थैले में बेटे का शव ले जाता पिता
थैले में बेटे का शव ले जाता पिता

पांच साल के बेटे का शव थैले में रखकर और बेटी की लाश बाइक पर रखकर यात्रा करने की क्या थी मजबूरी!

पश्चिम बंगाल में थैले में पांच साल के बेटे का शव रखकर बस से तय की 200 किमी की यात्रा, वहीं मध्य प्रदेश में बाइक पर बेटी का शव रखकर घर ले गए।

पश्चिम बंगाल/मध्य प्रदेश। देश में चिकित्सा व्यवस्था की बदतर हालत की पोल खोलती दो वीडियो हाल में सोशल मीडिया पर वायरल हुई है। पहली घटना पश्चिम बंगाल की है, जहां एक पिता अपने पांच साल के बेटे के शव को बैग में लेकर 200 किलोमीटर की यात्रा कर घर पहुंचा। वहीं मध्य प्रदेश में एम्बुलेंस नहीं मिलने पर बेटी के शव को बाइक पर रखकर पिता घर पहुंचा।

पश्चिम बंगाल के मुस्तफानगर इलाके में इंसानियत को झकझोर देने वाला मामला सामने आया है। बेटे की मौत के बाद जेब में शव वाहन के लिए पर्याप्त रकम ना होने के कारण एक पिता को अपने 5 माह के मृत बेटे का शव लेकर 200 किमी तक बस में सफर करना पड़ा। यह मामला जब सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो राज्य सरकार ने स्वास्थ्य विभाग को जवाब देने के लिए नोटिस जारी कर दिया है।

जनिए क्या है पूरा मामला?

पश्चिम बंगाल के मुस्तफानगर की नगर पंचायत में डांगीपारा गांव निवासी असीम देवशर्मा ने बताया, "पांच महीने पहले मेरी पत्नी को जुड़वा सन्तान हुई थी। मेरे दोनों जुड़वा बच्चे गंभीर रूप से बीमार पड़ गए। उन्हें पहले कालियागंज स्टेट जनरल अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन बाद में उनकी हालत बिगड़ने पर उन्हें रायगंज मेडिकल कॉलेज अस्पताल रेफर कर दिया गया।"

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असीम आगे बताते हैं, "मेरे दोनों बच्चों को कुछ उपचार के बाद इलाज के लिए उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज अस्पताल रेफर कर दिया गया था। यहां बच्चों की तबीयत और ज्यादा बिगड़ती गई। इलाज चल रहा था। एक बच्चे की हालत में सुधार हुआ तो मेरी पत्नी 11 मई 2023 को उसे लेकर घर चली गई थी। जबकि दूसरे का इलाज चल रहा था। 13 मई की रात को मेरे दूसरे बच्चे की अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई थी।"

असीम बिलखते हुए बताते हैं, "मेरे बेटे की मौत के बाद एम्बुलेंस चालकों की ओर से 8000 हजार रुपये मांगे गए थे। बच्चे के इलाज में पहले ही 16 हजार रुपये खर्च कर चुके थे। अब मेरे पास ज्यादा पैसे नहीं बचे थे। 8 हजार मेरे लिए बहुत बड़ी रकम थी, जिसे दे पाने में मैं असमर्थ था। इसके बाद मेरे पास शव को खुद ले जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था।"

जानकारी के मुताबिक कोई अन्य विकल्प नहीं होने के कारण असीम देवशर्मा बंगाल के सिलीगुड़ी से रायगंज के लिए एक निजी बस में सवार हुए और फिर अपने गृहनगर कालीगंज पहुंचने के लिए दूसरी बस ली। इस दौरान असीम ने अपने 5 माह के बेटे का शव एक थैले में रखा हुआ था। असीम ने कुल 200 किमी की यात्रा बस से ही तय कर डाली। कालियागंज के विवेकानंद चौराहे पर पहुंचकर असीम देवशर्मा ने मदद मांगी और एंबुलेंस का इंतजाम किया। इसके बाद शाम को बेटे का अंतिम संस्कार हो सका।

सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो से मचा हड़कंप, सरकार ने जवाब मांगा

एक मजबूर पिता द्वारा 5 माह के बच्चे के शव को थैले में रखकर 200 किमी की दूरी तय करने की यह घटना सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य स्वास्थ्य विभाग की इस लापरवाही के लिए जवाब मांगा है।

बाइक पर बेटी का शव रखकर घर ले गया पिता

मध्य प्रदेश। एमपी के शहडोल जिले के बुढ़ार ब्लॉक के कोटा गांव के लक्ष्मण सिंह गौड़ ने अपनी 13 वर्षीय बेटी माधुरी गौड़ को इलाज के लिए 12 मई को जिला अस्पताल शहडोल में भर्ती कराया था। माधुरी सिकल सेल बीमारी से पीड़ित थी। उसका दो दिन तक जिला अस्पताल में इलाज चलता रहा, लेकिन माधुरी की जान नहीं बच सकी। माधुरी की मौत हो जाने के बाद परिजनों ने शव को अपने घर तक ले जाने के लिए शव वाहन करने की कोशिश की, लेकिन उन्हें सहायता नहीं मिली।

मध्य प्रदेश शहडोल जिले में बाइक पर बेटी का शव ले जाता पिता
मध्य प्रदेश शहडोल जिले में बाइक पर बेटी का शव ले जाता पिता

पिता ने जिला अस्पताल प्रबंधन से शव वाहन मांगा तो जवाब मिला कि 15 किलोमीटर से ज्यादा दूरी के लिए शव वाहन नहीं मिलेगा। आपको खुद इसका इंतजाम करना पड़ेगा। आर्थिक स्थिति ठीक ना होने की वजह से परिजन निजी शव वाहन का खर्च नहीं उठा सकते थे। इसलिए उन्होंने बाइक पर शव लादकर घर ले जाने का निर्णय लिया। इसका वीडियो तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।

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