LGBTQ: लिव-इन में अपनी प्रेमिका के साथ रह रही लड़की को कोर्ट ने किया दोष मुक्त, जानिए क्या है मामला?

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LGBTQ: लिव-इन में अपनी प्रेमिका के साथ रह रही लड़की को कोर्ट ने किया दोष मुक्त, जानिए क्या है मामला?
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भोपाल। मध्य प्रदेश के गुना में रहने वाली एक युवती अपने रिश्तेदार युवती के साथ दो साल से लिव इन में रह रही थी। मामला दोनों लड़कियों के बीच प्रेम प्रसंग का था, लेकिन गुना में रहने वाली लड़की के पिता ने उसे नाबालिग बताते हुए गुमशुदगी का मामला दर्ज करा दिया। ऐसे में दोनों कानूनी मामलों में फंस गईं और तीन वर्षों तक दोनों को कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगाने पड़े। मामला पाक्सो एक्ट और अपहरण में दर्ज हुआ इसलिए आरोपी प्रेमिका को 6 दिन जेल में भी रहना पड़ा था। हालांकि, कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद, और साक्ष्यों के आधार पर उसकी प्रेमिका को आरोपों से मुक्त कर दिया है।

क्या है पूरा मामला?

मामला वर्ष 2020 का है। 23 जून को गुना में रहने वाली एक लड़की के पिता ने कोतवाली थाने में शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने बताया कि 22 जून की रात लगभग 9 बजे उनकी बेटी घर से बिना बताए अचानक चली गयी है। उसके सभी जगह, दोस्तों-रिश्तेदारों में तलाश किया, लेकिन पता नहीं चल सका। जब लड़की नहीं मिली, तो उसके पिता ने 23 जून को कोतवाली में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने लड़की की गुमशुदगी दर्ज कर जांच शुरू की। 25 जून को पुलिस ने लड़की को बरामद कर लिया। उसने अपने कथनों में बताया कि वह आरोपी (22 वर्षीय युवती) से प्रेम करती है। उसी के साथ रह रही है। चूंकि लड़की नाबालिग थी, इसलिए मामले में पॉक्सो एक्ट की धाराओं को बढ़ाया गया। 26 जून को पुलिस ने आरोपी युवती को गिरफ्तार कर लिया। और कोर्ट में पेश करने के बाद उसे जेल भेज दिया गया।

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आरोपी प्रेमिका पर अपहरण का लगा था आरोप

पुलिस ने मामले की विवेचना के बाद आरोप पत्र न्यायालय में पेश किया। आरोपी युवती पर आईपीसी की धारा 363 (अपहरण), धारा 366 (किसी महिला को उसकी इच्छा के विरुद्ध विवाह करने के लिए उसे विवश करने या विवाह करने के लिए उस महिला का अपहरण करना) और पॉक्सो एक्ट की धारा 16/17 के तहत आरोप तय किए गए। इसके बाद कोर्ट में मामले में सुनवाई शुरू हुई।

स्कूल का भर्ती रजिस्टर बना प्रमाण

न्यायालय में सुनवाई के दौरान लड़की का स्कूल का भर्ती रजिस्टर पेश हुआ, जिसमें उसकी जन्म दिनांक 16 जुलाई 2003 लिखी थी। कोर्ट में लड़की के पिता ने बताया कि उसकी तीन बेटियां हैं। सबसे बड़ी बेटी की उम्र 25 और उससे छोटी बेटी की उम्र 24 वर्ष है। पीड़िता उसकी सबसे छोटी बेटी है। तीनों बेटियों की उम्र में एक-एक वर्ष का अंतर है। इस हिसाब से उसकी सबसे छोटी बेटी की उम्र 23 वर्ष है। स्कूल में जन्म दिनांक लिखाने से सवाल पर उसने कहा कि मास्टर ने अंदाजे से रजिस्टर में जन्म दिनांक लिख दी थी। कोर्ट में लड़की के पिता के बयानों के आधार पर स्पष्ट हुआ कि जुलाई 2003 लड़की की वास्तविक जन्म दिनांक नहीं है। वह 23 वर्ष की है। जिसके बाद कोर्ट ने लड़की को 18 वर्ष से ऊपर का और बालिग पाया।

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कोर्ट में लड़की ने बताया कि आरोपी उसकी मौसी लगती है। जिसे पीड़िता वर्ष 2017 से जानती है। वह आरोपी के साथ मर्जी से घर छोड़कर गई थी और वह उसी के साथ रहना चाहती है। उसने खुद आरोपी को फोन करके घर के पास बुलाया था। वह उसके साथ घर छोड़कर चली गई थी। वह आरोपी के साथ पहले अशोकनगर गई थी और वहां से आरोपी के गांव गई थी। पीडि़ता ने ही पिता को फोन करके बताया था, प्रकरण में कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनकर कहा कि प्रकरण में यह प्रमाणित हुआ है कि घटना दिनांक को पीड़िता बालिग थी। पीड़िता ने यह स्वीकार किया है कि वह मर्जी से आरोपी के साथ गयी थी और उसी के साथ रहना चाहती है। कोर्ट ने आरोपी युवती को मामले से दोषमुक्त कर दिया।

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