जज के घर से बोरियों में कैश की घटना को किया याद! CJI बोले—अब जनता कैसे करे न्यायपालिका पर भरोसा?

ब्रिटेन के सुप्रीम कोर्ट में बोले CJI गवई – न्यायपालिका की साख बनाए रखने के लिए पारदर्शिता और जवाबदेही ज़रूरी, संपत्ति प्रकटीकरण और तेज़ कार्रवाई से ही बहाल होगा जनता का भरोसा।
CJI Gavai on Judicial Misconduct: ‘Corruption Erodes Public Faith in Judiciary’
सीजेआई गवई का बयान: ‘न्यायपालिका में भ्रष्टाचार से जनता का विश्वास डगमगाता है’Pic- The Mooknayak
Published on

नई दिल्ली: न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के सरकारी आवास से भारी मात्रा में नकदी मिलने की सनसनीखेज घटना के बीच, भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी आर गवई ने कहा है कि न्यायपालिका में भ्रष्टाचार और कदाचार की घटनाएं जनता के न्याय व्यवस्था पर विश्वास को गहराई से प्रभावित करती हैं।

मंगलवार शाम को ब्रिटेन के सुप्रीम कोर्ट में ‘न्यायिक वैधता और जन विश्वास बनाए रखना’ विषय पर बोलते हुए CJI गवई ने कहा, “दुर्भाग्यवश, न्यायपालिका के भीतर भी भ्रष्टाचार और गड़बड़ियों की कुछ घटनाएं सामने आई हैं। ऐसे मामलों का सीधा असर जनता के विश्वास पर पड़ता है और यह व्यवस्था की साख को कमजोर कर सकता है।”

उन्होंने कहा कि न्यायपालिका में विश्वास डर या अवमानना की कार्रवाई से नहीं, बल्कि न्यायालयों की ईमानदारी और पारदर्शिता से अर्जित विश्वसनीयता से आता है। उन्होंने कहा, “यदि इस विश्वास में कमी आती है, तो यह न्यायपालिका की संवैधानिक भूमिका को कमजोर कर सकती है, जो कि नागरिक अधिकारों की अंतिम व्याख्याता है।”

हालांकि CJI ने न्यायमूर्ति वर्मा का नाम नहीं लिया, जिनके खिलाफ तीन सदस्यीय न्यायिक जांच समिति ने नकदी मिलने की घटना में सच्चाई पाई थी, लेकिन उन्होंने कहा, “जनता का विश्वास बहाल करने का रास्ता तेज, निर्णायक और पारदर्शी कार्रवाई से ही निकलता है।”

CJI गवई ने यह भी स्वीकार किया कि कोई भी प्रणाली कितनी भी मज़बूत क्यों न हो, पेशेवर भ्रष्टाचारी की आशंका से पूरी तरह मुक्त नहीं हो सकती। उन्होंने कहा, “भारत में जब भी ऐसे मामले सामने आए हैं, सर्वोच्च न्यायालय ने त्वरित और उपयुक्त कदम उठाए हैं।”

जनता के विश्वास को मज़बूती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा जजों की संपत्ति का स्वैच्छिक प्रकटीकरण जैसे प्रयासों का भी उन्होंने उल्लेख किया। उन्होंने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने एक समर्पित पोर्टल बनाया है, जहां जजों की संपत्ति की घोषणाएं सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराई जाती हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि जज भी खुद को जनता की निगरानी में रखने को तैयार हैं, जैसे अन्य सरकारी अधिकारी।”

CJI गवई ने न्यायिक कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग के मकसद और मीडिया की भूमिका पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि कभी-कभी पत्रकार न्यायालय की टिप्पणियों को ग़लत संदर्भ में प्रस्तुत करते हैं, जिससे भ्रम फैलता है।

एक ताज़ा उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया, “पिछले सप्ताह मेरे एक साथी न्यायाधीश (न्यायमूर्ति पी. वी. संजय कुमार) ने एक जूनियर वकील को हल्के-फुल्के अंदाज़ में कोर्टक्राफ्ट और सौम्यता सिखाने की सलाह दी थी। लेकिन इसे मीडिया में इस तरह प्रस्तुत किया गया कि – ‘हमारा अहं बहुत नाज़ुक होता है; अगर आप उसे आहत करते हैं, तो आपका केस बाहर हो जाएगा’।”

अंत में CJI गवई ने कहा, “आज के डिजिटल युग में, जहां सूचनाएं तेज़ी से फैलती हैं और धारणाएं तुरंत बनती हैं, वहां न्यायपालिका को सुलभ, स्पष्ट और जवाबदेह होना होगा—बिना अपनी स्वतंत्रता से समझौता किए।”

CJI Gavai on Judicial Misconduct: ‘Corruption Erodes Public Faith in Judiciary’
आ रही है भारत की सबसे बड़ी जनगणना! 2027 में होगी जाति की गिनती, राजनीति में मचेगा भूचाल!
CJI Gavai on Judicial Misconduct: ‘Corruption Erodes Public Faith in Judiciary’
दलित बच्चे की आंखों से देखिए आज़ाद भारत की वो सच्चाई, जिसे मुख्यधारा ने हमेशा छुपाया – पढ़िए ‘उजला अँधेरा’ की झकझोर देने वाली कहानी
CJI Gavai on Judicial Misconduct: ‘Corruption Erodes Public Faith in Judiciary’
'यह फिल्म नहीं...": राजस्थान में कांग्रेस नेताओं ने देखी 'फुले' मूवी , ये था रिएक्शन!

द मूकनायक की प्रीमियम और चुनिंदा खबरें अब द मूकनायक के न्यूज़ एप्प पर पढ़ें। Google Play Store से न्यूज़ एप्प इंस्टाल करने के लिए यहां क्लिक करें.

The Mooknayak - आवाज़ आपकी
www.themooknayak.com