नई दिल्ली: गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) एजवेल द्वारा “STATUS OF ACCESSIBILITY AND INFRASTRUCTURE IN INDIA” शीर्षक नाम के सर्वे रिपोर्ट में बुजुर्गों के स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुँच को लेकर चौंकाने वाला खुलासा किया गया है. संगठन ने हाल ही में सर्वेक्षण के दौरान प्राप्त कुछ प्रतिक्रियाओं के उदाहरण साझा किए। इसमें कहा गया है कि आगरा के निवासी एक 78 वर्षीय बुजुर्ग, जो लगभग 10 साल से गठिया से पीड़ित हैं, उन्हें नियमित जांच के लिए अस्पतालों में जाने के लिए मुसीबतों का सामना करना पड़ता है, जिससे अक्सर उन्हें जरुरी चिकित्सकीय उपचार को रोकने के लिए मजबूर करता है।
अध्ययन के अनुसार, लुधियाना में 72 वर्षीय राजेश कुमार को एक अलग स्थिति का सामना करना पड़ता है। अध्ययन में बताया गया है कि पूरी तरह से अपनी सेवानिवृत्ति पेंशन पर निर्भर कुमार के लिए स्वास्थ्य सेवाओं की अत्यधिक लागत एक बाधा है। अध्ययन रिपोर्ट में राजेश के हवाले से कहा गया कि अगर मेरे पास कोई स्वास्थ्य बीमा होता... तो शायद मैं बेहतर चिकित्सा सेवा का खर्च उठा सकता था।
NGO ने कहा कि शहरी क्षेत्रों में सर्वे में शामिल 48.6 प्रतिशत बुजुगों ने बताया कि आर्थिक तंगी और परिवहन संबंधी चुनौतियों के कारण नियमित रूप से वे चिकित्सकों के पास नहीं जाते और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए यह आंकड़ा 62.4 फीसद था। शहरी क्षेत्रों में, 36.1 फीसद बुजुर्ग उत्तरदाताओं ने कथित तौर पर दावा किया कि वे आवश्यकता पड़ने पर अस्पतालों और चिकित्सकों के पास जाते हैं। इसमें कहा गया है कि सर्वेक्षण में शामिल 24 फीसद उत्तरदाता अकेले रहते थे।
एनजीओ ने कहा कि यह समस्याएं संबंधी चिंताओं को बढ़ाती हैं और समुदाय आधारित जरूरतों को प्रकाश में लाती हैं। रिपोर्ट कहा गया है कि स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियां सार्वजनिक एवं सामाजिक जीवन में बुजुर्गों की भागीदारी में सबसे बड़ी चुनौती के रूप में सामने आती हैं, जिससे वित्तीय तंगी हालत को और जटिल बना देती है।
NGO ने कहा कि अप्रैल 2024 में किए गए सर्वेक्षण में भारत के 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 510 स्वयंसेवकों द्वारा कुल 10,000 उत्तरदाताओं का अध्ययन किया गया। इनमें से 4,741 लोग ग्रामीण क्षेत्रों से और 5,259 लोग शहरी क्षेत्रों से हैं।
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