मध्य प्रदेश: ट्रेन की चपेट में आए मासूम को परिजनों को नहीं सौंपेगी बाल कल्याण समिति!

सीडब्ल्यूसी ने माता-पिता को ढूंढ लिया हे, लेकिन बयान संदिग्ध होने पर बच्चे को समिति के संरक्षण में रखने का लिया निर्णय
मध्य प्रदेश: ट्रेन की चपेट में आए मासूम को परिजनों को नहीं सौंपेगी बाल कल्याण समिति!

भोपाल। इंदौर एमवाय अस्पताल में डेढ़ महीने से भर्ती मासूम के माता-पिता को चाइल्ड लाइन और बाल कल्याण समिति ने ढूंढ लिया है, लेकिन परिवारजनों के बयान संदिग्ध है। बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) ने फिलहाल उसे माँ-बाप को सुपुर्द करने से मना कर दिया है।

दरअसल, 6 वर्षीय मासूम के ट्रेन हादसे में एक हाथ और पैर कट गए थे, जिसके बाद जीआरपी ने गंभीर हालत में डेढ़ महीने पहले अस्पताल में भर्ती कराया था। कुछ दिनों बाद उसके माता-पिता ने आकर मासूम को अपना बेटा बताया था। अस्पताल की सूचना पर बाल कल्याण समिति और चाइल्ड लाइन ने परिजनों से पूछताछ की, आधार कार्ड और अन्य दस्तावेज मांगे, जिसके बाद बच्चे के माता-पिता अस्पताल वापस नहीं आए थे।

क्या है पूरा मामला?

3 मार्च को इंदौर के मेघनगर आउटर रेलवे ट्रैक पर 5 साल का मासूम गंभीर घायल हालत में जीआरपी को मिला था। उसका एक हाथ और एक पैर कट गया था और दूसरे पैर का अंगूठा और अंगुली भी कट गई थी। इसके अलावा भी शरीर के दूसरे हिस्सों पर चोट थी। बीते डेढ़ महीने से शहर के एमवाय अस्पताल में भर्ती मासूम का इलाज जारी है।

द मूकनायक से बातचीत करते हुए इंदौर चाइल्ड लाइन के डायरेक्टर वसीम इकबाल ने बताया कि बाल कल्याण समिति और चाइल्ड लाइन ने पीड़ित बच्चे के गांव और परिवार का पता लगा लिया है। कुछ दिन पहले बच्चे के माता-पिता अस्पताल में उससे मिलने आए थे, बच्चा उन्हें देख कर रोने लगा था। लेकिन आधार कार्ड और अन्य दस्तावेज नहीं होने के कारण वह वापस चले गए, फिर नहीं आए। वसीम इकबाल ने बताया कि बाल कल्याण समिति और हमारी टीम ने मिलकर बच्चे के परिजनों को ढूंढ़ निकाला है। मगर उनसे पूछताछ में वह अलग-अलग बयान दे रहे हैं, जिसके चलते फिलहाल बच्चे की कस्टडी परिजनों को नहीं दी जाएगी।

डायरेक्टर वसीम इकबाल के मुताबिक यह भी सवाल है कि जब बच्चा ट्रेन की चपेट में आया तब परिजनों ने इसकी सूचना क्यों नहीं दी? उन्होंने बताया कि परिजन सवालों में कह रहे है कि वह डर गए थे। इन्हीं सब को लेकर परिजनों की स्थिति सन्दिग्ध है। जो जांच का विषय है।

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चाइल्ड लाइन के डायरेक्टर वसीम इकबाल ने बताया कि पीड़ित आकाश के माता-पिता भीम सिंह का परिवार खरगोन जिले के सांगवी में एक छोटे से कस्बे में रहता है। परिवार में भीम, उसकी पत्नी रेखा, तीन बेटे आयुष्मान, आकाश व राज हैं। परिवार में इनके साथ भीम सिंह के पिताजी भुरु, मां दसरीबाई, भाई तैरसिंह, कैलाश, मुकेश व बहन हिरली साथ में रहते हैं। ये सभी मजदूरी करते हैं। आकाश के माता-पिता मजदूरी के लिए गुजरात भी जाते हैं। इकबाल ने बताया है कि आकाश के परिजनों की पुष्टि कर ली गई है, लेकिन बयान संदिग्ध होने के चलते बाल कल्याण समिति ने फिलहाल बच्चे को परिजनों को सौंपने से मना कर दिया है। आगे का फैसला भी बाल कल्याण समिति ही लेगी फिलहाल बच्चा अस्पताल में है और उसकी हालत में सुधार हो रहा है। यदि बच्चे को अभी डिस्चार्ज किया जाता है तो उसे सेल्टर होम में रखा जाएगा ताकि उसकी देख-रेख ठीक से हो पाए।

अस्पताल में इलाज कर रहे डॉक्टरों के मुताबिक बच्चे के घाव भरने में अभी करीब दो महीनों समय और लग सकता है। बच्चा पूरी तरह ठीक है, पहले की अपेक्षा उसकी डाइट भी बेहतर हुई है। डॉक्टरों ने बताया कि आकाश पूरी तरह से चल सकेगा, लेकिन नकली हाथ-पैर के सहारे। इसके लिए एमवाय अस्पताल प्रबंधन नकली हाथ-पैर जुटाने में लगा है। लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि आकाश अभी मात्र 6 साल का है। 18 साल का होने तक उसकी हाइट बढ़ेगी। ऐसे में समय-समय पर उसके हाथ-पैर भी बदलवाना होंगे। अन्यथा उसे परेशानी होगी। इतना ही नहीं उसे समय-समय पर हेल्थ चेकअप भी कराना होगा। डॉक्टरों के मुताबिक आकाश पूरी तरह ठीक हो जाएगा।

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