दिल्लीः शिक्षा बचाओ, संविधान बचाओ मुहिम का आगाज, जानिए DU के प्रोफेसर ने किस संकट से किया अगाह?

डॉ. लक्ष्मण यादव ने कहा कि शिक्षा पर आसन्न गंभीर खतरे और अन्यायपूर्ण भेदभाव के खिलाप मुहिम की शुरुआत की गई है।
संवाददाताओं से बात करते हुए प्रोफेसर।
संवाददाताओं से बात करते हुए प्रोफेसर।The Mooknayak
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नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय से करीब 1 हजार एडहॉक शिक्षकों को सेवा से बर्खास्त किए जाने के विरोध में शिक्षक समुदाय ने गुरुवार प्रेस क्लब ऑफ इंडिया परिसर में शिक्षा बचाओ, संविधान बचाओ मुहिम का आगाज किया। इस अवसर पर अभियान के संयोजक डॉ. लक्ष्मण यादव ने कहा कि शिक्षा पर आसन्न गंभीर खतरे और अन्यायपूर्ण भेदभाव के खिलाप मुहीम की शुरुआत की गई है।

उन्होंने आगे कहा शैक्षणिक संस्थान किसी भी देश और समाज की बुनियाद होते हैं। स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालयों को किसी भी एक विचारधारा, सरकार, जाति, धर्म, भाषा, क्षेत्र का न होकर सभी का होना होता है। खासकर उच्च शिक्षा में विश्वविद्यालय का ‘विश्व’ इन्हें वैश्विक ज्ञान, विज्ञान, अनुसंधान, विमर्श, संवाद का आजाद केंद्र बनाता है। भारत के संविधान की प्रस्तावना के मूल न्याय, समता, बंधुता के मूल्यों पर ही शिक्षा का वजूद निर्भर होना चाहिए। मगर मौजूदा दौर में शिक्षा के केंद्र इन विश्वविद्यालयों और पूरे शिक्षा जगत पर कई तरह के गम्भीर खतरे दिखाई दे रहे हैं। जिससे उच्च शिक्षा से जुड़े विद्यार्थी, शोधार्थी, प्रोफेसर सभी चिंतित हैं। इसलिए हम भारत के नागरिक इन खतरों की तरफ देश का ध्यान आकृष्ट कराना चाहते हैं।

इन खतरों से किया अगाह

  • देश की शिक्षा व्यवस्था पर एक विचारधारा विशेष को थोपा जा रहा है। अलग विचार रखने वाली आवाजों का दमन किया जा रहा है। जिससे शिक्षा का स्वायत्त, निष्पक्ष, तटस्थ, समावेशी व संविधान पर आधारित चरित्र नष्ट हो रहा है।

  • विश्वविद्यालयों में प्रोफेसरों की नियुक्ति प्रक्रिया बेहद भ्रष्टाचारी, भेदभावकारी और अपारदर्शी है। जिसके चलते वास्तविक प्रतिभाओं का हनन हो रहा। कम प्रतिभावान लोगों के हाथों विद्यार्थियों का भविष्य संकट में डाला जा रहा है। इसलिए नियुक्ति प्रक्रिया तत्काल बदली जाए।

  • विश्वविद्यालयों व कॉलेजों के भीतर हर स्तर पर जातिगत, लैंगिक और अन्य कई किस्म के शोषण व भेदभाव बदस्तूर जारी हैं, जिसके चलते देश भर के विश्वविद्यालयों से वंचित शोषित जमात के विद्यार्थियों, शोधार्थियों और प्रोफेसरों के साथ अनवरत अन्याय हो रहा है।

  • सरकार व एक विचारधारा विशेष के प्रभाव में पाठ्यक्रम बर्बाद किए जा रहे हैं, पीएचडी एडमिशन तक में घोर धांधली की जा रही है, विद्यार्थियों की सीटों व फेलोशिप में कटौती हो रही है, फीस बेतहाशा बढ़ाई जा रही है, उच्च शिक्षा का पूरी तरह से बाजार को दिया जा रहा है।

  • अभी हाल ही में दिल्ली विश्वविद्यालय से बेहद प्रतिभाशाली तकरीबन एक हजार प्रतिभावान, अनुभवी व काबिल शिक्षकों को नौकरी से निकाल दिया गया है। ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिसमें देश भर के प्रतिभावान युवाओं के साथ अन्याय करके उन्हें शिक्षा जगत से बेदखल किया जा रहा है।

  • शिक्षकों को ठेके पर रखकर विश्वगुरु बनने का ख्वाब देखा जा रहा है, जो बेहद खतरनाक है। छात्र शिक्षक अनुपात के वैश्विक मानक के तहत सभी पदों पर स्थाई नियुक्ति सुनिश्चित की जाए।

देश के सामने गंभीर चुनौती

संवाददाताओं से बात करते हुए प्रोफेसर।
संवाददाताओं से बात करते हुए प्रोफेसर।The Mooknayak

वक्ताओं ने संवाददाताओं से कहा कि भारत के आम नागरिक, प्रोफेसर्स, शोधार्थी, विद्यार्थी व बुद्धिजीवी उक्त तमाम विषयों को लेकर बेहद चिंतित हैं। वहीं पूरे देश का ध्यान इस बेहद गंभीर चुनौती की तरफ लाना चाहते है। देश की सरकार और महामहिम राष्ट्रपति से अपील करते हैं कि तत्काल आप कुछ ठोस कदम उठाएं और उच्च शिक्षा को बचाने की हमारी अपील पर गौर करें।

राष्ट्रपति से की मांग

अभियान से जुड़े सदस्यों ने राष्ट्रपति को सम्बोधित करते हुए कहा सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति भी हैं और भारत की प्रथम नागरिक भी। भारत के हम आम नागरिक आपसे अपील करते हैं कि यदि उच्च शिक्षा किसी सरकार या किसी एक विचारधारा की गिरफ्त में पूरी तरह चली जाएगी, तो इससे पूरे समाज और देश अपूर्णनीय क्षति होगी। अतः हम, भारत के आम नागरिक आपसे यह विनम्र अपील करते हैं कि आप इस बेहद गंभीर मसले को गंभीरता से लें।

आज से हम ‘शिक्षा बचाओ संविधान बचाओ मुहिम’ का आगाज करते हैं। इस मुहिम के तहत हम देश भर के सभी सामाजिक, सांस्कृतिक व राजनीतिक संगठनों से भी अपील करते हैं कि आप सभी अपने अपने स्तर पर अपने इलाके के स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों में हो रहे अन्याय के आँकड़े एकत्रित करें, आम लोगों को जागरूक करें और इसे एक जन-आंदोलन में तब्दील करके स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय बचाने के साथ संविधान बचाने के लिए आगे आएँ।

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