राजस्थान: शिक्षा से रौशन होगा भिक्षावृत्ति में लिप्त बच्चों का जीवन

बाल सुधार गृह एवं ओपन शेल्टर होम के माध्यम से बच्चों को दिया जा रहा है शिक्षण-प्रशिक्षण
बाल सुधार गृह एवं ओपन शेल्टर होम के माध्यम से बच्चों को दिया जा रहा है शिक्षण-प्रशिक्षण
बाल सुधार गृह एवं ओपन शेल्टर होम के माध्यम से बच्चों को दिया जा रहा है शिक्षण-प्रशिक्षणफोटो साभार- अब्दुल माहिर, द मूकनायक

जयपुर। कस्बा व शहरों में मासूम दिव्यांग व असहाय बच्चे आपको इधर-उधर भीख मांगते नजर आ जाएंगे। कुछ तो पीठ पर बोझा डाल कर कचरे में दो जून की रोटी ढूंढते हैं। इनका कोई सरपरस्त नहीं होता ना शिक्षा से इनका कोई वास्ता होता है। भिक्षावृत्ति या कचरे के ढेर में पेट भरने के लिए पैसों के जुगाड़ में लगे ऐसे निराश्रित बच्चों के लिए स्वयंसेवी संगठन सरकारी संस्थाओं के साथ मिलकर जरूरतमंद बच्चों में शिक्षा की अलख जगा रहे हैं। वहीं दिव्यांग बच्चों का सहारा भी बन रहे हैं। राजस्थान के सवाईमाधोपुर जिले में भी ऐसी संस्थाएं काम कर रही हैं। इनकी हर तरफ तारीफ भी हो रही है। भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय व राज्य सरकार निजी क्षेत्र की संस्थाओं के साथ मिलकर ’मिशन वात्सल’ योजना के तहत काम कर रहे हैं।

बच्चों को दिया जा रहा शिक्षण-प्रशिक्षण
बच्चों को दिया जा रहा शिक्षण-प्रशिक्षणफोटो साभार- अब्दुल माहिर, द मूकनायक

क्या है मिशन वात्सल्य योजना?

मिशन वात्सल्य योजना के तहत सवाईमाधोपुर जिले में भी गुमशुदा, अनाथ, दिव्यांग व निराश्रित (देखरेख एवं संरक्षण) बच्चों के लिए उनके अधिकार एवं शिक्षण प्रशिक्षण के साथ भोजन, आवास एवं अन्य सुविधाओं को सुगमता से संचालित किया जा रहा है। जिले में रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड एवं बजरिया के सड़कों पर भिक्षावृत्ति करते हुए कई बार बच्चे नजर आ जाते हैं। इन बच्चों का भविष्य अंधकार में ही प्रतीत होता है, लेकिन सरकार की मिशन वात्सल्य योजना के तहत अब इन बच्चों को शिक्षा से जोड़ा जा रहा है।

ये संस्थाएं दे रही है सेवा

जिले में बाल सुधार गृह एवं चाइल्डलाइन संस्था ओपन शेल्टर होम के माध्यम से भिक्षावृत्ति से जुड़े बच्चों को शिक्षण प्रशिक्षण के साथ उचित भोजन एवं आवास की व्यवस्था दी जा रही है। ओपन शेल्टर होम में बाल श्रमिक, गुमशुदा एवं भिक्षावृत्ति में लिप्त बच्चों को शिक्षण प्रशिक्षण के साथ व्यावसायिक प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। जिला मुख्यालय की मीणा कॉलोनी स्थित मर्सी ओपन शेल्टर होम में अब तक का आंकड़ा बेहद उत्साहवर्धक है।

2008 से लगातार कर रहे हैं काम

द मूकनायक को चाइल्डलाइन संस्था निदेशक अरविंद सिंह चौहान ने बताया कि उनकी संस्था 2008 से ही ऐसे भिक्षावृत्ति से जुड़े बच्चों के साथ ही गुमशुदा, निराश्रित दिव्यांग व बाल मजदूर तथा अन्य तरह से कचरा बीनने वाले निराश्रित बच्चों का भविष्य संवारने के काम कर रही है। वर्तमान सत्र 22-23 में कुल 39 ऐसे बच्चों को संस्था में प्रवेश दिया गया है। इनमें 9 बच्चे भिक्षावृत्ति में लिप्त थे। इन बच्चों को संस्था के माध्यम से शिक्षण प्रशिक्षण दिया जा रहा है। अब यह बच्चे क, ख, ग, घ पढ़ने व समझने लगे हैं। गिनती भी याद होने लगी है। इसी सत्र में गुमशुदा श्रेणी के 29 बच्चों को उनके घर पहुंचाया गया है।

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चौहान कहते हैं कि, 2019-20 की बात करें तो कुल 113 बच्चों को ओपन शेल्टर होम से जोड़ा गया। इनमें से गुमशुदा और घर से पलायन करने वाले 111 बच्चों को उनके परिवार में पुनर्वासित कराया जबकि 2 बच्चे संस्था में आवासीय रहे। इसी प्रकार सत्र 2018-19 में कुल 130 बच्चों को शेल्टर होम से जोड़ा गया। इनमें से गुमशुदा और पलायन करने वाले 118 बच्चों को उनके परिवार से मिलाया गया। वहीं 12 बच्चे सत्र के अंत तक लगातार शिक्षण प्रशिक्षण एवं व्यावसायिक प्रशिक्षण प्राप्त करते रहे। सत्र 2021-22 में जिले में कुल 56 बच्चे ओपन शेल्टर होम से जोड़े गए और सफलतापूर्वक शिक्षण प्रशिक्षण के बाद उनको परिवार में पुनर्वासित कराया। सत्र 2020-21 में भिक्षावृत्ति में लिप्त 18 बच्चों को ओपन शेल्टर होम से जोड़ा गया और एक साल में लगभग शिक्षण प्रशिक्षण देने के बाद उन्हें सरकारी विद्यालय में प्रवेश दिलाया गया।

मुहिम से लोगों को किया जा रहा जागरूक
मुहिम से लोगों को किया जा रहा जागरूक फोटो साभार- अब्दुल माहिर, द मूकनायक

सूचना मिलते ही तुरंत पहुंचती है टीम

"बालगृह एवं ओपन शेल्टर होम के माध्यम से बच्चों को शिक्षा से लगातार जोड़ा जा रहा है। बाल विवाह बाल श्रमिक या फिर बच्चों द्वारा भिक्षावृत्ति करने की सूचना 1098 चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर से प्राप्त होती है, तो त्वरित गति से टीम वहां पहुंच कर कार्रवाई करती है और बच्चों को रेस्क्यू करके बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किया जाता है और यह कार्रवाई एक सतत प्रक्रिया है। इसके अलावा संस्था के माध्यम से अब तक 450 से अधिक गुमशुदा बच्चों को उनके परिवार तक पहुंचाया गया है। 40 दिव्यांग पेंशन स्वीकृत करवाई, 100 निराश्रितों को राज्य सरकार की पालनहार योजना से जुड़वाया। 400 दिव्यांग बच्चों को चिकित्सकों से दिव्यांग प्रमाणपत्र भी दिलवाया गया है",अरविंद सिंह चौहान, निदेशक, चाइल्डलाइन, सवाईमाधोपुर ने कहा।

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