आरक्षण धोखा: सरकारी नौकरियों में SC/ST/OBC का हक मार रहा DoPT का रोस्टर घोटाला— सांसद पी.विल्सन ने पेश किए आंकड़े

विल्सन ने विशेष रूप से "पहले रोस्टर प्वाइंट" पर ध्यान दिलाया, जिसे हर सरकारी संस्थान में सिर्फ सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित रखा गया है। उन्होंने कहा कि इस हेराफेरी का मकसद SC, ST और OBC उम्मीदवारों को ग्रुप 'ए' और 'बी' पदों, विभागों के प्रमुख और सचिव जैसे उच्च पदों से दूर रखना है।
 संसद के जीरो आवर में अपनी बात रखते हुए विल्सन ने 1997 और 2019 के DoPT के आदेशों का हवाला देते हुए बताया कि कैसे आरक्षण रोस्टर में गड़बड़ी करके सामान्य वर्ग (UR) के उम्मीदवारों को अधिक फायदा पहुंचाया जा रहा है।
संसद के जीरो आवर में अपनी बात रखते हुए विल्सन ने 1997 और 2019 के DoPT के आदेशों का हवाला देते हुए बताया कि कैसे आरक्षण रोस्टर में गड़बड़ी करके सामान्य वर्ग (UR) के उम्मीदवारों को अधिक फायदा पहुंचाया जा रहा है।
Published on

नई दिल्ली-  सरकारी नौकरियों में आरक्षण व्यवस्था पर एक बड़ा सवाल उठाते हुए राज्यसभा सांसद और पूर्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया पी. विल्सन ने कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DoPT) पर आरोप लगाया कि उसने जानबूझकर रोस्टर सिस्टम में हेराफेरी करके अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और पिछड़ा वर्ग (OBC) के उम्मीदवारों को वरिष्ठ पदों से वंचित रखा है।

संसद के जीरो आवर में 26 मार्च 2025 को अपनी बात रखते हुए विल्सन ने 1997 और 2019 के DoPT के आदेशों का हवाला देते हुए बताया कि कैसे आरक्षण रोस्टर में गड़बड़ी करके सामान्य वर्ग (UR) के उम्मीदवारों को अधिक फायदा पहुंचाया जा रहा है।

विल्सन ने बताया कि 13-प्वाइंट रोस्टर सिस्टम में 9 पद (जिसमें 1 EWS शामिल है) गलत तरीके से सामान्य वर्ग को दिए जा रहे हैं, जबकि सही आवंटन 6 पद का होना चाहिए। इस तरह सामान्य वर्ग को 3 अतिरिक्त पद मिल रहे हैं। छोटे विभागों में स्थिति और भी खराब है—जहां केवल 2 पद हैं, वहां दोनों सामान्य वर्ग को दे दिए जाते हैं, जिससे आरक्षित वर्ग के लिए कोई जगह ही नहीं बचती।

इसी तरह, 6 पदों वाले कैडर में 5 पद सामान्य वर्ग को मिलते हैं, जबकि 3 होने चाहिए, और 3 पदों वाले कैडर में तो सभी पद सामान्य वर्ग को ही दिए जाते हैं, जो संवैधानिक आरक्षण का सीधा उल्लंघन है।

 संसद के जीरो आवर में अपनी बात रखते हुए विल्सन ने 1997 और 2019 के DoPT के आदेशों का हवाला देते हुए बताया कि कैसे आरक्षण रोस्टर में गड़बड़ी करके सामान्य वर्ग (UR) के उम्मीदवारों को अधिक फायदा पहुंचाया जा रहा है।
BHU में दलित छात्र को पीएचडी दाखिले का मसला: मछलीशहर MLA डॉ. रागिनी सोनकर और नगीना MP चंद्रशेखर आजाद ने पत्र लिखा— प्रकिया सामाजिक न्याय के खिलाफ!

विल्सन ने विशेष रूप से "पहले रोस्टर प्वाइंट" पर ध्यान दिलाया, जिसे हर सरकारी संस्थान में सिर्फ सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित रखा गया है। उन्होंने कहा कि इस हेराफेरी का मकसद SC, ST और OBC उम्मीदवारों को ग्रुप 'ए' और 'बी' पदों, विभागों के प्रमुख और सचिव जैसे उच्च पदों से दूर रखना है।

उन्होंने इसे "संविधान के साथ धोखा" बताते हुए कहा, "गलती को जारी रखना पाप है, लेकिन उसे सुधारना प्रशासनिक कर्तव्य है। यह रोस्टर सिस्टम वंचित समुदायों के अधिकारों को कुचलने की एक सुनियोजित साजिश है।"

इस अन्याय को रोकने के लिए विल्सन ने प्रधानमंत्री और कार्मिक राज्य मंत्री से तत्काल कार्रवाई की मांग की। उन्होंने एक उच्चस्तरीय समिति गठित करने का सुझाव दिया, जिसकी अध्यक्षता पिछड़े वर्ग के एक सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट जज को करनी चाहिए और जिसमें SC, ST, OBC तथा सामान्य वर्ग के सदस्य समान रूप से शामिल हों।

इस समिति को 1997 से अब तक आरक्षित वर्गों को हुए नुकसान की जांच करनी चाहिए, क्षतिपूर्ति के लिए विशेष भर्ती अभियान चलाने की सिफारिश करनी चाहिए और भविष्य में निष्पक्ष रोस्टर सिस्टम सुनिश्चित करने के उपाय सुझाने चाहिए।

विल्सन के इन खुलासों ने सरकारी नौकरियों में आरक्षण की वास्तविक स्थिति पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न लगा दिया है। अब देखना यह है कि सरकार इस गंभीर मुद्दे पर क्या कार्रवाई करती है और क्या वंचित समुदायों को उनका संवैधानिक हक दिलाने की दिशा में कोई ठोस कदम उठाएगी।

ये हो रही हेराफेरी

DoPT के 2019 के मेमोरेंडम के अनुसार आरक्षण रोस्टर में गड़बड़ी के उदाहरण:

1. 13-प्वाइंट रोस्टर मॉडल में हेराफेरी:

  • 13 पदों में से 9 पद (जिसमें 1 EWS शामिल) अनारक्षित (UR) उम्मीदवारों को दिए जाते हैं, जबकि सही आवंटन केवल 6 पद का होना चाहिए

  • इस तरह सामान्य वर्ग को 3 अतिरिक्त पदों का अनुचित लाभ मिलता है

2. छोटे विभागों/संगठनों में पूर्ण बहिष्कार:

  • जहां केवल 2 संसाधित पद हैं, वहां दोनों पद अनारक्षित वर्ग को दिए जाते हैं

  • इससे आरक्षित वर्गों का प्रतिनिधित्व पूरी तरह समाप्त हो जाता है

3. 6-पदीय कैडर में अनियमितता:

  • 6 पदों में से 5 पद (83%) अनारक्षित वर्ग को आवंटित किए जाते हैं

  • जबकि सही आवंटन केवल 3 पद (50.5%) का होना चाहिए

4. 10 से कम पदों वाले छोटे कैडरों में भेदभाव:

  • 10-पदीय कैडर:70% पद UR को (सही आवंटन 50.5% होना चाहिए)

  • 6-पदीय कैडर: 83% पद UR को (सही आवंटन 50.5%)

  • -3-पदीय कैडर: 100% पद UR को दिए जाते हैं, जिससे आरक्षण पूर्णतः समाप्त हो जाता है

ये आंकड़े दर्शाते हैं कि कैसे छोटे कैडरों में आरक्षण व्यवस्था को प्रभावहीन बना दिया गया है। 3-6 पदों वाले कैडरों में तो आरक्षण लगभग नगण्य हो जाता है, जो संविधान के अनुच्छेद 16(4) के सामाजिक न्याय के सिद्धांत के विपरीत है।

इसलिए महत्वपूर्ण है मुद्दा

  • यह सरकारी नौकरियों में 27% पदों (SC-15%, ST-7.5%, OBC-27%) को प्रभावित करता है

  • SC/ST अधिकारियों का शीर्ष पदों पर कम प्रतिनिधित्व की वजह स्पष्ट करता है

  • सामाजिक न्याय के दावों पर सवाल खड़े करता है

विल्सन ने इस मामले में तत्काल प्रधानमंत्री कार्यालय के हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने 1997 और 2019 के रोस्टर सिस्टम को रद्द करने, विशेष भर्ती अभियान चलाने और न्यायिक जांच की मांग की है।

 संसद के जीरो आवर में अपनी बात रखते हुए विल्सन ने 1997 और 2019 के DoPT के आदेशों का हवाला देते हुए बताया कि कैसे आरक्षण रोस्टर में गड़बड़ी करके सामान्य वर्ग (UR) के उम्मीदवारों को अधिक फायदा पहुंचाया जा रहा है।
UP: "बदतमीज" और "छोटी जाति" कहकर SDM ने दलित महिला फरियादी को कार्यालय से किया बाहर, राज्य महिला आयोग से शिकायत कर पीड़िता ने मांगी न्याय
 संसद के जीरो आवर में अपनी बात रखते हुए विल्सन ने 1997 और 2019 के DoPT के आदेशों का हवाला देते हुए बताया कि कैसे आरक्षण रोस्टर में गड़बड़ी करके सामान्य वर्ग (UR) के उम्मीदवारों को अधिक फायदा पहुंचाया जा रहा है।
TN: तिरुनेलवेली में 5 साल में 1,097 दलित अत्याचार के मामले; हाईकोर्ट का तमिलनाडू सरकार को निर्देश —SC/ST मामलों में हत्या पीड़ितों के परिवारों को बढ़ी हुई पेंशन दें

द मूकनायक की प्रीमियम और चुनिंदा खबरें अब द मूकनायक के न्यूज़ एप्प पर पढ़ें। Google Play Store से न्यूज़ एप्प इंस्टाल करने के लिए यहां क्लिक करें.

The Mooknayak - आवाज़ आपकी
www.themooknayak.com