अयोध्या की सारी तैयारी सिर्फ और सिर्फ पॉलिटिक्स से प्रेरित: हरि लाल दुसाध

हरि लाल दुसाध ने 22 जनवरी को होने वाले राम मंदिर के शुभारंभ के बारे में बताया कि मंदिर के शुभारंभ का जमकर राजनीतिकरण हो रहा है। अयोध्या की सारी तैयारी सिर्फ और सिर्फ पॉलिटिक्स से प्रेरित है, इसका लाभ कुछ ही वर्गों को मिलेगा।
हरि लाल दुसाध
हरि लाल दुसाध

दलित और बहुजन समुदाय के चिंतक और लेखक हरि लाल दुसाध ने 'द मूकनायक' को दिए एक साक्षात्कार में डॉक्टर अंबेडकर और उनके योगदान, अयोध्या, राम मंदिर, जाति, धर्म, राजनीति, महिलाओं और सामाजिक न्याय के बारे में विस्तार से बातचीत की। साथ ही इस साक्षात्कार में उन्होंने कांग्रेस और राहुल गांधी के साथ उनकी हालिया मुलाकात के बारे में भी बात की।

बुद्धिजीवी हरि लाल दुसाध ने 13 जनवरी को राहुल गांधी से मुलाकात की थी। उन्होंने बताया कि 13 जनवरी को राहुल गांधी से सामाजिक न्याय से जुड़े कुछ दर्जन लोग मिलने वाले थे। अपने मुलाकात के बारे में बताते हुए दुसाध ने कहा, “कल, कार्यकर्ताओं के एक समूह को युवा नेता राहुल गांधी से मिलने का अवसर मिला। दुर्भाग्य से मुझे उनके साथ लंबी बातचीत का मौका नहीं मिला, लेकिन उनके विचार सुनने और जानने का अवसर जरूर मिला। आगे वे जोड़ते हैं, यह एक अच्छा एहसास था और मुझे लगता है कि वह सामाजिक न्याय के लिए नए प्रकाशस्तंभ हैं।''

अपने मुलाकात के पीछे के मकसद के बारे में बात करते हुए दुसाध बताते हैं, “राहुल गांधी से मुलाकात के पीछे मेरा मुख्य मकसद उन्हें उन किताबों को देना था जो मैंने लिखी और प्रकाशित की थीं। ये ऐसे साहित्य हैं जिनका अगर समझदारी से उपयोग किया जाए तो देश में मौन क्रांति लायी जा सकती है। मैंने उन्हें जो संदेश दिया वह यह है कि डोनेशन मांगने वाले नेता को किताबों की ताकत का एहसास होना चाहिए।”

इस साक्षात्कार में हरि लाल दुसाध ने 22 जनवरी को होने वाले राम मंदिर के शुभारंभ के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि मंदिर के शुभारंभ का जमकर राजनीतिकरण हो रहा है। वे कहते हैं, अयोध्या की सारी तैयारी सिर्फ और सिर्फ पॉलिटिक्स से प्रेरित है, इसका लाभ कुछ ही वर्गों को मिलेगा। इस पर आगे बात करते हुए उन्होंने कहा कि, "हाल ही में, राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठान के निमंत्रण के जवाब में, उद्धव ठाकरे ने कहा था कि वे उसी दिन नासिक में 'काला राम मंदिर' का दौरा करेंगे। नासिक के काला राम मंदिर का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि 1930 में, जब दलित और बहुजनों को मंदिरों में प्रवेश करने की अनुमति नहीं थी तब डॉक्टर भीवराव अंबेडकर ने एक बहुत बड़ा अभियान चलाया था मंदिर प्रवेश आंदोलन का। वे बताते हैं कि जो सबसे बड़ा अभियान चला था मंदिरों में दलितों के प्रवेश का, वह काला राम मंदिर के लिए था। बाबासाहेब अम्बेडकर ने 15,000 साथी दलित और बहुजन लोगों के साथ काला राम मंदिर में प्रवेश करने का प्रयास किया। काला राम मंदिर नासिक में राम का मंदिर है जो काले पत्थरों से बना हुआ है।"

इसके बाद दुसाध ने देश के वर्तमान राजनीतिक माहौल पर बातचीत की। उन्होंने दावा किया कि भारतीय जनता पार्टी को हराना सबसे आसान पॉलिटिकल काम है जिसे कोई भी कर सकता है। उन्होंने कहा कि, ''ऐसा लगता है कि बीजेपी को चुनौती नहीं दी जा सकती और कोई भी पार्टी को हरा नहीं सकता. लेकिन मैं इसके ठीक विपरीत दावा करता हूं। मैं पिछले 6 साल से कह रहा हूं कि बीजेपी को हराना सबसे आसान काम है."

आगे इसे विस्तार से समझाते हुए उन्होंने बताया, “मोदी के सत्ता में आने के बाद पहला बड़ा चुनाव बिहार में हुआ था। वहां लालू और नीतीश कुमार ने आकर गठबंधन किया और जीतन राम मांझी राज्य के मुख्यमंत्री बने. उसके 3 महीने बाद 10 सीटों पर उपचुनाव हुए. उस घोर मोदी लहर के दौरान भी महागठबंधन ने 10 में से 6 सीटें जीतीं। तब उठाए गए मुद्दों में विविधता और सामाजिक न्याय शामिल थे। उस दौरान लालू प्रसाद यादव ने हाशिए पर मौजूद आबादी के लिए 60 फीसदी से ज्यादा आरक्षण की बातचीत शुरू की थी. अगले साल राज्य में विधानसभा चुनाव है.''

बता दें कि, लेखक हरि लाल दुसाध ने साहित्य और सामाजिक सक्रियता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। लखनऊ स्थित 'दुसाध प्रकाशन' के माध्यम से, उन्होंने एक अनूठी कथा तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है जो विविधता को अपने मूल में रखती है। इसके साथ ही 2006 से, दुसाध ने आर्थिक मुद्दों को विशेष रूप से ध्यान में रखकर 15 विविधता वर्ष पुस्तकें तैयार की हैं, जिनमें से प्रत्येक औसतन 1000 पृष्ठों की है। इसके अलावा, उन्होंने अंग्रेजी और बंगाली से दो पुस्तकों का अनुवाद किया है और इसके साथ ही आज के भारत की ज्वलंत समस्याएं श्रृंखला के रूप में 22 पुस्तकों का निर्माण भी किया।

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