उदयपुर। मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय ने नई शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत आंतरिक मूल्यांकन परीक्षा व्यवस्था के बारे में सूचना जारी की है. यह परीक्षा 20 अंकों की होगी। समस्त संघटक एवं संबद्ध महाविद्यालयों में स्नातक एवं स्नातकोत्तर (विधि, फार्मेसी, शिक्षा, अभियांत्रिकी एवं वास्तुकला के अलावा) के समस्त पाठ्यकमों में नई शिक्षा निति-2020 को लागू किया है . सत्र 2023-24 से उक्त पाठ्यक्रमों में पढाई कर रहे प्रथम सेमेस्टर के नियमित विद्यार्थियों हेतु सेमेस्टर प्रणाली लागू कर दी गई है । यह नयी व्यवस्था 1.85 लाख स्टूडेंटस को प्रभावित करेगी.
विश्वविद्यालय के प्रवक्ता डॉ. कुंजन आचार्य ने बताया कि उपरोक्त नई प्रणाली के अन्तर्गत सभी पाठ्यक्रमों के सभी प्रश्नपत्रों में 20 अंक की आन्तरिक मूल्यांकन परीक्षा होगी जिसमे अनिवार्य प्रश्नपत्रों, सैद्धान्तिक एवं प्रायोगिक पेपर भी शामिल है।
इसमें 10 अंको का एक टेस्ट पेपर आयोजित कराया जाएगा तथा शेष 10 अंको का मूल्यांकन छात्र की संबंधित प्रश्नपत्र में असाईनमेंट,ग्रहकार्य मूल्यांकन, सेमिनार, प्रश्नोत्तरी या अन्य समुचित तर्क संगत प्रक्रिया के आधार पर दिया जाएगा।
प्रायोगिक प्रश्नपत्रों के 20 अंक के आन्तरिक मूल्यांकन अंको का निर्धारण छात्रों की प्रायोगिक रिकार्ड तथा तार्किक क्षमता तथा प्रयोगशाला में अनुशासन के आधार पर होगा। समस्त प्रश्नपत्रों में अलग अलग आन्तरिक मूल्यांकन के अधिकतम 20 अंको में से न्यूनतम उत्तीर्णाक 8 अंक अर्जित करना आवश्यक होगा। इसके अभाव में छात्र आन्तरिक मूल्यांकन परीक्षा में अनुत्तीर्ण घोषित किया जायेगा।
इसके साथ ही सभी स्नातक विषयों के नियमित विद्यार्थियों हेतु प्रथम सेमेस्टर में अनिवार्य प्रश्नपत्र के रूप में अनिवार्य हिन्दी तथा द्वितीय सेमेस्टर में अनिवार्य अंग्रेजी विषय को निर्धारित किया गया है। उसी अनुसार छात्रो को पढ़ाई एवं परीक्षा की तैयारी के लिए निर्देशित किया गया है।
परीक्षा नियंत्रक डॉ राजेश कुमावत ने बताया कि सभी प्रश्नपत्रों के आन्तरिक मूल्यांकन परीक्षा आयोजित करने के लिए विश्वविद्यालय अलग से कोई आदेश या सूचना जारी नहीं करेगा। विश्वविद्यालय द्वारा जारी निर्धारित समयानुसार या इससे पूर्व आन्तरिक मूल्यांकन परीक्षा विभाग व महाविद्यालय अपने स्तर पर आयोजित करवा सकेगें। इसके बाद आन्तरिक मूल्यांकन के प्राप्तांकों को विश्वविद्यालय पोर्टल पर छात्र के रोल नम्बर के अनुसार दर्ज करना होगा।
गौरतलब है की NEP-2020 का लक्ष्य "भारत को एक वैश्विक ज्ञान महाशक्ति (Global Knowledge Superpower)" बनाना है। स्वतंत्रता के बाद से यह भारत के शिक्षा ढाँचे में तीसरा बड़ा सुधार है। पहले की दो शिक्षा नीतियाँ वर्ष 1968 और 1986 में लाई गई थीं।
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