यूपी के इस स्कूल तक जाने का रास्ता नहीं! बच्चों ने बीच में छोड़ दी पढ़ाई- ग्राउंड रिपोर्ट

हरदोई जिले के कोथांवा ब्लॉक के जर्रौवा ग्राम पंचायत स्थित पंडित दीनदायल मॉडल इण्टर कॉलेज का मामला, स्कूल जाने वाले मुख्य रास्ते पर बनी पुलिया क्षतिग्रस्त, विद्यार्थियों को स्कूल तक जाने में होती है परेशानी।
कालेज को जाने वाला दूसरा मार्ग,यहां भी पुलिया टूटी हुई है.
कालेज को जाने वाला दूसरा मार्ग,यहां भी पुलिया टूटी हुई है.फोटो- सत्य प्रकाश भारती, द मूकनायक
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हरदोई। शहर के संसाधन सम्पन्न इंग्लिश मीडियम स्कूलों की तर्ज पर ग्रामीण क्षेत्र में बनाए गए मॉडल इण्टर कॉलेज सरकारी अनदेखी का दंश झेल रहे है। ताजा मामला यूपी के हरदोई जिले के एक मॉडल राजकीय इंटर कालेज का है, यहां कॉलेज को जाने वाला मुख्य रास्ता पूरी तरह क्षतिग्रस्त है। वहीं पुलिया बरसात में बह गई है। इससे छात्र-छात्राओं को स्कूल तक पहुंचने के लिए परेशानी का सामना करना पड़ता है। प्रधानाचार्य का दावा है कि इस कारण कई बच्चों ने कालेज आना छोड़ दिया है। द मूकनायक ने ग्राउंड जीरो पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया।

यह कॉलेज लखनऊ से लगभग 70 व हरदोई जिला मुख्यालय से लगभग 50 किमी दूरी पर कोथांवा ब्लॉक के जर्रौवा ग्राम पंचायत में स्थित है। अतरौली-कोथावां रोड पर लगभग 15 किमी चलने के बाद कालिका मंदिर तिराहे से एक सड़क मनकापुर गाँव की ओर जाती है। इस गाँव का रास्ता खत्म होने के बाद एक सुनसान इलाके में यह पुरानी सी दिखने वाला कॉलेज भवन नजर आता है। भवन के चारों तरफ लगभग सूख चुके कई तालाब मौजूद हैं। भवन एक ऊँचे टीले पर बना हुआ है। इसके एक किनारे पर गौशाला भी मौजूद है। गौशाला के बगल से होकर एक रास्ता कालेज की तरफ जाता है, जबकि एक अन्य वैकल्पिक रास्ता भी कालेज को जाता है। इन दोनों रास्तों पर कालेज की तरफ बढ़ने पर आधी दूरी तक ही खड़ंजा (ईंट बिछाकर बनाया गया रास्ता) बिछा हुआ है। इसके बाद कच्चा रास्ता है। कालेज भवन के चारों ओर कोई बाउंड्री वॉल भी मौजूद नहीं है।

पंडित दीन दयाल उपाध्याय राजकीय मॉडल इंटर कालेज की बिल्डिंग
पंडित दीन दयाल उपाध्याय राजकीय मॉडल इंटर कालेज की बिल्डिंगफोटो- सत्य प्रकाश भारती, द मूकनायक

कालेज की तरफ बढ़ने पर दोनों मुख्य रास्तों पर पुलिया पड़ती है। ग्रामीणों के मुताबिक यह दोनों पुलिया पिछले कई सालों से क्षतिग्रस्त हैं। इस बार हुई बारिश में पूरी सड़क खड़ंजे सहित बह गई थी। द मूकनायक टीम कालेज तक इन कच्चे रास्तों से होकर पहुंची। कालेज भवन की स्थिति भी काफी खराब दिख रही थी। भवन पर काई (शैवाल) की एक पुरानी परत जमी हुई थी। परिसर में एक किनारे छात्रों की साइकिल खड़ी हुई थीं। कालेज भवन के अंदर एक बरामदे से दाखिल होते ही एक मैदान आ जाता है। इस मैदान के चारों ओर दो मंजिल की इमारत में 16 कमरे बने हुए हैं। यह क्लास रूम हैं। इन्ही कमरों में एक को स्मार्ट क्लास, लाइब्रेरी भी बनाया गया है। जब टीम कालेज पहुंची थी तब लंच का समय हो रहा था। शिक्षक इस मैदान के बीच में लगी एक टेबल पर एक साथ बैठकर लंच करने की तयारी में थे।

टूटी हुई पुलिया से गुजरते राहगीर और  कालेज की छात्र छात्राएं.
टूटी हुई पुलिया से गुजरते राहगीर और कालेज की छात्र छात्राएं.फोटो- सत्य प्रकाश भारती, द मूकनायक

उनमें से एक शिक्षक ने कालेज तक आने वाले मार्ग की परेशानी को द मूकनायक को साझा किया। उनका कहना था कि कालेज में पढ़ाई 2018 से शुरू हुई थी। इस कालेज को लगभग एक हजार बच्चों की पढ़ाई के लिए बनाया गया था। वर्तमान समय में यहां लगभग पौने 300 छात्र-छात्राएं ही हैं। यह कालेज गांव से बाहर बना हुआ है। मार्ग सही नहीं होने के कारण विद्यर्थियों की संख्या कम है।

कक्षा 11 में पढ़ने वाली छात्रा नैंसी ने द मूकनायक से कहती हैं, "इस कालेज में मनकापुर, सैर बहादुरपुर, आनंदपुर गांव के बच्चे पढ़ने आते हैं। बच्चे साइकिल से आते हैं, पुलिया टूटी हुई है। कई बार साइकिल नाले में भी गिर जाती है। बच्चों को चोट लग जाती है। बारिश होती है तो ऐसे रास्ते पर फिसलने का भी डर रहता है।"

कक्षा 11 की ही अंशिका बताती हैं, "पुलिया दो साल से टूटी हुई है। हम लोग उसी रास्ते से आते हैं। हम लोग गिर भी जाते हैं। कई बार हमें घूमकर आना पड़ता है। सब लोग से अनुरोध है कि पुलिया बनवा दें।"

कालेज के प्रधानाचार्य विनोद कुमार द मूकनायक को बताते हैं, "रास्ता बहुत ही खराब है। पुलिया टूटी पड़ी है। अगल-बगल रास्ता नहीं है। बच्चे कई बार वह साइकिल से गिरकर चोट खा जाते हैं। पुलिया के बगल के रास्ते से आते हैं तो वहां पानी बहता है, जिससे होकर इन छात्रों को गुजरना पड़ता है।"

कालेज को जाने वाले मुख्य मार्ग पर पड़ने वाली पुलिया से कालेज का दृश्य.
कालेज को जाने वाले मुख्य मार्ग पर पड़ने वाली पुलिया से कालेज का दृश्य.फोटो- सत्य प्रकाश भारती, द मूकनायक

प्रधानाचार्य ने आगे बताया कि ग्रामीण क्षेत्र का यह बड़ा विद्यालय है। इसमें लगभग 220 के आस-पास छात्रों की संख्या है। इतने बड़े कालेज में छात्रों की संख्या कम होने का कारण खराब रास्ता होना भी है। कई बार अभिभावकों ने शिकायत भी की है कि रास्ता खराब होने के कारण वह अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेज पा रहे हैं। इस कालेज में बाउंड्री भी नहीं है। कई बार वीडीओ से सम्पर्क किया, लेकिन कोई परिणाम नहीं निकला।

इस मामले में द मूकनायक ने जर्रौआ के ग्राम प्रधान मीरा सिंह से सम्पर्क किया। ग्राम प्रधान प्रतिनिधि पारस सिंह द मूकनायक को बताते हैं कि इस रास्ते में मिट्टी भराई का काम कई बार किया जा चुका है। बारिश के कारण यह मिट्टी बह जाती है। अब इसका काम पीडब्ल्यूडी के हाथ चला गया है। जानकारी मिली है कि टेंडर हुआ है।

इस विषय को लेकर खंड विकास अधिकारी महेश चंद्र का कहना है कि समस्या की जानकारी मिली है। ग्राम सचिवों की मीटिंग बुलाई है। इस विषय पर बात कर समस्या का समाधान निकाला जाएगा।

वहीं पीडब्ल्यूडी अधिकारियों का कहना है कि टेंडर प्रक्रिया कराई जा चुकी है। सड़क के डामरीकरण के साथ ही पुलिया का निर्माण कराया जाएगा। इसकी अनुमानित लागत लगभग 60 से 70 लाख रुपए आंकी गई है। हालांकि अभी तक सड़क निर्माण कार्य क्यों नहीं शुरू हो सका इस सवाल अधिकारी संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए।

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