राष्ट्रीय दर्जा, लेकिन बुनियादी पानी-बिजली भी नहीं! FTI ArP में छात्रों की बगावत ने खोली सरकार की पोल

अरुणाचल के फिल्म संस्थान FTI ArP में छात्रों की बगावत: अव्यवस्था, असुविधाएं और प्रशासनिक चूक बनीं कारण
National Film Institute of Arunachal Pradesh became a school of struggle for the students, the academic strike of the first batch echoes the failures of the administration.
फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान, अरुणाचल प्रदेश (FTI ArP) संस्थान छात्रों के लिए बना संघर्ष की पाठशाला, पहली बैच ने की शैक्षणिक हड़ताल.फोटो साभार- छात्र टीम
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नई दिल्ली — "हमने सपनों को आकार देने के लिए इस संस्थान का रुख किया था, न कि अव्यवस्था और उपेक्षा से जूझने के लिए।" – यह आक्रोश है FTI ArP के पहले बैच के छात्रों का, जो वर्तमान में अनिश्चितकालीन शैक्षणिक हड़ताल पर हैं। संस्थान की स्थापना का उद्देश्य था पूर्वोत्तर भारत को एक नया फिल्म शैक्षणिक केंद्र प्रदान करना, पर वास्तविकता उन दस्तावेज़ों से कोसों दूर है जिनमें इस संस्थान को राष्ट्रीय महत्व का बताया गया था।

सुनहरी कल्पना से कड़वी सच्चाई तक

फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान, अरुणाचल प्रदेश (FTI ArP) की स्थापना सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा सत्यजीत रे फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान (SRFTI), कोलकाता के सहयोग से की गई थी। उद्देश्य था – पूर्वोत्तर भारत के युवाओं को फिल्म निर्माण और दृश्य-श्रव्य कला में प्रशिक्षित करना। लेकिन जिस संस्थान को शैक्षणिक नवाचार और व्यावसायिक प्रशिक्षण का केंद्र बनना था, वह अब समस्याओं का अड्डा बन चुका है।

A view of the inside of the auditorium, where people can sit.
आडिटोरियम के अन्दर का दृश्य, जहां लोगों के बैठने की जगह होती है. फोटो साभार- छात्र संघ

शैक्षणिक ढांचे की अनदेखी: कब तक केवल वादे?

छात्रों का आरोप है कि संस्थान शुरू से ही अनिश्चितता और अव्यवस्था का प्रतीक रहा है। दाखिले के बाद पांच महीनों तक कोई सूचना नहीं, कोई ओरिएंटेशन नहीं, और जब क्लासेज शुरू हुईं तो बुनियादी सुविधाएं जैसे लाइब्रेरी, सीआरटी, जिम, लैब, पानी और बिजली तक नदारद थीं।

BOYS HOSTEL
लड़कों का हॉस्टल फोटो साभार- छात्र संघ

मार्च 2025 में पहली बार छात्रों ने "अकादमिक हॉल्ट" की घोषणा की थी, जब हालात बद से बदतर हो गए। छात्रों को क्लास के लिए जिस कमरे में भेजा गया, वह दरअसल एक अधूरी लाइब्रेरी थी। सीनेमा पढ़ाने वाले संस्थान में बिजली की नियमित कटौती – यह सिर्फ विडंबना नहीं, एक गंभीर शैक्षणिक संकट है।

PREVIEW THEATRE, FRONT VIEW
थिएटर के बाहर का दृश्यफोटो साभार- छात्र संघ

छात्रों की मांगें: लग्जरी नहीं, बुनियादी अधिकार

छात्रों ने अपनी मांगों की एक विस्तृत सूची जारी की है, जिनमें शामिल हैं:

  • पूरा और कार्यशील शैक्षणिक ढांचा: सीआरटी ब्लॉक, शूटिंग फ्लोर, प्रिव्यू थिएटर, डिजिटल ब्लॉक, और पुस्तकालय।

  • सुरक्षा एवं स्वास्थ्य: बाउंड्री वॉल, CISF सुरक्षा, 24x7 इन्फर्मरी और साफ पेयजल।

  • नेटवर्क और डिजिटल संसाधन: निर्बाध Wi-Fi, 5G नेटवर्क, और उच्च स्तरीय वर्कस्टेशन।

  • प्रशासनिक पारदर्शिता: पूर्णकालिक निदेशक, स्थायी फैकल्टी, और संस्थान की औपचारिक मान्यता।

SHOOTING FLOOR
शूटिंग फ्लोर के पास एक छात्रफोटो साभार- छात्र संघ

मनोवैज्ञानिक और शैक्षणिक प्रभाव: टूटते सपनों का बोझ

इस अकादमिक अनिश्चितता और अव्यवस्था का सबसे गहरा प्रभाव छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ा है। कई छात्र तनाव, अवसाद और नींद की कमी से जूझ रहे हैं। तकनीकी सुविधाओं की कमी के कारण उनके प्रोजेक्ट और अकादमिक कार्य बाधित हुए हैं।

हम समकक्ष संस्थानों से पीछे रह गए हैं, और तकनीकी दुनिया में यह पीछे रह जाना हमारे करियर के लिए घातक साबित हो सकता है।
छात्र

राष्ट्रीय संस्थान का खिताब, लेकिन जमीनी सच्चाई शर्मनाक

मार्च में संस्थान में शामिल होने के बावजूद, आज तक न कोई लोगो है, न वेबसाइट, न सोशल मीडिया उपस्थिति, न ही छात्र पहचान पत्र। छात्रों को न तो कोई डिजिटल प्रमाणपत्र मिला है, न ही वे यह साबित कर सकते हैं कि वे किसी राष्ट्रीय फिल्म संस्थान के छात्र हैं।

HALT MARCH
छात्रों का हाल्ट मार्च फोटो साभार- छात्र संघ

सरकार और प्रशासन की भूमिका: जवाबदेही का सवाल

इस पूरी स्थिति में सबसे बड़ी विफलता प्रशासन की रही है – न तो SRFTI और न ही सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने समय पर कोई ठोस कदम उठाया। नियुक्तियाँ अस्थायी, निर्णयों में देरी, और छात्रों की बार-बार की चिट्ठियों पर कोई स्पष्ट रोडमैप नहीं।

यह केवल एक संस्थान का मामला नहीं, बल्कि यह सवाल है कि क्या भारत अपने उच्च शिक्षा संस्थानों को उनके उद्देश्यों के अनुरूप चला पा रहा है? क्या छात्रों की आवाज़ केवल फॉर्मल मेल्स और वादों के दस्तावेज़ों में ही खोकर रह जाएगी?

DIGITAL BLOCK
डिजिटल ब्लॉक फोटो साभार- छात्र संघ

समाधान नहीं तो शिक्षा नहीं

FTI ArP के छात्र अब साफ कह चुके हैं: “हम तब तक अपना दूसरा सेमेस्टर शुरू नहीं करेंगे जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं होतीं।” यह संघर्ष एक गहरी चेतावनी है – संस्थान की दीवारें चाहे कितनी भी ऊँची क्यों न हों, अगर नींव में उपेक्षा और अनदेखी हो, तो उसमें शिक्षा नहीं, सिर्फ निराशा उपजती है।

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