
जोधपुर- महज दो दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रायपुर में पुलिस महानिदेशकों व महानिरीक्षकों के 60वें अखिल भारतीय सम्मेलन में पुलिस की जनता की धारणा बदलने, युवाओं तक पहुंच बढ़ाने, शहरी व पर्यटन पुलिस व्यवस्था को मजबूत करने तथा नए आपराधिक कानूनों पर जागरूकता फैलाने की आवश्यकता पर जोर दिया था। लेकिन उसी बीच राजस्थान के जोधपुर में कुड़ी भगतासनी थाने के थानाधिकारी द्वारा अधिवक्ताओं के साथ मारपीट की घटना ने पुलिस की छवि पर एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं।
सोशल मीडिया पर वायरल हो रही थानाधिकारी की वीडियो में वकील के वर्दी न पहनने को लेकर सवाल उठाने पर वह ललकारते हुए कहते नजर आ रहे हैं, "तुम कौन हो पूछने वाले? तुम सिखाओगे हमें वर्दी पहननी है या नहीं पहननी? तुम्हारा खोपड़ा खराब है क्या?" युवा वकील की वर्दी वाली बात पुलिस अधिकारी को इतनी नागवार गुजरी कि उसका कॉलर खींच लिया और सिपाहियों को कहलवाकर उसे थाने में बंद कर दिया।
इस घटना के विरोध में राजस्थान हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन और राजस्थान हाईकोर्ट लायर्स एसोसिएशन के आह्वान पर मंगलवार 2 दिसंबर को राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर सहित पूरे प्रदेश के सभी जिलों में वकीलों ने न्यायिक कार्यों का स्वैच्छिक बहिष्कार किया।
प्रदेशभर के वकील संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि आरोपी थानाधिकारी हमीरसिंह सहित पुलिसकर्मियों पर तत्काल विभागीय कार्रवाई व निलंबन नहीं हुआ, तो यह हड़ताल अनिश्चितकालीन हो सकती है। दोपहर में हेरिटेज परिसर से निकली वकीलों की वाहन रैली पुलिस आयुक्त कार्यालय पहुंची, जहां ज्ञापन सौंपा गया। इस बीच, वायरल वीडियो ने सोशल मीडिया पर तहलका मचा रखा है, जहां हजारों यूजर्स पुलिस की मनमानी पर सवाल उठा रहे हैं।
एडवोकेट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष रतनाराम ठोलिया और लायर्स एसोसिएशन अध्यक्ष आनंद पुरोहित ने बताया कि अधिवक्ता भरतसिंह अपने मुवकिल के न्यायिक कार्यों में हो रही देरी को दृष्टिगत रखते हुए वे अपने अधिनस्थ अधिवक्ताओं जिसमें महिला अधिवक्ता भी थी के साथ कुडी भगतासनी पुलिस थाने जाकर अपने मुवकिल के मामले की प्रगति के संदर्भ में जानकारी चाही जिस पर थानाधिकारी हमीरसिंह सहित उपस्थित पुलिसकर्मियों द्वारा अधिवक्ताओं के साथ थाने में ही मारपीट की एवं जानलेवा हमला किया एवं दर्ज प्रकरण के आरोपियों को गिरफ्तार करने के बजाय अधिवक्ताओं को ही थाने में बंद कर दिया।
उक्त मारपीट व जानलेवा हमले की घटना से दोनों एसोसिएशन के सदस्यों में भारी रोष व्याप्त है। बड़ी संख्या में अधियक्ताओं ने उच्च न्यायालय और अधीनस्थ न्यायालयों में एकत्र होकर पुलिसकर्मियों के विरूद्ध कार्यवाही हेतु प्रतिवेदन प्रस्तुत कर मारपीट व जानलेवा हमले के आरोपी पुलिसकर्मियों को निलबित करने की मांग गई।
उक्त घटना पर रोष व्याप्त करते हुए दोनों एसोसियेशन द्वारा संयुक्त रूप से निर्णय लेते हुए मंगलवार को उच्च न्यायालय व समस्त अधिनस्थ न्यायालयों के न्यायिक कार्यों में उपस्थिति नहीं देने का निर्णय लिया गया एवं यदि पुलिस प्रशासन द्वारा शीघ्र कार्यवाही नहीं की तो उक्त कार्य बहिष्कार को आगे भी बढाने की बात कही। अधिवक्ताओं ने हेरिटेज परिसर से वाहन रेली के रूप में रवाना होकर पुलिस कमिश्नर को ज्ञापन दिया।
प्रदेश भर में अधीनस्थ अदालतों में वकीलों की अनुपस्थिति के कारण कई मामले प्रभावित हुए। वकील संगठनों ने कहा कि यह कार्रवाई न्याय व्यवस्था की गरिमा बहाल करने के लिए आवश्यक है। घटना पर पुलिस प्रशासन की ओर से अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
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