टूटी भेदभाव की बेड़ियां: बारां में दलितों को पहली बार सैलून में बाल कटवाने का मिला अधिकार!

पुलिस की मौजूदगी में गांव की दुकानों पर वाल्मीकि समाज के लोगों के बाल काटे गए, भीम आर्मी ने भी निभाया अहम रोल
जातिवाद के चलते नई नहीं काट रहा था दलितों के बाल और दाढ़ी
जातिवाद के चलते नई नहीं काट रहा था दलितों के बाल और दाढ़ी

जयपुर। राजस्थान में जातीय भेदभाव आम बात है। कहीं पानी की मटकी छूने पर अत्याचार किया जाता है। कहीं मूंछ रखने पर हत्या तक कर दी जाती है। राजस्थान से हर दिन एससी-एसटी वर्ग पर अत्याचार की घटनाएं रिपोर्ट होती है। खास बात यह है कि ज्यादातर मामलों में पीड़ितों को न्याय के लिए सड़कों पर उतरकर संघर्ष करना पड़ता है। 

हाल ही ताजा घटना राजस्थान के हाड़ौती क्षेत्र के बारां जिले से सामने आई है। जहां अटरू थाना क्षेत्र के सहरोद गांव के वाल्मिकी समाज के लोगों ने गांव की दुकान पर ही बाल कटवाने के लिए पुलिस और भीम आर्मी से मदद मांगी। खास बात यह है कि इस बार अपने हक और अधिकार के लिए सहरोद के वाल्मीकि समाज को सड़कों पर नहीं उतरना पड़ा। शिकायत के बाद तत्काल समाधान भी हो गया। इतने सालों में पहली बार गांव की दुकान पर दाढ़ी कटिंग बनवाई गई। इससे पूर्व बाल कटवाने के लिए 15 किलोमीटर दूर  जिला मुख्यालय पर जाना पड़ता था। 

सहरोद निवासी विनोाद वाल्मीकि ने द मूकनायक को बताया कि गांव में बाल काटने की तीन दुकाने हैं। गांव के सभी लोगों की यहां दाढ़ी कटिंग बनाई जाती थी, लेकिन वाल्मीकि समाज के लोगों को निम्न जाति बताकर बाल काटने से मना कर दिया जाता था। इस पर  समाज के लोगों ने भीम आर्मी और अटरू थाना पुलिस को अलग-अलग शिकायत कर मदद मांगी थी।

वाल्मीकि समाज के लोगों के बाल नहीं काटने व जातिसूचक शब्दों से अपमानित करने की शिकायत मिलते ही यहां अटरू थाना पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए बिना देर किए गांव में नाई की दुकान चलाने वाले तीन लोगों के खिलाफ अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज कर जांच वृताधिकारी अटरू अजीत मेघवंशी को सौंप दी।

उधर प्राथमिकी दर्ज होने के बाद थाना पुलिस पीड़ितों के साथ गांव पहुंची। जहां गांव में सभी सैलून पर वाल्मीकि समाज के लोगों के बाल कटवाए गए। पुलिस कर्मी भंवर सिंह गुर्जर ने बताया कि पुलिस मौजूद है तथा वाल्मीकि समाज के लोगों की दाढ़ी- कटिंग की जा रही है। 

पहली बार वाल्मीकि समाज के लोगों को गांव की दुकान पर आम आदमी की तरह कुर्सी पर बैठा कर नाई ने बाल काटे तो इनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। भेदभाव का शिकार दलित समाज के लोगों को बराबरी का अधिकार मिला तो इनकी आंखों में उम्मीद की चमक नजर आई। शेविंग कटिंग करवाने आए गोलू वाल्मीकि ने बताया कि मुझे बहुत खुशी हो रही है। पहली बार गांव की दुकान पर कुर्सी पर बैठाकर मेरी भी दाढ़ी कटिंग बनाई गई है। समाज के लोगों ने भीम आर्मी के साथ ही अटरू पुलिस वृताधिकारी अजीत मेघवंशी व थानाधिकारी अजीत बगड़ोलिया का शुक्रिया अदा किया है।

यह है प्रकरण

26 अगस्त को सहरोद गांव में वाल्मीकि समाज के दो युवक एक नाई की दुकान पर बाल कटवाने गए। दुकान पर जाते ही नाई ने उनकी जाति के कारण बाल काटने से मना कर दिया। इस दौरान किसी ने इस दौरान हुई बातचीत का वीडियो भी बना लिया। वाल्मीकि समाज के लोगों ने वीडियो में उनके साथ बाल काटने को लेकर हो रहे भेदभव को बताते हुए पहले भीम आर्मी से मदद मांगी। बाद में वाल्मीकि समाज की और से सामूहिक रूप से पुलिस को एक लिखित शिकायत सौंपी गई। तहरीर में समाज के लोगों ने पुलिस को बताया कि सहरोद गांव में दाढ़ी कटिंग की तीन दुकान लगी हुई है। त्रिलोक सेन, बबलू सेन व पप्पू सेन लगभग 10 सालों से अपनी दुकानों पर बाल काटने का काम करते हैं। वाल्मीकि समाज के अलावा गांव का कोई भी व्यक्ति जाता है तो तीनों दुकानदार उनकी दाढ़ी कटिंग बनाते हैं।

वाल्मीकि समाज सहरोद तीनों दुकानदार जाति सूचक शब्दों से अपमानित कर दुकान से धक्के मारकर भगा देते हैं। कहते हैं कि हमारी दुकानों पर मत आया करो वरना अच्छा नहीं होगा। इस लिए हम लोगों को कटिंग करवाने के लिए बारां जिला मुख्यालय जाना पड़ता है।

सरहोद गांव के विक्रम वाल्मीकि ने बताया कि आज हमें बहुत अच्छा लग रहा है। अन्य समाज के लोगों की तरह ही हमारे भी बाल काटे जा रहे हैं। हम चाहते हैं कि अब गांव के अन्य समाज के लोग भी भाईचारा कायम रखते हुए इन दुकानों पर आकर बाल कटवाए। हमें बुहत खुशी है। इससे पहले तक हमारे समाज के लोगों को बारा जिला मुख्यालय जाकर बाल कटवाने पड़ते थे। रामसिंह वाल्मीकि, मुकुट वाल्मीकि, हमेराज वाल्मीकि, दानमल वाल्मीकि सहित गांव के अन्य लोगों ने कहा कि हमें आज पुलिस और भीम आर्मी की मदद से गांव की दुकानों पर बाल कटवाने का अधिकार मिला है।

भीम आर्मी बारा के वरिष्ठ जिला उपाध्यक्ष अजय डागर ने द मूकनायक को बताया कि एक तरफ सरकारें समानता की बात करती है। दूसरी तरफ जाति के आधार पर भेदभाव चर्म सीमा पर है। बारां  जिले के सहरोद गांव में वाल्मीकि समाज के लोग आजादी के इतने वर्षों बाद भी बाल कटवाने के अधिकार से वंचित थे। पहचान छिपा कर शहर में जाकर बाल कटवाना मजबूरी बन गई थी। गत 26 अगस्त को गांव का गोलू वाल्मीकि नाई की दुकान पर बाल कटवाने गया तो नाई ने वाल्मीकि होने के कारण बाल काटने से मना कर दिया। इस पर समाज के लोगों ने भीम आर्मी को पत्र लिख कर गांव में उनके साथ हो रहे भेदभाव की जानकारी दी तथा बाल कटवाने में मदद मांगी। भीम आर्मी के प्रदेश पदाधिकारियों ने पुलिस से बात कर मदद मांगी। समाज के लोगों ने भी नाईयों के खिलाफ नामजद शिकायत दी। इस पर मुकदमा दर्ज हुआ। डागर ने कहा कि यहां पुलिस ने वाल्मीकि समाज के लोगों को बाल कटवाने का अधिकार दिलाने में अहम रोल अदा किया है।

अटरू थानाधिकारी अजीत बगड़ोलिया ने बताया कि सहरोद गांव में वाल्मीकि समाज के लोगों को जाति के आधार पर अपमानित कर बाल नहीं काटने की शिकायत मिली थी। शिकायत के आधार पर अनुसूचित जाति जनजाति अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज कर जांच वृताधिकारी अटरू को सौंपी है। सीओ अटरू पूरे प्रकरण की जांच कर रहे हैं। प्रारम्भिक तौर पर मौके पर पुलिस भेज कर समाज के लोगों के गांव की दुकानों पर बाल कटवाए गए हैं। रविवार को लगभग एक दर्जन लोगों ने दाढ़ी कटिंग करवाई है। किस दबाव के कारण वाल्मीकि समाज के लोगों के बाल काटने में नाइयों को एतराज था , यह जांच का विषय है।

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