दिल्लीः साक्षी मलिक ने छोड़ी कुश्ती, बजरंग पूनिया ने पद्मश्री अवॉर्ड लौटाया, अब आगे क्या?

खेल मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि, भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष के रूप में संजय सिंह के चुनाव के विरोध में बजरंग पुनिया का पद्मश्री पुरस्कार लौटाने का फैसला व्यक्तिगत.
साक्षी मलिक. (फाइल फोटो)
साक्षी मलिक. (फाइल फोटो)साभार-इंटरनेट.

नई दिल्ली। अनुभवी पहलवान साक्षी मलिक ने कुश्ती से संन्यास का ऐलान कर दिया है। भारतीय कुश्ती संघ के हाल में हुए चुनाव में भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के करीबी संजय सिंह के अध्यक्ष निर्वाचित होने के बाद खिन्न होकर उन्होंने यह कदम उठाया। इधर, बजरंग पूनिया ने भी पदमश्री अवार्ड लौटा दिया है। इसके बाद अब सभी भारतीय कुश्ती संघ और केन्द्र सरकार की ओर टकटकी लगा कर देख रहे है कि उनका अगला कदम क्या होगा? उल्लेखनीय है कि पहलवानों ने इस साल बृजभूषण शरण के खिलाफ ही मोर्चा खोला था और दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना-प्रदर्शन किया था।

साक्षी ने कहा-"टूट चुकी हूं"

ओलंपिक में कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक ने हाल में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में इन्होंने यह जानकारी दी है कि वह काफी टूट चुकी है और इतनी कोशिश के बाद भी आज तक उन्हें न्याय नहीं मिल पाया है। जब नेशनल और इंटरनेशनल प्लेयर को न्याय नहीं मिल रहा है, तो आम जनता सरकार से न्याय की उम्मीद कैसे कर सकती है।

उन्होंने कॉन्फ्रेंस में बताया कि संजय सिंह बाबू बृजभूषण का ही करीबी है। सिर्फ संजय सिंह बाबू को एक नए चेहरे के रूप में लाया गया है। पीछे जो भी काम किया जाएगा, वह आगे भी बृजभूषण के इशारों पर किया जाएगा। इसलिए सरकार के द्वारा लिए गए इस फैसले से वह काफी ज्यादा दुखी है। उन्हें न्याय नहीं मिला है।

इसीलिए वह हमेशा के लिए कुश्ती छोड़ रही है और इतना कह कर वह रोने लगी और फिर अपने जूते उतार दिए। दोस्तों साक्षी मलिक को न्याय तो मिलना चाहिए था। साक्षी मलिक के अलावा काफी महिला प्लेयर ने यौन उत्पीड़न से संबंधित मामला दर्ज भी करवाया था, लेकिन उन्हें कोई सरकार की ओर से अच्छा रिस्पांस नहीं मिला है। 31 साल की साक्षी मलिक को फैंस ने पूरा सपोर्ट किया है। लेकिन सरकार ने इस तरफ ध्यान ज्यादा नहीं दिया है।

ओलंपिक में भारत के लिए मेडल जीता

31 वर्षीय साक्षी मलिक ने 2016 के रियो ओलंपिक में 58 किलोग्राम भार वर्ग में भारत के लिए कांस्य पदक जीता और ओलंपिक में महिला कुश्ती में पदक जीतने वाली भारत की पहली महिला पहलवान बनीं। इसके अलावा, उन्होंने 2022 राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक, 2018 में कांस्य पदक और 2014 में रजत पदक जीता। वह एशियाई चैम्पियनशिप में चार बार देश का नाम रोशन कर चुकी हैं और पदक जीतने में सफलता हासिल की है।

खेल मंत्रालय ने तोड़ा अपना वादा!

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बजरंग पुनिया ने कहा कि खेल मंत्रालय ने आश्वासन दिया था कि महासंघ के बाहर से कोई आएगा। वर्तमान में जो व्यवस्था है, उससे महिला एथलीटों को न्याय मिलता नहीं दिख रहा है। हमारे देश में न्याय कायम नहीं है। यह केवल अदालतों में पाया जाता है। इतना संघर्ष कर चुकी आने वाली पीढि़यों को और भी संघर्ष करना होगा। सरकार ने किये गये वादे पूरे नहीं किए।

क्या है विवाद?

इसी साल की शुरुआत में पहलवान साक्षी मलिक, बजरंग पूनिया, विनेश फोगाट सहित तमाम खिलाडि़यों ने भारतीय कुश्ती संघ के तत्कालीन अध्यक्ष बृजभूषणशरण सिंह के खिलाफ यौन शोषण का आरोप लगाते हुए आंदोलन छेड़ दिया था। देश के दिग्गज पहलवानों ने आरोप लगाया था कि भूषण ने महिला खिलाडि़यों का यौन शोषण किया है।

पहलवानों को न्याय दिलाने के लिए इसी साल की शुरुआत में साक्षी मलिक, विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया ने बृजभूषण सिंह के खिलाफ मोर्चा खोला था और नई दिल्ली में जंतर-मंतर पर धरना शुरू कर दिया था। हालांकि इस मामले में अभी तक बृजभूषण ने अपने ऊपर लगे सभी ओरापों का खंडन करते हुए उन्हें बेबुनियाद बताया था। बाद में मामला सुप्रीम कोर्ट में जाने के बाद उन्हें पद छोड़ना पड़ा था।

कांग्रेस नेता और बॉक्सर विजेंदर सिंह ने 22 दिसंबर को साक्षी मलिक की पसंद के बारे में बात की। एएनआई ने बताया कि उन्होंने कहा, "खेल उद्योग इससे (पहलवान साक्षी मलिक के संन्यास) से परेशान है। हम हर खिलाड़ी, हर स्टेडियम और हर अखाड़े में जाएंगे और उनसे महिला सुरक्षा, एथलीटों के रोजगार के बारे में बात करेंगे। उनके साथ खड़ा रहूंगा।" उन्होंने कहा, "एक खिलाड़ी के रूप में, मैं साक्षी मलिक की पीड़ा को समझ सकता हूं, क्योंकि उन्होंने यौन उत्पीड़न मामले में सरकार से न्याय नहीं मिलने के कारण कुश्ती छोड़ दी थी। अगर देश के लिए पदक लाने वाले एथलीटों के साथ ऐसा हो सकता है तो आम लोगों के साथ क्या होगा।"

बजरंग पूनिया ने भी पद्मश्री अवॉर्ड लौटाया

बजरंग पूनिया.
बजरंग पूनिया.साभार-इंटरनेट

भारतीय ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पूनिया ने अपना पद्मश्री अवॉर्ड लौटाने का ऐलान कर दिया था। उन्होंने इस विषय में भारत के प्रधानमंत्री पीएम मोदी को पत्र लिखा है। इसकी जानकारी उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट से दी है. बाद में पहलवान बजरंग ने अपना पद्मश्री पुरस्कार लोक कल्याण मार्ग स्थित प्रधानमंत्री आवास के बाहर फुटपाथ के पास रख दिया। जब बजरंग पुरस्कार लौटाने के लिए पीएम आवास की ओर बढ़े, जहां उन्हें दिल्ली पुलिस ने रोक दिया। पूनिया ने विरोध स्वरूप पद्मश्री पुरस्कार फुटपाथ पर रख दिया और वहां से चले गए. उन्होंने दिल्ली पुलिस से कहा, मैं पद्मश्री पुरस्कार उस व्यक्ति को दूंगा जो इसे पीएम मोदी तक लेकर जाएगा।

खेल मंत्रालय का बयान

वहीं इस मामले में खेल मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि, भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष के रूप में संजय सिंह के चुनाव के विरोध में बजरंग पुनिया का पद्मश्री पुरस्कार लौटाने का फैसला व्यक्तिगत है, लेकिन फिर भी उन्हें इस कदम पर पुनर्विचार करने के लिए मनाने की कोशिश की जाएगी। इसके साथ ही मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि, “पद्मश्री लौटाना बजरंग पुनिया का निजी फैसला है। डब्ल्यूएफआई के चुनाव निष्पक्ष और लोकतांत्रिक तरीके से हुए थे। उन्होंने कहा, “हम अब भी बजरंग को पद्मश्री लौटाने के अपने फैसले को पलटने के लिए मनाने की कोशिश करेंगे।”

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