राजस्थान: सिर्फ कागजों में दिखता है रोजगार, श्रमिकों को नहीं मिलता 100 दिन काम

उदयपुर के गोगुन्दा में मजदूर दिवस पर श्रमिक रैली व सम्मेलन का आयोजन
राजस्थान: सिर्फ कागजों में दिखता है रोजगार, श्रमिकों को नहीं मिलता 100 दिन काम

राजस्थान। अरावली निर्माण मजदूर सुरक्षा संघ गोगुंदा की ओर से अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस का आयोजन किया गया। मजदूरों ने सुबह 11 बजे से कस्बे में रैली निकाली। रैली के दौरान श्रमिकों ने मुख्यमंत्री के नाम उपखण्ड अधिकारी को मनरेगा में 100 दिन काम नहीं मिलने बिना सूचना हटाये जाने, आवेदन की रसीद नहीं मिलने, महीनों तक भुगतान नहीं मिलने और श्रम कल्याण बोर्ड में पंजीयन व हितलाभ के लिए विभाग द्वारा हितलाभ देने में लम्बे समय तक आवेदनों को लम्बित रखने जैसी समस्याओं को लेकर ज्ञापन दिया। 

कुंभलगढ ब्लॉक में कुल 30330 जॉबकार्ड बने हुए हैं। इनमें से वित्त वर्ष 2022-23 सायरा में मात्र 489 परिवारों को ही 100 दिन का काम मिला है। इसमें से 25 दिनों का अतिरिक्त रोजगार तो नाम मात्र के परिवारों को ही मिलने की बात को लेकर श्रमिकों में भारी रोष था। मजदूरों ने सांकेतिक धरना देकर बताया कि मनरेगा के इस आँकड़े से स्पष्ट प्रतीत होता है कि श्रमिकों को मनरेगा के तहत पूरा काम उपलब्‍ध नहीं करवाया जा रहा है और ना ही उन्हें काम के आवेदन की रसीद दी जाती है। श्रमिकों ने चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगो पर गौर कर समाधान नहीं किया गया तो श्रमिकों को आंदोलन करने पर मजबूर होना पड़ेगा। रैली में अरावली निर्माण मजदूर सुरक्षा संघ की अगुवाई में क्षेत्र के 400 से अधिक श्रमिकों ने हिस्सा लिया।

मजदूर भाई बहनों अपने अधिकारों की लड़ाई जारी रखने का किया आह्वान

संगठन से जुड़े कार्यकर्ता मोहन लाल ने कहा कि इस देश की संसद से लेकर आम सड़क मजदूरों ने बनाई हैं। सदियों पहले अमेरिका के मजदूरों ने शोषण के विरूद्ध आवाज उठाई। आज भी श्रमिक उन्हीं परिस्थितियों की ओर बढ़ रहे है। आज बाजार और उद्योगों में श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी, महिला पुरुष को बराबर मजदूरी, काम निर्धारित 8 घंटे करवाए जाने, प्रत्येक श्रमिक को सामाजिक सुरक्षा दिये जाने जैसे मूलभूत कानूनों कि पालना नहीं हो रही है। असंगठित क्षेत्र में तेजी से श्रमिकों की बढ़ती संख्या इस बात का पुख्ता प्रमाण है। आज भी मजदूरों का शोषण जारी हैं और श्रम कानूनों का लगातार ह्राष होता जा रहा है। ऐसे में मजदूरों को एकजुट होकर शोषण के खिलाफ लड़ाई हमेशा जारी रखनी होगी।

मोहनलाल ने बताया कि संगठन से बडी मात्रा में महिला पुरुष श्रमिक जुड़े हुये हैं और वो अपनी ताकत को पहचानते हैं। मजदूर ही सही मायनों में देश का रचनाकर और विकास का अहम भागीदार हैं। अगर मजदूर नहीं होता तो ये किले, महल, सड़कें और इमारतें नहीं होती। आज मजदूरों को मनरेगा कानून होने के बाद भी पूरा काम और समय पर मजदूरी नहीं मिलना बहुत चिंता की बात है। मजदूरों को काम पर आने के बाद भी मजदूरी नहीं मिलती है और कर्मचारी को छुट्टी के दिन घर बैठे पगार मिलती है। मजदूरों को अपने कानून व अधिकारों को हक समझकर मांगना होगा और समान मजदूरी भुगतान के मुद्दे पर डटकर आगे बढना होगा।

रैली के बाद श्रमिक सम्मलेन का आयोजन किया गया जहां महिला पुरूष श्रमिकों को समान काम के लिए समान वेतन मिलने, मनरेगा में काम के लिए लगातार आवेदन कर रसीद लेने, श्रम कल्याण बोर्ड की योजनाओ के लिए शिकायतें दर्ज करने, बच्चों की शिक्षा व बालश्रम जैसे मुद्दों पर चर्चा की गई। चर्चा में अरावली निर्माण मजदूर सुरक्षा संघ के आज के कार्यक्रम में राज्यमंत्री जगदीष राज श्रीमाली ने कहा कि उक्त श्रम कल्याण बोर्ड समस्त ओवदन और पूर्व के भी हजारों आवेदन जो लम्बित हैं उन्हें जल्दी ही निस्तारण करके श्रमिकों को योजनाओं की राशि जारी की जायेगी। रैली और सभा में करीब 400 श्रमिक उपस्थित थे। 

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