गणतंत्र दिवस पर महिला शिक्षक और ग्रामीणों के बीच विवाद की तस्वीर।
गणतंत्र दिवस पर महिला शिक्षक और ग्रामीणों के बीच विवाद की तस्वीर।

राजस्थान: सावित्रीबाई फुले को मानने वाली दलित महिला शिक्षक को किया निलंबित!

गणतंत्र दिवस समारोह में सरस्वती की तस्वीर नहीं लगाने पर हुई कार्रवाई, मंत्री ने सार्वजनिक मंच से दिए आदेश.

राजस्थान। बारां जिले में सरकारी स्कूल के गणतंत्र दिवस समारोह में दलित महिला शिक्षक ने देवी सरस्वती की तस्वीर लगाने से साफ इंकार कर दिया था। इस घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। घटना का लगभग एक माह ही बीता था कि महिला शिक्षक को निलंबित कर दिया गया। महिला शिक्षक को बीकानेर से संबद्ध कर दिया गया है। शिक्षिका के गृह जनपद से इसकी दूरी लगभग 700 किमी है।

क्या था विवाद?

गणतंत्र दिवस पर 26 जनवरी को बारां जिले के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय लकड़ाई परिसर में आयोजित समारोह में बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी व समाज सेवी सावित्री बाई फुले के साथ सरस्वती देवी की तस्वीर को लेकर पहले विद्यालय स्टाफ व बाद में महिला शिक्षक और ग्रामीणों के बीच विवाद हुआ था।

इस दौरान समारोह के बीच कुछ ग्रामीणों ने सरस्वती देवी की तस्वीर लगाकर पूजा करने का दबाव बनाया था। इस पर महिला शिक्षक हेमलता बैरवा ने यह पूछते हुए कि सरस्वती का शिक्षा में क्या योगदान है, सरकारी विद्यालय में सरस्वती देवी की तस्वीर लगाने और पूजा करने से मना कर दिया था। इस बात को लेकर महिला शिक्षक व ग्रामीणों के बीच तीखी बहस हुई। इसका एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था।

मामले की गंभीरता को देखते हुए शिक्षकों की सूचना पर नाहरगढ़ थाना पुलिस भी मौके पर पहुंची थी। समझौते के बाद समारोह के मंच पर अन्य महापुरुषों के साथ सरस्वती देवी की तस्वीर लगाकर कार्यक्रम शुरू करवाया गया। विवाद के दौरान दो शिक्षकों पर कार्यक्रम छोड़ कर जाने के आरोप भी लगे थे।

घटना के अगले दिन 27 जनवरी को महिला शिक्षक हेमलता बैरवा ने विद्यालय के शिक्षक भूपेन्द्र सैन व हंसराज सैन सहित ग्रामीण हंसराज नागर, राधेश्याम नागर व किशन नागर को नामजद करते हुए अन्य के खिलाफ नाहरगढ़ पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। पुलिस को सौंपी तहरीर में महिला शिक्षक ने गणतंत्र दिवस समारोह में व्यवधान डालकर सरस्वती देवी की पूजा के लिए दबाव डालने तथा मना करने पर जातिसूचक शब्दों का उपयोग करने और धमकी देने का आरोप लगाया था। इस पर पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 506, 504 व अनुसूचित जाति, जनजाति अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज कर जांच पुलिस उपाधीक्षक शाहबाद हेमंत गौतम को सौंपी थी।

इस प्रकरण को लेकर महिला शिक्षक की ओर से आरोपी बनाए गए ग्रामीणों ने भी महिला शिक्षक पर धार्मिक भावनाएं आहत करने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। इसके बाद विभिन्न सामाजिक संगठनों ने बारां जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन कर स्थानीय थाना पुलिस की मंशा पर सवाल उठाते हुए जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंप कर महिला शिक्षक की ओर से दर्ज कराए गए मुकदमे में राजकार्य में बाधा उत्पन्न करने वाली जरूरी धाराएं नहीं जोड़ने का आरोप लगाया था।

इस मामले में कार्यालय जिला शिक्षा अधिकारी की मुख्यालय की ओर से 23 फरवरी 2024 को जारी एक पत्र में महिला शिक्षक हेमलता बैरवा को निलंबित कर बारां जिले से बीकानेर में मुख्यालय से संबद्ध कर दिया गया है।

कार्यालय जिला शिक्षा अधिकारी की मुख्यालय की ओर से 23 फरवरी 2024 को जारी दो पत्र में शिक्षिका हेमलता बैरवा को बारां जिले निलंबित करते हुए बीकानेर में मुख्यालय से संबद्ध कर दिया गया है। जबकि दूसरे पत्र में उनके साथी शिक्षक हेमराज मेघावल को भी बीकानेर मुख्यालय से संबद्ध कर दिया है।

मंत्री ने मंच से की थी निलंबन की घोषणा

राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने हाल में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में इस प्रकरण में कार्रवाई के निर्देश दिए थे। हालांकि बारां जिला शिक्षा अधिकारी ने महिला शिक्षक को जारी निलंबन आदेश में घटना का जिक्र नहीं किया है, लेकिन मंत्री के बयानों के चलते माना जा रहा है कि निलंबन उक्त घटना को ही लेकर किया गया है।

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