तमिलनाडु: जातिगत भेदभाव और मारपीट से आहत दलित छात्र की मौत, 10 दिन तक जिंदगी और मौत से लड़ता रहा जंग

जातिसूचक गालियों से आहत होकर छात्र ने की थी आत्महत्या की कोशिश, पिता ने पुलिस की जांच पर उठाए सवाल, विभाग ने दी 6 लाख की मदद
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मौतग्राफिक- द मूकनायक
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विल्लुपुरम: तमिलनाडु के विल्लुपुरम जिले में कथित जातिगत भेदभाव का एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है। जातिसूचक गालियों और मारपीट से अपमानित होकर आत्महत्या का प्रयास करने वाले 18 वर्षीय दलित छात्र ने मंगलवार को अस्पताल में दम तोड़ दिया। मृतक छात्र पिछले 10 दिनों से आईसीयू में जिंदगी की जंग लड़ रहा था।

मृतक की पहचान वादकुचिपालयम (Vadakuchipalayam) निवासी एस. गजनी (S Gajini) के रूप में हुई है। वह 'गवर्नमेंट अरिग्नार अन्ना आर्ट्स कॉलेज' में इतिहास (History) के प्रथम वर्ष का छात्र था।

क्या थी पूरी घटना?

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, यह घटना 6 नवंबर की है। गजनी एक होटल से वापस अपने घर लौट रहा था। उसी दौरान वन्नियार समुदाय के तीन लोग, जो कथित तौर पर नशे की हालत में एक ही बाइक पर सवार थे, उन्होंने गजनी की दोपहिया वाहन को टक्कर मार दी।

इस टक्कर के बाद वहां कहासुनी शुरू हो गई। आरोप है कि जैसे ही उन तीनों को पता चला कि गजनी दलित समुदाय से है, उन्होंने उसे जातिसूचक गालियां देनी शुरू कर दीं और उसके साथ शारीरिक रूप से मारपीट की। सूत्रों का कहना है कि जब गजनी के पिता ने बीच-बचाव करने की कोशिश की, तो तीनों आरोपी मौके से फरार हो गए।

अपमान से आहत होकर उठाया खौफनाक कदम

इस घटना के तीन दिन बाद, गजनी ने अपने घर पर आत्महत्या करने का प्रयास किया। परिजनों ने उसे तुरंत बचाया और मुंडियाम्बक्कम (Mundiyambakkam) स्थित 'गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल' में भर्ती कराया। वहां उसे इंटेंसिव क्रिटिकल केयर यूनिट (ICU) में रखा गया था। 10 दिनों तक चले इलाज के बाद, मंगलवार तड़के उसने अपनी चोटों के कारण दम तोड़ दिया।

पुलिस की जांच पर सवाल

विल्लुपुरम तालुक पुलिस ने शिकायत के आधार पर तीन अज्ञात पुरुषों के खिलाफ SC/ST एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है। पुलिस सूत्रों का कहना है कि छात्र आरोपियों की पहचान की पुष्टि नहीं कर सका था, जिससे संदिग्धों का पता लगाना मुश्किल हो रहा है। हालांकि, परिवार का दावा है कि गजनी ने कम से कम एक हमलावर की पहचान कर ली थी।

"मेरा बेटा चला गया, हमें इंसाफ चाहिए"

मृतक के पिता, पी. सेम्मेनेरी ने प्रशासन की कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा, "घटनास्थल पर मोबाइल टावर के सिग्नल को ट्रैक करना पुलिस के लिए कितना मुश्किल काम है? पुलिस ठीक से जांच नहीं कर रही है क्योंकि मेरा बेटा अब इस दुनिया में नहीं है। हमें न्याय चाहिए।"

इसके साथ ही, उन्होंने बस स्टॉप तक जाने वाले रास्ते पर दलित निवासियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की भी मांग की है।

मुआवजे की घोषणा इस दुखद घटना के बीच, जिला आदि द्रविड़ कल्याण विभाग ने पीड़ित परिवार के लिए 6 लाख रुपये के मुआवजे की मंजूरी दी है। छात्र की मौत के बाद से इलाके में शोक की लहर है और परिवार न्याय की गुहार लगा रहा है।

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