क्या दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में सप्लाई हो रही हैं नकली दवाइयां?

दिल्ली के एलजी विनय कुमार सक्सेना ने इस पूरे मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश की है। बताया जा रहा है कि विजिलेंस विभाग की रिपोर्ट के आधार पर एलजी ने यह एक्शन लिया है।
क्या दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में सप्लाई हो रही हैं नकली दवाइयां?
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नई दिल्ली: लोग सरकारी अस्पताल इसलिए जाते हैं जिससे उन्हें अच्छी दवाई और बेहतर इलाज मिल सके। ज्यादातर यहां पर वही लोग जाते हैं, जिनके पास पैसे की कमी होती है। हाल ही में दिल्ली में यह बात तूल पकड़ रही है कि दिल्ली के सभी सरकारी अस्पतालों में नकली दवाई सप्लाई हो रही है। देश की राजधानी दिल्ली में एक और घोटाले का दावा किया जा रहा है।

दिल्ली के उपराज्यपाल कार्यालय ने दावा किया है कि दिल्ली सरकार के अस्पतालों में खराब गुणवत्ता की दवाएं मिली हैं। एलजी दफ्तर ने कहा कि अस्पताल में जांचे गए 10% नमूने फेल साबित हुए हैं। दिल्ली के एलजी विनय कुमार सक्सेना ने इस पूरे मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी है। बताया जा रहा है कि विजिलेंस विभाग की रिपोर्ट के आधार पर एलजी ने यह एक्शन लिया है। उन्होंने इस बारे में मुख्य सचिव को एक पत्र भी लिखा है।

उन्होंने कहा कि ये दवाएं दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में लाखों मरीजों को दी जा रही हैं और संभवत: मोहल्ला क्लीनिकों में भी इनकी आपूर्ति की जा रही है। वीके सक्सेना ने आरोप लगाया कि इसमें अन्य राज्यों के आपूर्तिकर्ता और निर्माता शामिल हैं।

कौन-कौन सी दवाएं फेल

Amlodipine, Levetiracetam, Pantoprazole नाम की दवाएं सरकारी और निजी दोनों लैब टेस्ट में फेल हो गई हैं। इतना ही नहीं, Cephalexin, Dexamethasone भी निजी लैब में फेल हो गए हैं। 11 सैंपल की रिपोर्ट चंडीगढ़ की सरकारी लैब में पेंडिंग है. रिपोर्टों का निष्कर्ष है कि जो दवाएं विफल हो गई हैं, वे “मानक गुणवत्ता की नहीं” हैं।

मोहल्ला क्लीनिक का मामला भी देख रही है CBI

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार एलजी ने कहा, कहने की जरूरत नहीं है कि भारी बजटीय संसाधनों को खर्च करके खरीदी गई ये दवाएं सार्वजनिक स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा करती हैं और लोगों के जीवन को खतरे में डालने की क्षमता रखती हैं। सूत्र ने कहा, “प्रथम दृष्टया, सीपीए-डीएचएस, जीएनसीटीडी के अलावा, आपूर्तिकर्ता, अन्य राज्यों में स्थित निर्माता और उन राज्यों में दवा नियंत्रक इस पूरे अभ्यास में शामिल हैं।” सूत्र ने कहा कि, चूंकि मोहल्ला क्लीनिक मामला पहले ही सीबीआई को सौंपा जा चुका है, इसलिए यह मामला, जिसमें अन्य बातों के अलावा ऐसे क्लीनिकों को इन विफल ‘मानक गुणवत्ता वाली दवाओं की आपूर्ति शामिल हो किया जा सकता है।

शराब घोटाले से परेशान हैं आप नेता

दरअसल, दिल्ली के एलजी ने दिल्ली सरकार के सरकारी अस्पतालों में खराब गुणवत्ता की दवाएं मिलने के मामले की जांच की सीबीआई सिफारिश ऐसे वक्त में की है, जब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सरकार के कई नेता लगातार भ्रष्टाचार और घोटालों की वजह से मुसीबत में फंसे हुए हैं। खुद अरविंद केजरीवाल को ईडी दिल्ली शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूछताछ के लिए तीन बार समन जारी कर चुकी है। बता दें कि अभी दिल्ली सरकार में मंत्री रह चुके मनीष सिसोदिया, सत्येंद्र जैन और आप से राज्यसभा सांसद संजय सिंह कथित अलग-अलग घोटालों की वजह से ईडी और सीबीआई के एक्शन की वजह से जेल में हैं। मनीष सिसोदिया और संजय सिंह दिल्ली शराब घोटाला केस में जेल में हैं, वहीं सत्येंद्र जैन मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले में जेल में है।

द मूकनायक ने शिवदयाल से बात की, जो दिल्ली के एक सरकारी अस्पताल के डॉक्टर हैं। वह बताते हैं कि इन दवाईयों का ज्यादा नुकसान तो नहीं होता है। परंतु ऐसी दवाइयां सरकारी अस्पतालों में लानी ही क्यों है। इन दवाइयां से ज्यादा फायदा भी नहीं होता है। यह हर तरीके से बेकार ही होती हैं। इसको देने से मरीजों को लंबे समय के लिए परेशानी हो सकती है। मान लीजिए किसी मरीज को थोड़ा इंफेक्शन है। अगर यह दवाई दी जाएगी और सोचा जाएगा कि इस दवाई से आराम पड़ेगा, तो ऐसा नहीं होता है। मरीज को ज्यादा इंफेक्शन हो सकता है। इसलिए पूरी तरह से दवाईयों की गुणवता का ध्यान रखना चाहिए, और समय-समय पर सरकार को भी इनकी जांच करवानी चाहिए। सरकारी अस्पतालों में ज्यादा गरीब और पिछड़ा वर्ग ही आता है। जिनके पास इलाज करने के लिए पैसे नहीं होते हैं। तो ऐसी असावधानी कैसे हो सकती है। यह उनकी जिंदगी से खिलवाड़ करने जैसा है।

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