ग्राउंड रिपोर्ट: लखनऊ की इस मुस्लिम बस्ती को क्यों उजाड़ना चाहती है योगी सरकार?

अकबरनगर के 1200 मकान व 102 दुकानों को तोड़ने की कवायद, रहवासियों को कोर्ट से मिली राहत, भीखमपुर के 58 मकान तोड़े।
कुकरैल नदी के एक छोर पर बसा अकबरनगर.
कुकरैल नदी के एक छोर पर बसा अकबरनगर.फोटो- अरुण कुमार वर्मा, द मूकनायक

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की मुस्लिम बहुल अकबरनगर बस्ती आजकल चर्चा में है। बस्ती में जगह-जगह पुलिस बल तैनात है और बसावट के बीच से होकर निकलती अयोध्या रोड के कुकरैल वाले छोर पर बाबा के बुल्डोजर एक लाइन में पार्क किए गए हैं। इन बुल्डोजर ने गत 21 दिसम्बर को अकबरनगर के मुख्य बाजार की कुछ दुकानों को जमीदोज कर दिया था। इससे पहले पास की भीखमपुर बस्ती में 58 मकानों को भी मलबे के ढेर में तब्दील कर दिया। सरकार की कार्रवाई से नाराज लोगों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसके बाद इलाहाबाद न्यायालय की लखनऊ बेंच ने राहत देते हुए बस्ती तोड़ने की कार्रवाई पर 22 जनवरी 2024 तक स्टे लगा दिया है।

उल्लेखनीय है कि योगी सरकार शहर के बीच से होकर गुजर रही गोमती नदी की सहायक नदी कुकरैल के रिवर फ्रंट के निर्माण को लेकर युद्धस्तर पर काम कर रही है। रिवरफ्रंट के रास्ते में आ रहे अकबरनगर के करीब 1200 मकान व 102 दुकानों को अवैध मानकर उनको तोड़ने की कार्रवाई शुरू की गई है। द मूकनायक टीम मामले की पड़ताल करने अकबरनगर बस्ती पहुंची।

अयोध्या रोड पर कुकरैल पुल को क्रास कर निशांतगंज की ओर चलने पर मुख्य सड़क से बाईं ओर उतरती एक संकरी गली में हम आगे बढ़ गए। यह इलाका अकबरनगर-2 के नाम से जाना जाता है और नगर निगम के वार्ड- 45 का हिस्सा है। यहां अपने मकान के बाहर खड़ी शाहीन बानो से बात की। शाहीन सरकार के मकान तोड़ने की कार्रवाई से खिन्न नजर आई। उन्होंने कहा, "हम पिछली तीन पीढ़ियों से यहां रह रहे हैं। बीते सितम्बर माह में एलडीए (लखनऊ विकास प्राधिकरण) व नगर निगम का नोटिस आया। हमें मकान खाली करने को कहा है। अब वे हमारा मकान तोड़ने जा रहे है। भला हम कहां जाएंगे?"

अकबरनगर की एक सुनसान गली
अकबरनगर की एक सुनसान गलीफोटो- अरुण कुमार वर्मा, द मूकनायक

थोड़ा आगे बढ़ने पर हमें शकुंतला देवी मिली। 60 वर्षीय शकुंतला देवी के पति रामखिलावन को भी एलडीए और नगर निगम से ऐसा ही नोटिस मिला है। शकुंतला ने कहा, "मेरे पांच बेटे हैं। एक बेटा अकबर नगर से बाहर जाकर बस गया। मैं पति-पत्नी मेरे चार बेटे के परिवार के साथ यहां इस मकान में रहते हैं। बेटे के अलग परिवार और चूल्हे हैं, रोजगार भी अलग है। हमारा घर तोड़ देंगे तो 40 जनों का परिवार लेकर हम कहां जाएंगे?"

शकुंतला देवी का परिवार (बाएं), पति एलडीए का मकान खाली करने का नोटिस लिए हुए.
शकुंतला देवी का परिवार (बाएं), पति एलडीए का मकान खाली करने का नोटिस लिए हुए.फोटो- अरुण कुमार वर्मा, द मूकनायक

शकुंतला ने आगे बताया, "सरकार हमारे परिवार को एक इकाई मानकर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत महज एक मकान दे रही है। उसके पंजीकरण के लिए 5 हजार रूपए लिए हैं। फिर किश्त बंधेगी। हमारा घर और रोजगार यही है। मकान कहीं और मिलेगा तो हमारा रोजगार चला जाएगा। फिर हम मकान की किश्त कैसे भरेंगे?"

बिजली-पानी काटी, फिर की सेवा बहाल, दुकानें अंधेरे में

एनजीओ के लिए काम कर रहे सुनील कुमार ने बताया कि एलडीए व नगर निगम ने मकान खाली करने का नोटिस देने के बाद बिजली व पानी कनेक्शन काट दिया था, लेकिन कोर्ट से राहत मिलने के बाद पानी व बिजली की सप्लाई चालू कर दी। हालांकि, मुख्य बाजार की दुकानों की बिजली आपूर्ति अभी तक चालू नहीं की गई है। बिजली विभाग के लोग दुकानों में लगे मीटर तक उखाड़ ले गए हैं।

अकबरनगर में तैनात पुलिस बल
अकबरनगर में तैनात पुलिस बलफोटो- अरुण कुमार वर्मा, द मूकनायक

25 हजार लोग होंगे प्रभावित

अकबरनगर बस्ती को टूटने से बचाने की कानूनी पैरवी कर रहे अधिवक्ता इमरान राजा ने द मूकनायक से बताया कि एलडीए और नगर निगम ने करीब 1200 मकान मालिक व 102 दुकान मालिकों को नोटिस जारी किए हैं, जबकि अकबर नगर में करीब 2000 से अधिक मकान हैं। इनमें करीब 3 हजार परिवार निवास करते हैं। कुल 25 हजार लोग सरकार की कार्रवाई से सीधे प्रभावित होंगे। उनके घर-मकान और रोजगार सब बर्बाद हो जाएगा। राजा सरकार से मानवी दृष्टिकोण अपनाकर कार्रवाई करने की अपील करते हैं। वे आशावान हैं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मामले में हस्ताक्षेप करेंगे और अकबरनगर के लोगों को राहत प्रदान करेंगे।

अकबरनगर के मुख्य बाजार की तोड़ी गई दुकान
अकबरनगर के मुख्य बाजार की तोड़ी गई दुकानफोटो- अरुण कुमार वर्मा, द मूकनायक

कामकाजी लोगों की बस्ती है अकबर नगर

अकबर नगर प्रथम एवं द्वितीय में सरकारी आंकड़ों के अनुसार 102 दुकानें और शोरूम अयोध्या रोड की दोनों पटरी पर है। इनसे लगभग 500 परिवारों की रोटी चल रही है। यहां फर्नीचर, फैब्रीकेटर्स की दुकानें सबसे ज्यादा है। सबसे बड़ा सवाल है कि एलडीए इन दुकानदारों को कहा विस्थापित करेगा। भीखमपुर के लोगों को डूडा कॉलोनी व प्रधानमंत्री आवास कॉलोनी में जगह दी गई है।

40 साल पहले एलडीए ने आवंटित की थी जमीन

एलडीए ने यह जमीन गृहविहीन समिति के सचिव बच्चू लाल के पक्ष में आवंटित की थी। 4 नवम्बर 1972 से 24 अक्टूबर 1974 तक यूपी में राज्यपाल रहे अकबरअली खां के नाम पर वर्ष 1973 में ही गृहविहीन समिति की ओर से बसाई गई बस्ती का नाम अकबरपुर रखा गया। कुकरैल के आस-पास बसे लोगों में कुछ को एलडीए के द्वारा नजूल (सरकारी) भूमि का आवंटन वर्ष 1983 में किया था।

39 साल से हो रहा अवैध निर्माण, सोता रहा एलडीए

कुकरैल के दायरे में 39 वर्षों से अवैध निर्माण हो रहा है, लेकिन एलडीए अभियंता और अफसर सोते रहे। अब जब लोगों ने झोपड़ी से पक्के घर बना दिए तो उनपर तैयारी है। एलडीए के पूर्व सचिव प्रभुनाथ मिश्र ने 19 अगस्त 1984 में संयुक्त सचिव को पत्र लिखा था कि जिसमें लिखा कि आवंटित नजूल भूमि के अतिरिक्त 284 लोग अवैध रूप से निर्माण करके कब्जा कर चुके हैं। इसके बाद भी एलडीए ने कोई कार्रवाई नहीं की।

कुकरैल के बीच खाली जमीन पर बन गए घर

सिंचाई विभाग एवं नगर निगम की उदासीनता के चलते नजूल भूमि ही नहीं कुकरैल के बीच खाली पड़ी जमीन पर भी घर बन गए हैं। नगर निगम ने इनसे टैक्स वसूलना शुरू कर दिया। विद्युत विभाग ने भी 40 साल में नेटवर्क के जरिए बिजली दौड़कर कनेक्शन बांट दिए हैं।

विस्थापित लोगों के PMAY के तहत पंजीयन के लिए लगाया गया शिविर
विस्थापित लोगों के PMAY के तहत पंजीयन के लिए लगाया गया शिविरफोटो- अरुण कुमार वर्मा, द मूकनायक

सरकार लेकर आई है विकल्प, महज 175 लोगों ने कराया पंजीकरण!

अकबर नगर प्रथम व द्वितीय में कुकरैल नदी व बंधे के विस्थापितों को पीएम आवास योजना के तहत पंजीकरण कराया जा रहा है। इसके लिए पंजीकरण राशि पांच हजार रुपए रखी गई है। बस्ती के पास ही पंजीकरण शिविर लगाया गया है। हालांकि बस्ती के लोगों में सरकार के इस विकल्प को लेकर कोई दिलचस्पी नहीं है।

अपर सचिव ज्ञानेंद्र वर्मा ने बाताया कि 23 दिसम्बर शाम पांच बजे तक 175 लोगों ने प्रधानमंत्री आवास योजना व डूडा की आवासीय योजना के तहत पंजीकरण कराया है। पंजीकरण शिविर 21 जनवरी तक आयोजित किया जाएगा। इधर, अकबरनगर के स्थानीय लोगों का कहना है कि बस्ती के अधिकांश लोग कामगार रोज कमाने-खाने वाले हैं। वे पीएमएवाई के तहत 5 हजार की पंजीकरण राशि व फिर किश्त नहीं दे सकते। सरकार अगर विस्थापित कर आवास ही देना चाहती है तो नि:शुल्क दे।

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