उत्तर प्रदेश: अम्बेडकर नगर में स्थित NH-233 के निर्माण में किसानों की ज़मीनें सरकार द्वारा अधिग्रहित कर ली गई हैं। जिसमें लगभग 32 गांवों के किसानों को सर्किल रेट आवासीय दर से मुआवजा दे दिया गया लेकिन बाकि बचे 11 गांव को अभी तक सर्किल रेट से मुआवजा नहीं दिया गया है। जिसकी वजह से किसान लगातार 51 दिन से महापंचायत कर धरने पर बैठे हुए है।
किसानों का कहना है कि जबसे NH 233 बना है तब से वह विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. लेकिन जब हमने देखा कि हमारे विरोध प्रदर्शन का कोई असर नहीं हो रहा है तो उसके बाद हम पिछले 2 सालों से छोटे स्तर पर धरना प्रदर्शन कर रहे थे. लेकिन जब इसका भी कोई असर नहीं हुआ तब हमने बड़ी महापंचायत करने का फैसला किया और इस बड़ी महापंचायत को भी आज 51 दिन हो चुके हैं और प्रशासन अभी तक हमारी मांगों की अनदेखी कर रहा है।
किसानों के इस धरने का कोई असर न पड़ता देख किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने भी यहां आने का फैसला किया और इस महापंचायत के 51वें दिन राकेश टिकैत इस धरने प्रदर्शन में किसानों के साथ मौजूद रहे। जिससे पूरा प्रशासन अलर्ट मोड में आ गया।
किसान यूनियन के 51वें दिन की महापंचायत में राष्ट्रीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि किसान अब ना तो न्यायालय जाएंगे और ना ही प्रशासन के पास अपनी गुहार लगाएंगे। अब यह जाएंगे तो सीधा अपने घर, जिसको तोड़कर यह हाईवे बनाया गया है।
राकेश टिकट ने कहा कि, यह जो किसान है बहुत गुस्से में है। अगर इनका गुस्सा ठंडा ना हुआ तो इनको मुआवजा मिल जाएगा। बातों से अगर समाधान निकलता है तो ठीक है नहीं तो यह किसान अपनी जमीनों पर कब्जा करेगा और अपने पशुओं को लेकर इस हाइवे पर बैठ जाएगा फिर चाहे प्रशासन आंसू गैस के गोले छोड़ें, लाठी चलाये, या फिर सीधा जेल भेज दे. किसान अपनी जगह से हटेगा नहीं। किसानों को अपना गुस्सा दिखाना पड़ेगा तभी उनकी मांगे पूरी होगी।
द मूकनायक से बात करने पर राकेश टिकैत ने कहा कि "क्या किसानों की ज़मीन इतनी सस्ती हो गई है कि इसे किसी भी रेट में ले लिया जाए। क्या ये उद्योगपतियों की ज़मीन इस तरह से ले सकते हैं। ये अन्याय और अत्याचार हो रहा है।"
किसानों की मांगों को पूरा करने के लिए 15 सदस्यीय टीम का गठन किया गया जिसमें से 11 सदस्य जनपद और 4 सदस्य प्रदेश कमेटी के होंगे। राकेश टिकैत ने आगामी होली के त्यौहार को मद्देनजर रखते हुए 10 मार्च तक का समय प्रशासन को अल्टीमेटम के तौर पर दे दिया है। उनकी प्रशासन को स्पष्ट चेतावनी है कि, अगर बात बनी तो ठीक है नहीं तो बड़ा आंदोलन किसानों द्वारा किया जाएगा।
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