मध्य प्रदेश में SC, ST और OBC छात्रों को चार साल से नहीं मिली छात्रवृत्ति, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने उठाए सवाल

सरकार की चुप्पी ने छात्रों में गहरी नाराजगी पैदा कर दी है। यह पहली बार नहीं है जब छात्रवृत्ति योजना में देरी या धांधली के आरोप लगे हैं। इससे पहले भी कई बार छात्रवृत्ति भुगतान में देरी और फंड की कमी की शिकायतें सामने आई हैं।
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भोपाल। मध्य प्रदेश में अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के हजारों छात्रों को पिछले चार वर्षों से छात्रवृत्ति नहीं मिल रही है, जिससे वे गंभीर संकट का सामना कर रहे हैं। विशेष रूप से नर्सिंग और पैरामेडिकल पाठ्यक्रमों में अध्ययनरत छात्र इस समस्या से सबसे अधिक प्रभावित हैं।

छात्रों ने मुख्यमंत्री कार्यालय, नर्सिंग काउंसिल और संबंधित विभागों को कई बार ज्ञापन सौंपा, लेकिन अब तक उनकी मांगों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। इस कारण आर्थिक रूप से कमजोर छात्र अपनी पढ़ाई छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं। जब सरकारी स्तर पर कोई समाधान नहीं मिला, तो छात्रों ने धरना प्रदर्शन का सहारा लिया, लेकिन इसके बावजूद उनकी समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया गया।

नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार का हमला

मध्यप्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने इस मुद्दे को लेकर राज्य सरकार पर सीधा हमला बोला है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सरकार से सवाल किया और मुख्यमंत्री से तुरंत हस्तक्षेप करने की मांग की।

उमंग सिंघार ने ट्वीट किया:

"चार साल से स्कॉलरशिप नहीं दिए जाने की क्या वजह!!! SC, ST और OBC वर्ग के नर्सिंग और पैरामेडिकल स्टूडेंट्स को चार साल से छात्रवृत्ति नहीं मिली! ऐसी स्थिति में कई स्टूडेंट्स बीच में पढ़ाई छोड़ने को मजबूर हो गए! CM और नर्सिंग काउंसिल को ज्ञापन देने के बावजूद कोई सुनवाई नहीं की गई! जब ये स्टूडेंट्स परेशान हो गए, तो उन्होंने धरना दिया, पर क्या फिर भी उनकी बात सुनी जाएगी? सीएम डॉ. मोहन यादव को चाहिए कि इन छात्रों की आर्थिक समस्या का जल्दी निराकरण करें! क्या आरक्षित वर्गों के स्टूडेंट्स के साथ MP सरकार का यह व्यवहार अनुचित है?"

नेता प्रतिपक्ष के इस बयान के बाद मामला और गर्मा गया है। छात्रों ने भी सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए सरकार से जवाब मांगा है।

छात्रवृत्ति न मिलने से हजारों छात्रों का भविष्य दांव पर

  • छात्रों के अनुसार, राज्य सरकार हर साल छात्रवृत्ति योजनाओं के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू करती है, लेकिन 2019-20 से अब तक छात्रवृत्ति की राशि छात्रों के खातों में नहीं भेजी गई है।

  • नर्सिंग, मेडिकल और अन्य तकनीकी शिक्षा से जुड़े छात्र सबसे ज्यादा प्रभावित हैं, क्योंकि इन पाठ्यक्रमों की फीस बहुत अधिक होती है।

  • कई छात्रों ने ऋण लेकर या किसी तरह से शुल्क जमा कर पढ़ाई शुरू की, लेकिन छात्रवृत्ति न मिलने से उनकी आर्थिक स्थिति और खराब हो गई।

  • छात्रवृत्ति न मिलने से हजारों छात्रों की पढ़ाई अधर में लटक गई है, और कई को मजबूरी में पढ़ाई छोड़नी पड़ रही है।

एक नर्सिंग छात्रा ने द मूकनायक से बातचीत में बताया, "मेरे पिता मजदूरी करते हैं। मुझे भरोसा था कि सरकार छात्रवृत्ति देगी, लेकिन चार साल से मैं इंतजार ही कर रही हूं। अब फीस जमा करने के पैसे नहीं हैं।"

धरना प्रदर्शन के बावजूद सरकार का कोई जवाब नहीं

जब छात्रों की शिकायतों पर कोई सुनवाई नहीं हुई, तो उन्होंने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। छात्रों का कहना है कि उन्होंने मुख्यमंत्री, शिक्षा विभाग और नर्सिंग काउंसिल को कई बार ज्ञापन सौंपे, लेकिन किसी भी स्तर पर कोई ठोस समाधान नहीं निकला।

जब हालात बेकाबू हो गए और छात्रों को पढ़ाई छोड़ने की नौबत आ गई, तो उन्होंने धरना प्रदर्शन किया, लेकिन इसके बावजूद प्रशासन ने कोई ठोस जवाब नहीं दिया।

एनएसयूआई के राष्ट्रीय प्रवक्ता विराज यादव ने द मूकनायक से बातचीत में बताया कि संगठन के पास हर रोज छात्रों की शिकायतें आ रही हैं, जिनमें छात्रवृत्ति न मिलने की समस्या सबसे बड़ी है। कई छात्रों को उनकी छात्रवृत्ति समय पर नहीं मिल रही, जबकि कुछ छात्र ऐसे भी हैं जिन्हें वर्षों से छात्रवृत्ति नहीं मिली है। इससे उनकी शिक्षा प्रभावित हो रही है और वे आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं।

एनएसयूआई ने सरकार से मांग की है कि वह इस मुद्दे पर तत्काल संज्ञान ले और छात्रवृत्ति वितरण की प्रक्रिया को सुचारु बनाए। संगठन का कहना है कि यदि सरकार ने जल्द कार्रवाई नहीं की, तो वे इसके खिलाफ आंदोलन करने को मजबूर होंगे। छात्रवृत्ति में हो रही देरी से लाखों छात्रों का भविष्य अधर में लटका हुआ है, जिसे गंभीरता से लेना आवश्यक है।

सरकार की चुप्पी पर उठ रहे सवाल

सरकार की चुप्पी ने छात्रों में गहरी नाराजगी पैदा कर दी है। यह पहली बार नहीं है जब छात्रवृत्ति योजना में देरी या धांधली के आरोप लगे हैं। इससे पहले भी कई बार छात्रवृत्ति भुगतान में देरी और फंड की कमी की शिकायतें सामने आई हैं।

कांग्रेस ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए कहा कि "सरकार जानबूझकर आरक्षित वर्गों के छात्रों को शिक्षा से वंचित कर रही है। यह सामाजिक न्याय और संविधान के मूल अधिकारों का उल्लंघन है।"

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