बिजली निजीकरण के नाम पर देश को बेचा जा रहा है? आज़मगढ़ से उठी बगावत की चिंगारी!

पूर्वांचल किसान यूनियन और सोशलिस्ट किसान सभा ने आज़मगढ़ के सिधारी धरने में दिया समर्थन, कहा—बिजली निजीकरण देश के बेरोजगारों और किसानों के भविष्य पर हमला.
Dharna in Azamgarh against electricity privatization, farmer organizations protested
बिजली निजीकरण के खिलाफ आज़मगढ़ में धरना, किसान संगठनों ने किया विरोध
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आजमगढ़/उत्तर प्रदेश— बिजली के निजीकरण करने के विरोध में हाईडिल सिधारी, आजमगढ़ में चल रहे धरने में पूर्वांचल किसान यूनियन महासचिव वीरेंद्र यादव और सोशलिस्ट किसान सभा महासचिव राजीव यादव ने पहुंचकर समर्थन दिया. इस मौके पर राष्ट्रीय बांस शिल्पी महासंघ अध्य्क्ष संतोष कुमार धरकार भी रहे. आजमगढ़ के किसान संगठन जल्द संयुक्त रूप से धरने में शामिल होंगे.

किसान नेताओं ने कहा कि, बिजली का निजीकरण होकर रहेगा की बात कहने वाले ऊर्जा मंत्री एके शर्मा और सरकार को जान लेना चाहिए कि कम्पनी राज के खिलाफ लड़कर जिस देश को पाया है वहां कम्पनी राज स्थापित नहीं होने देंगे. बिजली का निजीकरण सिर्फ विद्युत कर्मचारियों का मुद्दा नहीं है, यह देश के करोड़ों बेरोजगारों का सवाल है जिनका भविष्य निजीकरण ख़त्म कर देगा.

उन्होंने आगे कहा, "यह देश के किसानों-मजदूरों, आम नागरिकों का सवाल है. क्योंकि निजीकरण के बाद बेतहासा बिजली महँगी होगी. देश के विकास के लिए किसानों ने अपने खेतों की जमीनें दी हैं. विकास के नाम पर जमीनें लेकर निजी कंपनियों के हवाले करके देश के संसाधनों को बर्बाद करने का खेल नहीं चलने दिया जाएगा."

किसान नेताओं ने कहा कि सरकार पूंजीपतियों के हित मे बिजली क्षेत्र का निजीकरण कर रही है. स्मार्ट मीटर के जरिए स्मार्ट तरीके से जनता को कम्पनियों द्वारा लूटा जाएगा. इस लड़ाई में आम जनता को शामिल करने के लिए गांव-गांव चौपालें लगाई जाएंगी.

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