जयपुर- राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले में सरकारी स्कूल परिसर में प्रधानाध्यापक और एक शिक्षिका द्वारा अश्लील हरकतें करने के मामले ने शिक्षा क्षेत्र और राज्य सरकार की प्रतिष्ठा को गहरा झटका दिया। इस मामले में राजस्थान सरकार ने सख्त कदम उठाते हुए दोषी हेडमास्टर अरविंदनाथ व्यास और शिक्षिका कांता पांडीया को सेवा से बर्खास्त कर दिया है।
शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने 23 जनवरी को इस घटना के संबंध में अपने सोशल मीडिया हैंडल ‘X’ (पूर्व में ट्विटर) पर बर्खास्तगी पत्र साझा करते हुए शिक्षकों को अनुशासन बनाए रखने की सख्त हिदायत दी। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा, शिक्षा के क्षेत्र में अनुशासन और नैतिकता सर्वोपरि हैं। " राज्य सरकार शिक्षा के क्षेत्र में अनुशासन बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है और इस प्रकार के कृत्यों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। "
18 जनवरी को चित्तौड़गढ़ के सालेरा गांव स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापक और एक महिला टीचर का अश्लील वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। यह वीडियो कथित तौर पर स्कूल कार्यालय का था, जहां दोनों अशोभनीय हरकतों में लिप्त पाए गए।
इस घटना ने शिक्षा विभाग में हड़कंप मचा दिया। बच्चों और ग्रामीणों द्वारा लंबे समय से शिकायतें की जा रही थीं, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। इससे परेशान ग्रामीणों ने खुद विद्यालय कार्यालय में सीसीटीवी कैमरे लगाकर साक्ष्य जुटाए।
सीसीटीवी फुटेज और वायरल वीडियो में, प्रधानाध्यापक और शिक्षिका को अलग-अलग समय पर स्कूल परिसर में आपत्तिजनक स्थिति में देखा गया। वीडियो में दोनों को अलग-अलग पोशाकों में एक ही प्रकार की हरकतें करते हुए देखा गया।
घटना सामने आते ही शिक्षा विभाग हरकत में आया। जिला प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी (DEO) राजेंद्र कुमार शर्मा ने तत्काल प्रभाव से दोनों शिक्षकों को निलंबित कर दिया। इसके बाद उदयपुर के संयुक्त शिक्षा निदेशक ने जांच समिति गठित की। 18 जनवरी को निलंबन के बाद 20 जनवरी को नोटिस जारी कर दोनों शिक्षकों से स्पष्टीकरण मांगा गया, लेकिन व्यास ने इसका कोई उत्तर नहीं दिया और जांच समिति के समक्ष कोई बचाव प्रस्तुत नहीं किया।
मामले में फंसी शिक्षिका ने व्यक्तिगत रूप से समिति के सामने पेश होकर स्वीकार किया कि वह वायरल वीडियो में मौजूद है, लेकिन दावा किया कि वीडियो को एडिट करके प्रस्तुत किया गया है। हालांकि, जांच समिति ने उनके इस बचाव को खारिज कर दिया और वीडियो को प्रामाणिक पाया।
जांच समिति ने गांव में पहुंचकर बच्चों, अभिभावकों और ग्रामीणों के बयान दर्ज किए। वीडियो और सीसीटीवी फुटेज का सत्यापन किया गया और इसकी प्रामाणिकता की पुष्टि की। जांच रिपोर्ट में दोनों शिक्षकों को दोषी मानते हुए उनकी सेवा समाप्ति की सिफारिश की गई। शिक्षा विभाग ने 20 जनवरी को अरविंदनाथ व्यास और कांता पांडीया को बर्खास्त कर दिया।
जिला प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी (डीईओ) के कार्यालय द्वारा जारी बर्खास्तगी पत्र में उल्लेख किया गया कि वीडियो में कैद अश्लील और अनैतिक कृत्य, जो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, न केवल राजस्थान शिक्षा विभाग बल्कि पूरे देश द्वारा देखा गया और यह राष्ट्रीय समाचार बन गया। इस घटना ने विभाग की छवि को अपूरणीय और अक्षम्य क्षति पहुंचाई।
पत्र में यह भी बताया गया कि शिक्षक के रूप में उनके कृत्य गंभीर दुराचरण के अंतर्गत आते हैं। एक शिक्षक से उच्च नैतिक चरित्र, सदाचारी आचरण, नैतिक बल और अनुकरणीय व्यक्तित्व बनाए रखने की अपेक्षा की जाती है, जो इन शिक्षकों ने उल्लंघन किया।
इस कारवाई के बाद अपनी प्रतिक्रया सार्वजनिक तौर पर देते हुए शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने अपने बयान में कहा, " दोनों के खिलाफ अनुशासनहीनता और अनैतिक गतिविधियों में लिप्त होने के कारण, राजस्थान राज्य सरकार ने इनके सेवा समाप्ति की कार्रवाई की है। राज्य सरकार शिक्षा के क्षेत्र में अनुशासन बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है और इस प्रकार के कृत्यों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस निर्णय से यह स्पष्ट है कि शिक्षा क्षेत्र में किसी भी प्रकार की अनियमितता को सख्ती से निपटा जाएगा और दोषी व्यक्तियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाएगी। हम सभी शिक्षकों से अनुरोध करते हैं कि वे अपनी जिम्मेदारियों को ईमानदारी से निभाएं और विद्यार्थियों के भविष्य को उज्जवल बनाने के लिए अपनी पूरी निष्ठा से कार्य करें।"
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