मध्य प्रदेशः मुस्लिम प्रिंसिपल पर 'हिंदू और देश विरोधी' होने के आरोप खारिज, जानिए पूरा मामला?

न्यायमूर्ति गवई ने पूछा, “राज्य ऐसे मामले में एक अतिरिक्त महाधिवक्ता को पेश करने में क्यों दिलचस्पी रखता है?” वह भी चेतावनी पर?! जाहिर है, यह उत्पीड़न का मामला लगता है! किसी को उसे याचिकाकर्ता को परेशान करने में दिलचस्पी है!
प्रोफेसर इनामुर्रहमान.
प्रोफेसर इनामुर्रहमान.

भोपाल। इंदौर के शासकीय लॉ कॉलेज की लाइब्रेरी में मिली कथित विवादित किताब मामले में निलंबित प्रिंसिपल प्रोफेसर इनामुर्रहमान को सुप्रीम कोर्ट ने राहत देते हुए उनके खिलाफ की गई कार्यवाही और एफआईआर को रद्द कर दिया है।

इस मामले इंदौर हाईकोर्ट से याचिका निरस्त होने के बाद प्रिंसिपल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा एफआईआर रद्द करने की जानकारी प्रो.इनामुर्रहमान के एडवोकेट अभिनव धनोतकर ने दी है। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी, जिस पर मंगलवार को सुनवाई हुई।

सुप्रीम कोर्ट ने आपराधिक कार्यवाही पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार करने के लिए मध्यप्रदेश हाई कोर्ट की जमकर खिंचाई की। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने कार्यवाही और एफआईआर को रद्द करते हुए कहा कि यह मामला सिलेबस के बारे में है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी कर कहा कि - "राज्य ऐसे मामले में उत्पीड़न करने के लिए इतना उत्सुक क्यों है। याचिकाकर्ता पहले से ही अग्रिम जमानत पर बाहर थे। यह पुस्तक तो सुप्रीम कोर्ट की लाइब्रेरी में भी मिल सकती है।"

न्यायमूर्ति गवई ने पूछा, “राज्य ऐसे मामले में एक अतिरिक्त महाधिवक्ता को पेश करने में क्यों दिलचस्पी रखता है?” वह भी चेतावनी पर?! जाहिर है, यह उत्पीड़न का मामला लगता है! किसी को उसे याचिकाकर्ता को परेशान करने में दिलचस्पी है! हम जांच अधिकारी के खिलाफ नोटिस जारी करेंगे! राज्य को कैविएट दाखिल करने में दिलचस्पी क्यों है?

एक न्यूज चैनल से बातचीत करते हुए प्रोफ़ेसर डॉक्टर इनामुर्रहमान ने कहा, “मेरे 38 साल के टीचिंग करियर में कभी भी किसी तरह का कोई आरोप नहीं लगा था. कभी कोई जाँच नहीं हुई थी, एक कारण बताओ नोटिस तक नहीं जारी हुआ था.”

उन्होंने कहा कि कॉलेज की बेहतरी के लिए अपनी तमाम ऊर्जा लगाने के बावजूद ख़ुद को मुश्किल में पाता हूं. “मैं बाहर से शिक्षक लेकर आया. बाहर के अच्छे कॉलेजों से संपर्क स्थापित किया. सरकार के सीनियर अफ़सरों से जाकर मुलाक़ात की. चाहता था कि आने वाली पीढ़ियों को कोई परेशानी ना हो. लेकिन इसका क्या फ़ायदा हुआ?”

हाईकोर्ट ने अंतरिम रोक लगाने से किया था इनकार

एक स्थानीय समाचार पत्र के मुताबिक प्रिंसिपल ने इंदौर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें रिटायरमेंट की बात कहते हुए एफआईआर निरस्त करने की मांग की थी। याचिका में यह भी उल्लेख किया कि लाइब्रेरी में किताब पहले से रखी हुई थी। पुलिस ने बगैर जांच किए सीधे केस दर्ज कर लिया। रिटायरमेंट के बाद की सुविधाओं पर इस एफआईआर से असर होगा। पुलिस ने इस पर आपत्ति लेते हुए कहा था कि एफआईआर पर रोक लगने से पूरी जांच प्रभावित हो जाएगी। पुलिस इस बारे में जल्द ही चालान पेश करने वाली है। कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद मामले में अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया था।

क्या था मामला?

दिसंबर 2022 में शासकीय लॉ कॉलेज में शिक्षकों पर धार्मिक कट्‌टरता फैलाने का आरोप लगा था। संघ के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े छात्रों ने मामले की शिकायत पुलिस से की थी। छात्रों ने आरोपों को लेकर सबूत पेश करने के साथ ही भंवरकुआं थाने में एक आवेदन भी पुलिस को दिया। जिसमें किताब के लेखक डॉ.फरहत खान, इंदौर शासकीय नवीन विधि महाविद्यालय के प्राचार्य इनामुर्रहमान, कॉलेज के प्रोफेसर डॉ.मिर्जा मोईज के खिलाफ केस दर्ज करने की मांग की थी।

पुलिस को दिए आवेदन के साथ किताब सामूहिक हिंसा एवं दाण्डिक न्याय पद्धति का लेखन संलग्न की गई। आरोप लगाया कि किताब में लेखक द्वारा जानबूझकर असत्य एवं बिना किसी साक्ष्य के आधार पर हिन्दू धर्म के विरुद्ध नितांत झूठी टिप्पणियां की गई। विषयांतर्गत पुस्तक को इंदौर शासकीय विधि महाविद्यालय के मुस्लिम शिक्षकों द्वारा जानबूझ कर छात्रों को रेफर किया गया।

लेखक ने राष्ट्र विरोधी मुहिम के तहत पुस्तक में हिन्दू धर्म और आरएसएस के विरुद्ध असत्य एवं झूठे तथ्यों को लिखा है। बाद में चारों के खिलाफ पुलिस ने केस दर्ज किया। प्रिंसिपल रहमान को निलंबित कर उच्च शिक्षा विभाग ने विभागीय जांच बैठा दी। तब से रहमान निलंबित है और सुप्रीम कोर्ट से अग्रिम जमानत पर थे।

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