राजस्थान के स्कूलों में हुआ सूर्य नमस्कार, मुस्लिम स्टूडेंट्स की उपस्थिति रही कम - ग्राउंड रिपोर्ट

सरकार के आदेश को लेकर क्या सोचते हैं अभिभावक व मुस्लिम युवा- द मूकनायक ने ग्राउंड पर जाकर जानी मन की बात।
सवाई माधोपुर जिले के एक सरकारी स्कूल में सूर्य नमस्कार करते हुए स्टूडेंट्स
सवाई माधोपुर जिले के एक सरकारी स्कूल में सूर्य नमस्कार करते हुए स्टूडेंट्स

जयपुर। मुस्लिम संगठनों के विरोध के बीच गुरुवार को राजस्थान के शिक्षण संस्थानों में सूर्य नमस्कार का आयोजन किया गया, हालाँकि अन्य दिनों के मुकाबले स्कूलों में छात्र उपस्थिति कम रही। सूर्य नमस्कार के विरोध में बड़ी संख्या में मुस्लिम समाज के विद्यार्थी स्कूल नहीं पहुंचे। अभिभावकों ने भी सूर्य नमस्कार कार्यक्रम को गैर संवैधानिक व इस्लाम के खिलाफ बताते हुए अपने बच्चों को स्कूल नहीं जाने दिया। इसे जमीयत-उलेमा-हिंद के आह्वान के असर से भी जोड़ कर देखा जा रहा है।  इधर, राज्य सरकार का दावा है कि प्रदेश भर में हुए इस आयोजन में 75 लाख से ज्यादा स्टूडेंट्स और शिक्षकों की भागीदारी रही जिससे एक नया विश्व रिकार्ड कायम हुआ है.

राजस्थान में सूर्य नमस्कार के सरकारी आदेश को लेकर छिड़े विवाद पर गुरुवार को आयोजित कार्यक्रम के दौरान द मूकनायक की टीम ने ग्राउंड पर जाकर मुस्लिम अभिभावकों से बात की। सवाईमाधोपुर जिले के शेषा गांव में अभिभावकों ने कहा कि सरकार हमारे संवैधानिक अधिकारों का हनन कर स्कूलों के माध्यम से हमारे बच्चों को जबरदस्ती दूसरे धर्म की पूजा उपासना के लिए बाध्य कर रही है। एक विचारधारा के तहत राजस्थान की भाजपा सरकार चाहती है कि मुसलमानों के बच्चों को किसी न किसी बहाने से शिक्षा से दूर किया जाए।

सेकुलरिज्म भारतीय लोकतंत्र का मजबूत स्तंभ

सवाई माधोपुर जिले के शेष गांव में रहने वाले इंसाफ अली ने द मूकनायक से कहा कि "सेकुलरिज्म भारतीय लोकतंत्र का मजबूत स्तंभ है। राज्य सरकार ने 23 जनवरी 2024 को एक आदेश जारी कर सभी को सूर्य नमस्कार के लिए जबरदस्ती बाध्य किया। सरकार का यह आदेश भारतीय लोकतंत्र के खिलाफ है। इंसाफ अली ने कहा कि इस्लाम में अल्लाह के सिवा किसी और की इबादत करना शिर्क है। सरकार के द्वारा आदेश जबरदस्ती थोपे गए जिससे यह सिद्ध होता है कि राजस्थान की भाजपा सरकार चाहती ही नहीं कि मुस्लिम समाज के बच्चे भी इल्म हासिल करें। बच्चे पढ़ेंगे तो समाज आगे बढ़ेगा। यह लोग मुस्लिम समाज को पिछड़ा हुआ देखना चाहते है। जब तक सरकार इस आदेश को वापस नहीं लेती हम विरोध करते रहेंगे"।  

शेषा गांव में ही रहने वाले आसिफ जरदारी ने कहा कि सूर्य नमस्कार का आदेश संविधान विरोधी है। आप किसी की पूजा या उपासना के लिए बच्चों को जबरदस्ती फोर्स नहीं कर सकते। यह मेरा अपना अधिकार है कि मैं किसे मानूं किसकी पूजा करूं? उन्होंने कहा कि सूर्य नमस्कार के कारण आज हमारे बच्चे स्कूल नहीं गए। सूर्य नमस्कार हम नहीं करेंगे। इस्लाम में सूर्य नमस्कार या पूजा की इजाजत नहीं है। यह विचारधारा द्वारा जबरदस्ती थोपा जा रहा है।  

सूर्य नमस्कार के विरोध में बड़ी संख्या में मुस्लिम समाज के विद्यार्थी स्कूल नहीं पहुंचे।
सूर्य नमस्कार के विरोध में बड़ी संख्या में मुस्लिम समाज के विद्यार्थी स्कूल नहीं पहुंचे।

मुस्लिम बच्चों को शिक्षा से दूर करना मकसद!

गांव में ही रहने वाले सलाम खान ने कहा कि इस सब के पीछे सरकार का मकसद साफ है कि मुस्लिम बच्चों को किसी भी तरह से शिक्षा से वंचित रखा जाए। इसलिए इस तरह के प्रोपेगेंडा चलाया जा रहा है। संविधान ने हमें धार्मिक अधिकार दिए हैं। हम अपने धर्म के अनुसार ही पूजा उपासना करेंगे। हमारे बच्चों को स्कूल में किसी और धर्म या मजहब को फॉलो करने के लिए बाध्य किया जाएगा तो हमारे बच्चे स्कूल नहीं जाएंगे।

मलारना डूंगर पंचायत समिति प्रधान देवपाल मीना ने कहा कि मेरा मानना है कि कोई भी प्रकृति को नमस्कार करें, आपको आजादी है, लेकिन अबोध बच्चों को सूर्य नमस्कार के लिए पाबंद करना गलत है। सरकार जो पाबंदी लगा रही वो गलत है। इंसान स्वतंत्र है। कोई किसी भी धर्म के लोगों को बाध्य नहीं कर सकता। आप सूर्य पर क्यों अटके हो पूरी प्रकृति को नमस्कार करो किसने रोका है आपको? आप अपने तरीके से उपासना के लिए दूसरों को पाबंद नहीं कर सकते। संविधान में सभी को धार्मिक आजादी है। सरकार केवल गुमराह कर रही है।

न्यायालय से निराशा मिली

आपको बता दें कि पूर्ववर्ती भाजपा की वसुंधरा सरकार के समय भी स्कूलों में योग अभ्यास की आड़ में सूर्य नमस्कार का आदेश जारी किया गया था। तब भी मुस्लिम संगठनों ने इसका विरोध कर न्यायालय में याचिका दायर की थी। उस वक्त राजस्थान हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद सरकार ने संशोधित आदेश जारी कर सूर्य नमस्कार व योग अभ्यास में बोले जाने वाले मंत्र बोलने पर विद्यार्थियों को स्वतंत्र दी थी।
अब राजस्थान में एक बार फिर भाजपा की भजन लाल सरकार बनी तो शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने सूर्य सप्तमी पर सूर्य नमस्कार के कार्यक्रम को शिक्षण संस्थानों में अनिवार्य कर दिया। जमीयत-उलेमा-हिंद सहित राजस्थान मुस्लिम फोरम व अन्य मुस्लिम संगठनों ने सरकार के इस आदेश को संविधान विरोधी बताते हुए सूर्य नमस्कार कार्यक्रम में शिरकत का विरोध किया था।
सरकार के आदेश के खिलाफ राजस्थान मुस्लिम फोरम राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इसके अलावा कासिफ जुबेरी ने भी अलग से एक याचिका दायर की थी, लेकिन याचिका कर्ताओं को न्यायालय से निराशा हाथ लगी। राजस्थान मुस्लिम फोरम को रजिस्टर्ड संस्था नहीं होने पर कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया। कोर्ट के निर्देश पर फोरम ने अपनी याचिका विड्रो करली तथा कासिफ जुबेरी की याचिका पर कोर्ट ने सुनवाई के लिए एक मार्च का समय दिया है।

मुस्लिम समाज के मुताबिक जबरन सूर्य नमस्कार करवाएंगे तो जारी रहेगा विरोध
मुस्लिम समाज के मुताबिक जबरन सूर्य नमस्कार करवाएंगे तो जारी रहेगा विरोध

क्या बोले कानून के जानकार

शिक्षण संस्थानों में 15 फरवरी को सूर्य नमस्कार कार्यक्रम अनिवार्य करने विरोध में दायर याचिका में कोर्ट के फैसले पर एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स (एपीसीआर) के प्रदेश अध्यक्ष सैयद सआदत अली से द मूकनायक ने बात की।

एडवोकेट सैयद सआदत अली ने बताया कि शिक्षण संस्थानों में सूर्य नमस्कार के आयोजन को अनिवार्य रूप से करने के सरकार के आदेश को हमने आर्टिकल 25 के फंडामेंटल राइट का वॉयलेशन बताते हुए रिट फाइल की थी। हमने न्यायालय को बताया कि हमारे ऊपर यह जबरदस्ती थोपा जा रहा है। जो सूरज को भगवान मानते हैं वो सूरज की उपासना करें। हम सूरज को भगवान नहीं मानते हैं। हम एक अल्लाह को मानने वाले लोग हैं।

उन्होंने कहा कि हमने राजस्थान मुस्लिम फोरम के नाम से रिट लगाई थी। यह भी सच है कि राजस्थान मुस्लिम फोरम रजिस्टर्ड संस्था नहीं है। कोर्ट ने टेक्निकल इश्यू पर हमसे कहा कि क्योंकि आप रजिस्टर्ड संस्था नहीं हो इसलिए इस याचिका को विड्रो करो। इस लिए हमने याचिका विड्रो की है। कोर्ट ने याचिका खारिज नहीं की है।

एडवोकेट सैयद सआदत अली कहते हैं कि कोर्ट ने कहा कि आप रजिस्टर्ड बॉडी के साथ आइए। उन्होंने कहा कि हमने 2015 में भी इसी तरह के आदेश के खिलाफ कोर्ट में रिट दाखिल की थी। उसमें हमने अजमत-ए-रसूल नाम की संस्था की ओर से याचिका दाखिल की थी। वो संस्था भी रजिस्टर्ड नहीं थी। कोर्ट ने उसको सुना था। कोर्ट के आदेश पर राज्य सरकार ने संशोधित आदेश निकाल कर सूर्य नमस्कार को ऐच्छिक कर दिया था। राजस्थान मुस्लिम फोरम ने याचिका लगाई तो कोर्ट ने पंजीयन की  टेक्निकल खामी बता दी। कोर्ट ने कहा कि व्यक्तिगत या अभिभावक की तरफ से याचिका लगाई जा सकती थी। आपने यह भी नहीं कहा कि आप के बच्चे स्कूल में पढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार का यह सर्कुलर केवल आज के लिए था। आधा घंटे का कार्यक्रम था। अब वो बात खत्म हो गई।  

एडवोकेट सैयद सआदत अली ने द मूकनायक से बात करते हुए कहा कि यदि कोई मुसलमान सूर्य नमस्कार करना चाहता है तो करें। हमें कोई एतराज नहीं है, लेकिन आप इसके लिए जबरदस्ती क्यों कर रहे हैं ? इसे आप ऐच्छिक रखिये। एक तरफ आप कहते हो कि सूर्य नमस्कार भगवान की उपासना नहीं है। दूसरी तरफ आप सूर्य को भगवान मानते हुए उसकी तरफ हाथ करके उसकी उपासना करते हो। हम भगवान नहीं मानते तो हम पूजा नहीं करते।

उन्होंने कहा कि दुनिया में बहुत सी चीजें है जो इंसान के जीवन के लिए जरूरी है। पेड़ पौधे आपको ऑक्सीजन देते हैं। समुद्र आप को पानी देता है। किसान खेत से आपको अनाज देता है जिससे आप जिंदा रहते हो। हम इनमें से किसी की भी पूजा नहीं करते। कुरान में केवल एक अल्लाह की इबादत का हुक्म दिया गया है। एक सवाल के जवाब ने उन्होंने कहा कि राजस्थान में जबरदस्ती कहीं नहीं करवाई गई है। ऐसी कोई शिकायत हमें नहीं मिली है। यदि कहीं से जबरदस्ती फोर्स कर किसी विद्यार्थी को सूर्य नमस्कार करवाया गया तो इस पर कानूनी लड़ाई लड़ेंगे।  

शिक्षा मंत्री के इस बयान के पीछे क्या है मंशा

इससे पूर्व राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने बीते दिवस बुधवार को राजस्थान पाठ्य पुस्तक मंडल के स्वर्ण जयंती समारोह में सूर्य नमस्कार पर विरोध पर कहा था कि सूर्य का विरोध करने वाले भी इस धरती पर पैदा हो रहे हैं। कोर्ट में जाकर कह रहे हैं कि हमारी भावनाएं आहत हो रही है। सूर्य भगवान से आपत्ति है तो प्रकाश लेना बंद कर काल कोठरी में घुस जाए। ताकि सूरज की किरण उन पर नहीं पड़े।

न्यूज एजेंसी इंडिया के हवाले से प्रकाशित खबर के अनुसार मदन दिलावर ने इस दौरान कहा कि हम किसी से नहीं कह रहे हैं कि सूर्य नमस्कार करना है, सिर्फ निवेदन किया है, लेकिन शिक्षण संस्थानों में कहा है कि सरकार का आदेश मानना पड़ेगा। मैं खुद भी आज एक स्कूल जाकर सूर्य नमस्कार करके आया हूं। यह एक सर्वांग योग है। कोई यदि 13 दिन तक लगातार सूर्य नमस्कार करता है तो उसे कोई बीमारी नहीं होगी।  

शिक्षा मंत्री ने आगे कहा कि कई शिक्षक मस्जिद जाने के नाम पर, नमाज पढ़ने के नाम पर कई घंटे तक गायब रहते हैं। इस लिए हम जल्द आदेश जारी करेंगे कि कोई शिक्षक बालाजी, भैरूजी पूजन के नाम पर, देवी-देवता पूजन के नाम पर अपना स्कूल नहीं छोड़ेगा, अगर छोड़ना है तो पूरे दिन की छुट्टी लेनी पड़ेगी। यदि कोई शिक्षक लगातार ऐसा करता पाया गया तो उसकी अनुपस्थिति दर्ज होगी। दिलावर ने कहा कि वह किसी पूजा पाठ के विरोध में नहीं है, लेकिन शिक्षक स्कूल समय में कटौती करके नमाज को जाएंगे तो यह ठीक नहीं होगा।  

इससे पूर्व राजस्थान मुस्लिम फोरम ने जमीयत-उलेमा-हिंद व अन्य मुस्लिम संगठनों के साथ जयपुर में प्रेस कांफ्रेंस मुस्लिम समाज से सूर्य नमस्कार कार्यक्रम के विरोध का आह्वान किया था। फोरम ने पीसी में कहा था कि भारतीय संविधान ने प्रत्येक नागरिक को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार दिया है। भारतीय संविधान के अनुसार सरकारी एवं सरकार द्वारा अनुदानित शिक्षण संस्थाओं में कोई भी धार्मिक प्रार्थना एवं धार्मिक आयोजन नहीं किए जा सकते, लेकिन राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के सभी स्कूलों में15 फरवरी को सूर्य सप्तमी के अवसर पर सूर्य नमस्कार को अनिवार्य करने के आदेश पारित किया है।

राजस्थान मुस्लिम फोरम ने पीसी के माध्यम से  सभी स्कूलों, प्रदेश के सभी मुस्लिम स्कूलों, एकेश्वरवाद में विश्वास रखने वाले राजकीय स्कूलों के शिक्षकों, समस्त अभिभावकों एवं छात्र छात्राओं से आह्वान किया था कि कोई सूर्य नमस्कार के कार्यक्रम में भाग नहीं लेंवे। संवैधानिक अधिकार के तहत अपने ईमान की हिफाजत करें।

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