाति (SC) का 16%, अनुसूचित जनजाति (ST) का 20%, ओबीसी का 14% और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) का 10% शामिल है।

महाधिवक्ता पर लगाए पक्षपात के आरोप

ओबीसी एडवोकेट वेलफेयर एसोसिएशन ने राज्य के महाधिवक्ता प्रशांत सिंह पर गंभीर आरोप लगाए हैं। एसोसिएशन का कहना है कि प्रशांत सिंह ने अपनी नियुक्ति के बाद से ही ओबीसी आरक्षण से जुड़े कानूनों की गलत व्याख्या करके ओबीसी वर्ग को सामाजिक न्याय से वंचित करने का कार्य किया है। "महाधिवक्ता दुर्भावना के तहत ओबीसी आरक्षण को रोकने के लिए सरकार को गलत सलाह दे रहे हैं। यदि वे निष्पक्ष रूप से कानून की व्याख्या करते, तो ओबीसी के 27% आरक्षण को लागू करने में कोई संवैधानिक बाधा नहीं होती,"

महाधिवक्ता को हटाने की मांग

एसोसिएशन ने इस पूरे मामले को लेकर सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। द मूकनायक से बातचीत करते हुए एसोसिएशन से जुड़े अधिवक्ता रामेश्वर ठाकुर का कहना है कि प्रशांत सिंह को महाधिवक्ता पद से हटाया जाना चाहिए और उनकी जगह संविधान और सामाजिक न्याय के प्रति निष्ठावान किसी योग्य अधिवक्ता को नियुक्त किया जाना चाहिए।

उन्होंने आगे कहा, "हमारी मांग है कि राज्य सरकार तत्काल महाधिवक्ता को पद से हटाए और ओबीसी के 27% आरक्षण को लागू करे। लाखों ओबीसी युवाओं का भविष्य इस फैसले पर निर्भर है,"

ओबीसी आरक्षण पर सरकार की चुप्पी पर सवाल

ओबीसी एडवोकेट वेलफेयर एसोसिएशन का आरोप है कि सरकार इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए है और महाधिवक्ता द्वारा प्रस्तुत किए गए तथ्यों को बिना जांचे-परखे ही स्वीकार कर रही है। एसोसिएशन ने स्पष्ट किया कि यदि सरकार जल्द ही इस मामले में कोई ठोस कदम नहीं उठाती, तो वे उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर करके सरकार की मंशा को चुनौती देंगे।

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