
हैदराबाद: तेलंगाना राज्य मानवाधिकार आयोग (TGHRC) ने सूर्यापेट जिले में एक दलित युवक की कथित तौर पर पुलिस हिरासत में हुई मौत के मामले को बेहद गंभीरता से लिया है। आयोग ने इस घटना पर कड़ा रुख अपनाते हुए राज्य के गृह विभाग को एक विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है।
मृतक युवक की मां ने मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज कराई थी कि उनके बेटे को अवैध रूप से हिरासत में रखा गया और पुलिसिया प्रताड़ना का शिकार बनाया गया। आयोग ने इन आरोपों का संज्ञान लेते हुए सोमवार को अपना आदेश जारी किया।
आयोग के समक्ष दी गई जानकारी के अनुसार, युवक को चिलकुर और कोडाद ग्रामीण पुलिस द्वारा कथित तौर पर गैर-कानूनी तरीके से हिरासत में लिया गया था। परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने उसे 'थर्ड-डिग्री' टॉर्चर दिया, झूठे मामले में फंसाया और परिवार से मिलने तक नहीं दिया।
पीड़ित मां ने अपनी शिकायत में बताया कि, उनके बेटे को 4 नवंबर से 9 नवंबर तक अवैध पुलिस हिरासत में रखा गया। इस दौरान उसे शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया और फिर 10 नवंबर को एक झूठे आपराधिक मामले में न्यायिक हिरासत (जेल) भेज दिया गया। उसी दिन हुजूरनगर उप-जेल के कर्मचारियों ने फोन कर सूचना दी कि उनके बेटे की तबीयत खराब है। जब वह वहां पहुंचीं, तो बेटे की हालत अत्यंत गंभीर थी।
शिकायत के अनुसार, हालत बिगड़ने पर युवक को 14 नवंबर को सूर्यापेट के जिला सरकारी अस्पताल ले जाया गया। वहां से उसे बेहतर इलाज के लिए हैदराबाद के एक सरकारी अस्पताल में रेफर किया गया, जहाँ 16 नवंबर को चोटों के कारण उसने दम तोड़ दिया।
मानवाधिकार आयोग ने इस मामले की गंभीरता और मानवाधिकारों के उल्लंघन को देखते हुए इसे पुरानी शिकायतों के साथ जोड़ दिया है। आयोग ने प्रमुख सचिव (गृह) को इस पूरे घटनाक्रम पर विस्तृत रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 12 जनवरी, 2026 को तय की गई है।
दूसरी ओर, तेलंगाना के पुलिस महानिदेशक (DGP) बी. शिवधर रेड्डी ने हाल ही में कहा था कि इस मामले की जांच जारी है और दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।
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