भाई दूज पर वादा अधूरा: 250 रुपए नहीं भेज सकी MP सरकार, बढ़ते कर्ज़ और बजट संकट ने रोकी ‘लाड़ली बहना’ की अतिरिक्त राशि!

कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इसे वादा-खिलाफी और आर्थिक दिवालियापन का परिणाम बताते हुए तीखा हमला बोला है।
250 रुपए नहीं भेज सकी MP सरकार, लाड़ली बहनों से वादा अधूरा
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भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार द्वारा भाई दूज पर लाड़ली बहना योजना की लाभार्थी महिलाओं को 250 रुपए की विशेष किस्त देने का किया गया वादा गुरुवार को अधूरा रह गया। प्रदेश भर से हजारों महिलाएं इस भरोसे के साथ भोपाल स्थित मुख्यमंत्री निवास कार्यक्रम में पहुंचीं कि खाते में राशि ट्रांसफर होगी, लेकिन मंच से ही घोषणा बदल गई। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि राशि अगले महीने दी जाएगी और नवंबर से सीधे 1500 रुपए महीने जमा होंगे। यानी कार्यक्रम शपथ और आश्वासन में बदलकर रह गया।

250 रुपए की जगह मिला ‘अगले महीने का भरोसा’

कार्यक्रम के दौरान जब यह घोषणा हुई कि किस्त आज नहीं आएगी, तो लाड़ली बहनों में मायूसी का माहौल रहा। महिला एवं बाल विकास विभाग की आयुक्त निधि निवेदिता ने भी बाद में पुष्टि की, “आज कोई राशि ट्रांसफर नहीं हुई है। भुगतान अगले माह से 1500 रुपए के रूप में दिया जाएगा।”

कैसे फसा मामला? असली वजह वित्तीय संकट और बजट प्रबंधन

सरकारी सूत्रों के अनुसार, भाई दूज के नाम पर घोषित 250 रुपए की अलग किस्त को रोकने के पीछे सबसे बड़ी वजह है बजट प्रबंधन में असफलता और वित्त विभाग की मंजूरी न मिल पाना। अंदरखाने यह भी चर्चा है कि सरकार RBI से कर्ज लेने की योजना में थी, लेकिन वर्तमान वित्तीय स्थिति के कारण इस माह न तो कोई नया ऋण लिया जा सका और न ही अतिरिक्त बजट स्वीकृत हो पाया।

MP का कर्ज एक गंभीर आर्थिक तस्वीर

मध्यप्रदेश सरकार पर कर्ज का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है। सरकार ने विकास योजनाओं, सामाजिक सुरक्षा योजनाओं, वेतन–पेंशन और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए बड़े स्तर पर ऋण लिया है। मार्च 2025 तक राज्य का कर्ज ₹4,21,740.27 करोड़ था, लेकिन 2025-26 के वित्तीय वर्ष में लिए गए ₹34,900 करोड़ से अधिक के नए कर्ज के साथ यह राशि अब बढ़कर ₹4.56 लाख करोड़ से ज्यादा हो चुकी है। यानी राज्य पर ब्याज और मूलधन चुकाने का बोझ भविष्य में और भारी होने वाला है।

विशेषज्ञों के अनुसार लगातार कर्ज बढ़ने का सबसे बड़ा कारण यह है कि राज्य की कमाई (राजस्व) की तुलना में खर्च बहुत अधिक है। युवा बेरोज़गारी भत्ता, लाड़ली बहना जैसी सामाजिक योजनाओं, सिंचाई-सड़क-बिजली प्रोजेक्ट और कर्ज़ पर ब्याज भुगतान में हर साल हज़ारों करोड़ खर्च हो रहे हैं। ऐसे में सरकार को हर कुछ महीनों में नया ऋण लेकर बजट संतुलित करना पड़ रहा है। 2023 और 2024 में सिर्फ कुछ महीनों में ही कई बार हजारों करोड़ के कर्ज लिए जाने के आंकड़े इसका उदाहरण हैं।

आर्थिक विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि यदि कर्ज़ की यही रफ़्तार जारी रही, तो भविष्य में विकास निधि का बड़ा हिस्सा केवल ब्याज चुकाने में चला जाएगा। इसका मतलब यह होगा कि जनता पर टैक्स बढ़ाने, योजनाओं में कटौती करने या नए निवेश की गति धीमी पड़ने जैसे दबाव बढ़ेंगे।

ऐसे हालात में लाड़ली बहना जैसी प्रत्यक्ष नकद हस्तांतरण (Direct Benefit) योजनाओं का खर्च, सरकारी खजाने पर और दबाव बढ़ा रहा है। केवल इस योजना पर ही 300 करोड़ रुपए से अधिक का नया बोझ हर महीने बढ़ने जा रहा है।

चुनावी वादों की भरपाई खर्च का बोझ

योजना पर अब तक 44,917 करोड़ रुपए खजाने से जा चुके हैं। दिसंबर 2023 के विधानसभा चुनाव से लेकर लोकसभा चुनाव 2024 तक यह स्कीम सरकार के लिए राजनीतिक रूप से एक सबसे बड़ी ढाल और पूंजी साबित हुई। लेकिन अब जबकि आय के स्रोत सीमित और खर्च अनियंत्रित है, योजनाएं चलाने और घोषणाएं निभाने के बीच टकराव साफ दिख रहा है।

सीएम डॉ. मोहन यादव ने कार्यक्रम में कहा-

- महिलाओं को 33% आरक्षण

- 1500 के साथ उद्यम जोड़ने पर 5000 रुपए सालाना

- संपत्ति रजिस्ट्री पर 2% छूट

- उद्योगों में 30% आरक्षण

लेकिन सवाल यह है कि क्या घोषणाएं अब अर्थव्यवस्था की क्षमता से बड़ी होती जा रही हैं?

कांग्रेस का हमला

कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इसे वादा-खिलाफी और आर्थिक दिवालियापन का परिणाम बताते हुए तीखा हमला बोला है। विपक्ष का कहना है कि सरकार चुनाव निकलते ही योजनाओं के बोझ तले दब गई है और अब न तो उसके पास आर्थिक प्रबंधन की स्पष्ट नीति है और न ही जनता से किए गए वादे निभाने की क्षमता। विपक्ष का आरोप है कि महिलाओं को सम्मान और सशक्तिकरण के वादों के बजाय सरकार किस्तों, प्रतीक्षा और झूठे आश्वासनों के सहारे उन्हें छल रही है। विपक्षी नेताओं का कहना है कि यदि राज्य की आर्थिक हालत ठीक है, तो वादे पूरे क्यों नहीं हो रहे, और यदि हालत खराब है, तो यह सरकार की नीतिगत विफलता और गलत प्राथमिकताओं का स्पष्ट प्रमाण है।

द मूकनायक से बातचीत में कांग्रेस प्रवक्ता रोशनी यादव ने कहा कि “महिलाओं पर अत्याचार लगातार बढ़ रहे हैं, राज्य कर्ज के बोझ में दब चुका है, और मुख्यमंत्री ने महिलाओं से किए वादों को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। चुनाव से पहले 3,000 रुपये देने की बात कही गई, लेकिन न वादा निभाया गया न योजना के दावे ज़मीन पर दिख रहे हैं। ऊपर से भाई दूज जैसे पवित्र दिन पर महिलाओं को उम्मीदें दिखाकर सिर्फ निराशा थमाई गई। 250 रुपये की घोषणा तक महिलाओं को नहीं मिली ये सीधे-सीधे विश्वास के साथ छल है।”

यादव ने कहा कि सरकार अब जवाबदेही से भाग रही है और सच्चाई यह है कि आर्थिक बदइंतज़ामी और कर्ज की भयावह स्थिति ने महिलाओं-केंद्रित योजनाओं के दावों की पोल खोल दी है।

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