मध्य प्रदेश: श्रम विभाग ने नियमों में किया बदलाव, 30 लाख श्रमिकों को नहीं मिलेगा सरकारी योजना का लाभ!

श्रम विभाग द्वारा लिए गए एक फैसले के बाद निर्माण श्रमिकों के लिए संचालित कई कल्याणकारी योजनाएं अपंजीकृत श्रमिकों के लिए बंद कर दी जाएगी।
श्रमिक, सांकेतिक तस्वीर
श्रमिक, सांकेतिक तस्वीर फोटो साभार- इंटरनेट

भोपाल। मध्य प्रदेश में मोहन यादव सरकार में लगातार फैसले लिए जा रहे हैं। इनमें ज्यादातर फैसले सरकर की बचत के लिए हैं। प्रदेश को आर्थिक संकट से बाहर निकालने के लिए वित्त विभाग सभी विभागों में हो रहे पैसे खर्च का प्रतिदिन रिव्यू कर रहा है। इनमें वह योजना शामिल है जो सीधे तौर पर हितग्राही को लाभ दे रहीं हैं। इसके तहत श्रम विभाग ने एक निर्णय लिया है, जिससे सीधे 30 लाख असंगठित क्षेत्र के श्रमिक प्रभावित होंगे।

श्रम विभाग द्वारा लिए गए एक फैसले के बाद अब कंस्ट्रक्शन में काम करने वाले अनरजिस्टर्ड श्रमिकों को मिलने वाली 4 लाख की मदद रुक जाएगी। श्रम विभाग ने 8 दिसम्बर को एक नोटिफिकेशन के जरिए कहा है कि जो श्रमिक भवन एवं सन्निर्माण कर्मकार मंडल के पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन नहीं कराएंगे, उनके लिए अब तक चलने वाली सहायता योजना बंद कर दी गई है। गैर पंजीकृत श्रमिकों को लाभ से वंचित करने का यह फैसला शिवराज सरकार द्वारा सितम्बर माह में ही ले लिया गया था, लेकिन इस पर अमल अब होने जा रहा है। शिवराज सरकार ने इसे संबल योजना में शामिल किया था।

श्रम विभाग जारी नोटिफिकेशन में कहा है कि भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार नियम 2002 के नियम 278 का उपयोग कर इस व्यवस्था में बदलाव किया है। इसके अनुसार मध्यप्रदेश भवन एवं सन्निर्माण कर्मकार मंडल द्वारा राज्य शासन से पूर्व में कराए गए अनुमोदन के आधार पर निर्माण स्थल पर कार्य के दौरान दुर्घटना में गैर पंजीकृत श्रमिकों की मृत्यु होने या अपंगता की स्थिति में अंत्येष्टि और अनुग्रह राशि का लाभ दिया जाता रहा है। यह व्यवस्था 4 दिसंबर 2014 से नोटिफाई की गई थी जिसे 13 जनवरी 2017 को किए गए संशोधन के माध्यम से प्रभावी किया गया था। इसमें गैर पंजीकृत श्रमिकों को लाभ देने का काम किया जाता रहा है। अब 8 दिसम्बर 2023 से यह योजना बंद कर दी गई है यानी मध्यप्रदेश भवन एवं सन्निर्माण कर्मकार मंडल में गैर पंजीकृत श्रमिकों की मौत होने पर उन्हें अन्त्येष्टि या अनुग्रह सहायता योजना का लाभ नहीं मिल सकेगा।

इस योजना के मुताबिक पूर्व में अपंजीकृत श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा देने के लिए मौत होने पर तीन हजार रुपए अंत्येष्टि सहायता और निर्माण कार्य के दौरान घटना में मौत होने पर एक लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी जाती थी। अपंगता की स्थिति में 75 हजार रुपए दिए जाने का प्रावधान था। इसके बाद 13 जनवरी 2017 को किए गए संशोधन के उपरांत दुर्घटना में मौत होने पर चार लाख रुपए और स्थायी अपंगता की स्थिति में 2 लाख रुपए दिए जाने का प्रावधान इस योजना के अंतर्गत किया गया था। तब से अब तक यह व्यवस्था श्रमिक के पोर्टल पर रजिस्टर्ड नहीं होने पर भी प्रभावी थी। अब इसे पूरी तरह से बंद कर दिया गया है।

श्रम विभाग के मुताबिक प्रदेश में वर्तमान में भवन सन्नर्माण कर्मकार योजना में 1.70 करोड़ पंजीकृत हैं। इसके अलावा प्रदेश और अन्य राज्यों के प्रवासी मजदूरों की बड़ी संख्या है जिनके पास श्रमिक कार्ड नहीं है। यह कार्ड ग्रामीण इलाकों ग्राम पंचायत द्वारा बनवाए जाते हैं वहीं शहरी क्षेत्रों में वार्ड कार्यालयों में आवेदन लिए जाते हैं। इस संबंध में द मूकनायक ने भोपाल जिला श्रम अधिकारी जैस्मीन अली को फोन किया पर उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।

यह योजनाएं हैं संचालित

मध्य प्रदेश सरकार द्वारा श्रमिक और उनके परिवारों को आर्थिक रूप से मजबूत करने और शिक्षा से जोड़ने के लिए आधा दर्जन योजनाएं संचालित हैं। श्रम विभाग द्वारा प्रसूति सहायता योजना, चिकित्सा सहायता योजना, विवाह सहायता योजना, शिक्षा हेतु प्रोत्साहन राशि योजना, मेधावी छात्र-छात्राओं को नकद पुरस्कार योजना, श्रमिक की मृत्यु की दशा में अंत्योष्टि सहायता योजना संचालित है। इन योजनाओं का लाभ लेने के लिए श्रम विभाग के पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन स्वीकार किए जाते हैं, लेकिन इन योजनाओं का लाभ सिर्फ श्रमिक कार्ड धारकों को ही मिलता है। लेकिन अनुग्रह राशि का लाभ पूर्व तक अपंजीकृत श्रमिकों को मिलता था वह लाभ अब पंजीकृत श्रमिकों को ही मिल सकेगा।

दो करोड़ है असंगठित मजदूर

अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति की केंद्रीय कार्यकारणी सदस्य संध्या शैली ने बताया कि 2011 की जनगणना के अनुसार मध्यप्रदेश में असंगठित क्षेत्र में 2 करोड़ मजदूर कार्यरत है। इनमें से करीब 30 लाख मजदूर अपंजीकृत है। मजदूरों के लिए किए जा रहे काम सिर्फ कागजों तक सीमित है। यह बात भी सही है कि हजारों मजदूरों के श्रमिक कार्ड नहीं बने है। जिन लोगों के पंजीयन हो गए है वह सिर्फ 60 प्रतिशत के लगभग होंगे, जबकि 40 फीसदी मजदूरों के पास आज भी कार्ड नहीं है। पंजीयन की प्रक्रिया मजदूरों के लिए कठिन होती है। दूसरी तरफ प्रवासी मजदूर भी है। इनके भी पंजीयन नहीं हो पर है।

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