Bihar: बरसात से पहले पटना नगर निगम करवा रही सीवेज सफाई—23 वर्षीय दलित इंजीनियरिंग स्टूडेंट की मैनुअल स्कैवेंजिंग की शिकायत पर सफाई कर्मचारी आयोग ने लिया स्वत: संज्ञान!

NCSK ने पटना के जिला मजिस्ट्रेट डॉ. चंद्रशेखर सिंह को इस घटना की तत्काल जांच करने का निर्देश दिया है। आयोग ने 15 दिनों के भीतर एक विस्तृत कार्रवाई रिपोर्ट (एटीआर) निर्धारित प्रारूप में प्रस्तुत करने को कहा है।
कामगरों को बिना सुरक्षात्मक उपकरणों के मानव मल को साफ़ करते और मैनहोल खोलते हुए देखा जा सकता है।
कामगरों को बिना सुरक्षात्मक उपकरणों के मानव मल को साफ़ करते और मैनहोल खोलते हुए देखा जा सकता है।फोटो: शुभम कुमार
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नई दिल्ली/पटना- राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग (NCSK) ने बिहार के पटना में मैनुअल स्कैवेंजिंग की एक गंभीर शिकायत पर स्वत: संज्ञान लिया है, जो मैनुअल स्कैवेंजर्स के नियोजन पर प्रतिबंध और उनके पुनर्वास अधिनियम, 2013 (Prohibition of Employment as Manual Scavengers and Their Rehabilitation Act) और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (Scheduled Castes and Scheduled Tribes (Prevention of Atrocities Act) के उल्लंघन को उजागर करता है।

शिकायतकर्ता शुभम कुमार ने 10 मई, 2025 को NCSK के ऑनलाइन पोर्टल (शिकायत संख्या 102574) के माध्यम से शिकायत दर्ज की, जिसमें 28 अप्रैल को चांदमारी रोड, कंकड़बाग, मिथापुर, पटना में हुई घटना का उल्लेख है।

शिकायत में आरोप लगाया गया है कि संभवतः अनुसूचित जाति समुदाय के व्यक्तियों को बिना किसी सुरक्षा उपकरण या मशीनी सहायता के सीवेज और मैनहोल की मैनुअल सफाई के लिए मजबूर किया गया। यह कार्य 2013 के अधिनियम का स्पष्ट उल्लंघन है, जो मैनुअल स्कैवेंजिंग पर रोक लगाता है और सीवरों व सेप्टिक टैंकों की मशीनी सफाई को अनिवार्य करता है, साथ ही भारत के संविधान के अनुच्छेद 17 (अस्पृश्यता का उन्मूलन) और 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का संरक्षण) का भी उल्लंघन है।

कामगरों को बिना सुरक्षात्मक उपकरणों के मानव मल को साफ़ करते और मैनहोल खोलते हुए देखा जा सकता है।
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शिकायतकर्ता ने निम्नलिखित राहतों की मांग की है:

  1. 2013 के अधिनियम और अनुच्छेद 17 के तहत जाति-आधारित भेदभाव के उल्लंघन की तत्काल जांच।

  2. 2013 के अधिनियम, एससी/एसटी अत्याचार अधिनियम, और मानव जीवन को खतरे में डालने के लिए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की प्रासंगिक धाराओं के तहत प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज करना।

  3. पीड़ितों के नाम, सामाजिक श्रेणी और रोजगार स्थिति की पहचान।

  4. 2014 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले सफाई कर्मचारी आंदोलन बनाम भारत सरकार के अनुसार प्रत्येक पीड़ित को 10,00,000 रुपये का मुआवजा।

  5. पटना नगर निगम (पीएमसी) और पर्यवेक्षी अधिकारियों के जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन, जो इस घटना को रोकने में विफल रहे।

  6. यदि एफआईआर दर्ज नहीं की जाती है, तो इसके लिए उचित लिखित कारण।

शिकायतकर्ता ने चेतावनी दी है कि कार्रवाई न होने पर वह NCSK, बिहार राज्य और पीएमसी के खिलाफ अवमानना याचिका दायर करेगा, साथ ही संविधान के अनुच्छेद 226 और 215 के तहत पटना उच्च न्यायालय का रुख करेगा।

शुभम ने मामले की अधिक जानकारी देते हुए द मूकनायक को बताया कि 28 अप्रेल की घटना उसके आखो के सामने घटी है. उसकी कोलोनी में सफाई ठेकेदार के कर्मचारी मेनहोल की सफाई नंगे बदन कर रहे थे, उनके पास कोई सुरक्षा उपकरण नही थे ना ही उन्हें सफाई के दौरान पहनने वाला कोई किट ही दिया गया था. शुभम ने बताया की बारिश से पहले में होल और सीवर लाइनों की सफाई और रखरखाव का काम पूरे शहर में चल रहा है और कर्मचारियों की सुरक्षा और उनके अधिकारों की घोर अनदेखी हो रही है।

यह कार्य 2013 के अधिनियम का स्पष्ट उल्लंघन है, जो मैनुअल स्कैवेंजिंग पर रोक लगाता है और सीवरों व सेप्टिक टैंकों की मशीनी सफाई को अनिवार्य करता है, साथ ही भारत के संविधान के अनुच्छेद 17 (अस्पृश्यता का उन्मूलन) और 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का संरक्षण) का भी उल्लंघन है।
यह कार्य 2013 के अधिनियम का स्पष्ट उल्लंघन है, जो मैनुअल स्कैवेंजिंग पर रोक लगाता है और सीवरों व सेप्टिक टैंकों की मशीनी सफाई को अनिवार्य करता है, साथ ही भारत के संविधान के अनुच्छेद 17 (अस्पृश्यता का उन्मूलन) और 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का संरक्षण) का भी उल्लंघन है।

शिकायत के साथ चार टाइम-स्टैम्प्ड, जियो-टैग्ड तस्वीरे भी भेजी हैं जो कामगरों को बिना सुरक्षात्मक उपकरणों के मानव मल को साफ़ करते और मैनहोल खोलते हुए दिखाती हैं, जो इस कार्य की खतरनाक और अमानवीय प्रकृति को रेखांकित करती हैं।

शुभम की शिकायत के बाद राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग की प्रक्रिया नियम, 2019 और 2013 के अधिनियम की धारा 31 के तहत NCSK ने अपने अधिकार का उपयोग करते हुए इस मामले की जांच शुरू की है, जो आयोग को अधिनियम के कार्यान्वयन की निगरानी और गैर-अनुपालन की शिकायतों की जांच करने का अधिकार देता है।

मई 2025 (डीओ नंबर 11059/50/7/13/20-आरएडी) में लिखे एक पत्र में, पटना के जिला मजिस्ट्रेट, डॉ. चंद्रशेखर सिंह को इस घटना की तत्काल जांच करने का निर्देश दिया गया है। आयोग ने 15 दिनों के भीतर एक विस्तृत कार्रवाई रिपोर्ट (एटीआर) निर्धारित प्रारूप में प्रस्तुत करने का अनुरोध किया है, जिसमें मैनुअल स्कैवेंजर्स पुनर्वास नियम, 2013 और एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) नियम, 2016 के अनुसार पीड़ितों को प्रदान की गई मुआवजे की जानकारी मांगी है । पत्र की एक प्रति बिहार के मुख्य सचिव को भी कार्रवाई के लिए भेजी गई है।

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