टाटा स्टील कंपनी ने ट्रांसजेंडर्स के लिए निकाली भर्तियां, जानिए क्या है पद और योग्यता?

कंपनी ने कहा कि टाटा कुरीतियों को तोड़कर ट्रांसजेंडर लोगों को मुख्यधारा में लाना चाहती है।
टाटा स्टील कंपनी ने ट्रांसजेंडर्स के लिए निकाली भर्तियां, जानिए क्या है पद और योग्यता?

नई दिल्ली: ट्रांसजेंडर्स के लिए यह खुशखबरी की बात है कि टाटा स्टील कंपनी ने ट्रांसजेंडर उम्मीदवारों को नौकरी  देने का फैसला किया है। सोमवार को कंपनी द्वारा कहा गया कि उसने समावेशिता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए विभिन्न पदों पर ‘ट्रांसजेंडर’ उम्मीदवारों के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं। कंपनी ने कहा कि टाटा कुरीतियों को तोड़कर ट्रांसजेंडर लोगों को मुख्यधारा में लाना चाहती है।

कैसे होगा चयन?

टाटा ने ट्रांसजेंडर उम्मीदवारों को नौकरी देने के फैसले पर कहा कि, विभिन्न पदों के लिए आवेदन की आखिरी तारीख 15 फरवरी निर्धारित की गई है। इसके बाद सभी छांटे गए उम्मदीवारों को चयन प्रक्रिया से गुजरना होगा। शॉर्टलिस्ट होने के बाद उम्मीदवारों को चयन प्रक्रिया से गुजरना होगा। भर्ती से पहले पदों की जरूरत के अनुसार लिखित परीक्षा या इंटरव्यू देना पड़ेगा।

कंपनी पहले भी दे चुकी है नौकरियां

इससे पहले फरवरी 2022 में कंपनी ने 12 ट्रांसजेंडर क्रेन ऑपरेटरों की भरती की थी और उन्हें ओडिशा के कलिंगा नगर संयंत्र में प्रशिक्षण के लिए भेजा था। इसके आलावा कंपनी पहले भी झारखंड के पश्चिम बोकारो में 14 ट्रांसजेंडर उम्मीदवारों को खदानो में हैवी अर्थ मूविंग मशीनरी ऑपरेटरों को तौर पर नियुक्त कर चुकी है।

आवेदन के लिए ये होनी चाहिए योग्यता

टाटा स्टील झारखंड ने जिन पदों के लिए ट्रासजेंडर अभ्यर्थियों से आवेदन आमंत्रित किए हैं, उसके लिए निर्धारित शैक्षिक योग्यता अंग्रेजी में मेट्रिक्युलेशन, आईटीआई पास, एआईसीटी या यूसीजी से मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी या संस्थान से किसी भी विषय में बैचलर डिग्री या इंजनियरिंग में डिप्लोमा होना चाहिए।

इस मामले पर द मूकनायक ने एक ट्रांस पर्सन से बात की। नाम न बताने की शर्त पर उन्होंने बताया कि, "ट्रांसजेंडर के लिए इससे बड़ी बात क्या होगी कि किसी इतनी बड़ी कंपनी में नौकरी मिल रही है। लेकिन ज्यादातर ट्रांसपर्सन पढ़े लिखे नहीं होते। अधिकांश ट्रांसजेंडर्स में शिक्षा की कमी देखी जाती है। दलित ट्रांसजेंडर में पढ़े लिखे होने की संख्या तो और भी कम होती है। अगर इतनी पढ़ी-लिखी पोस्ट होगी तो आम ट्रांसजेंडर कैसे यह नौकरी प्राप्त करेंगे। पहले आप ट्रांसजेंडर के लिए उनकी शिक्षा पर समाज का ध्यान केंद्रित करवाए। फिर इन नौकरियों का फायदा ट्रांसजेंडर को मिलेगा। जो लोग नौकरी करते हैं उनको नौकरी का ही हक होता है। जो नौकरी नहीं करते हैं पर करना चाहते हैं, उनको नौकरी मिलनी ही चाहिए। लेकिन अभी ट्रांसजेंडर के अधिकारों के लिए समाज में अभी संघर्ष बाकी है।"

ट्रांसपर्सन कबीर मामले पर बताते हैं कि, "सभी कॉरपोरेट कंपनी यही करती हैं। क्योंकि सरकार कहती है की 5% आपको समाज के लिए देना ही होगा। आप इतना पैसा कमा रहे हैं। तो थोड़ा आपको समाज के लिए भी लगाना होगा। फिर बाद में थोड़ा महिलाओं के लिए, LGBTQIA के लिए होता है. LGBTQIA को कागज आदि में दिखाकर फंड आदि भी मिल जाता है, और थोड़ा नाम भी मिलता ही है। टाटा स्टील कंपनी बहुत बड़ी कंपनी है. अगर वह ट्रांसजेंडर्स के लिए नौकरी निकालेंगे तो उनको भी कहीं ना कहीं इसका फायदा मिलेगा। ट्रांसजेंडर्स की अभी शिक्षा में कमी है। पहले इन जैसी कंपनियों को ट्रांसजेंडर्स की शिक्षा के लिए काम करना होगा। ताकि कंपनी को अच्छे वर्कर मिल सके। कंपनियों को अभी समझने की बहुत जरूरत है, और नौकरी मिलने के बाद पूरा स्टाफ कैसे ट्रांसजेंडर्स के साथ व्यवहार करें, इसकी भी ट्रेनिंग इन कंपनियों को अपने वर्कर को देनी होगी।"

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